प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत का जांच के लिए अब केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की पांच सदस्यीय टीम ने संगम नगरी में डेरा डाल दिया है। इस मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम और प्रयागराज पुलिस के आलाधिकारियों ने इस केस से जुड़े कागजात और अब तक की तफतीश का विवरण सीबीआई टीम को सौंपा। अब सीबीआई के सामने यह चुनौती होगी कि वह केस का कैसे जल्द से जल्द खुलासा कर सके। विदित हो कि बुधवार रात 11 बजे उत्तर प्रदेश सरकार ने महंत नरेन्द्र गिरी की संदिग्ध मौत के मामले में संत समाज के आग्रह पर सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। वहीं दूसरी ओर मामले में बुधवार को मुख्य आरोपी आनंद गिरि को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। अब तक पुलिस ने महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि और आद्या तिवारी को गिरफ्तार किया है। वहीं मंगलवार को प्रयागराज पुलिस ने इस मामले में एसआईटी का गठन भी किया था जिसके बाद बुधवार को एसआईटी ने महंत नरेंद्र गिरि की सुरक्षा में तैनात चारों पुलिस के चारों सुरक्षा कर्मियों से भी गहन पूछताछ की।
पुलिस को महंत नरेंद्र गिरि के शव के पास से एक सुसाइड नोट मिला था। नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि मैं दुखी होकर आत्महत्या करने जा रहा हूं। नोट में आगे लिखा था कि मेरी मौत की जिम्मेदारी आनंद गिरि, हनुमान मंदिर के पुजारी अद्या तिवारी और संदीप तिवारी की है। मेरा प्रयागराज के पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध है कि मेरी मौत के जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कार्रवाई की जाए, ताकि मेरी आत्मा को शांति मिल सके।
सनद रहे कि महंत नरेन्द्र गिरी एक राष्ट्रीय स्तर पर एक जाना माना नाम थे। देश के कई राज्यों के अखाड़ों, मठों व आश्रमों में उनकी स्वीकार्यता थी। उनके आश्रम उत्तराखण्ड के हरिद्वार में भी हैं। ऐसे में प्रत्येक राज्य में जाकर पड़ताल करना पुलिस के लिए संभव नहीं है। मूलतः महंत की मौत के पीछे बड़े पैमाने पर संपत्ति का विवाद भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। उधर, संत-महात्माओं को महंत नरेंद्र गिरि के कथित सुसाइड नोट पर भरोसा नहीं है। सभी का यही कहना है कि महंत लिखने-पढ़ने के मामले में कमजोर थे। वह इतना लंबा सुसाइड नोट नहीं लिख सकते थे। महंत के सुसाइड नोट में काले और नीले रंग के पेन का इस्तेमाल किया गया है। महंत के सुसाइड नोट में 25 जगह काटा गया है। जहां काटा गया है या डेट बदली गई है, उसके लिए नीले रंग के पेन का इस्तेमाल किया गया था और बाकी सब कुछ काले रंग के पेन से लिखा है।
सीबीआई को यह भी समझना है कि पुलिस के आने से पहले शव को फंदे से नीचे उतार कर क्राइम सीन और साक्ष्यों से छेड़छाड़ की गई अथवा नहीं। एक वायरल वीडियो के अनुसार जिस पंखे के सहारे महंत ने फांसी लगाई थी, वह चल रहा था। महंत ने जिस रस्सी से फांसी लगाई थी, वह तीन टुकड़ों में थी। महंत के वह कौन से वीडियो थे जिन्हें वायरल करने की धमकी दी जा रही थी। कौन उन्हें यह सूचना दे रहा था कि उनका शिष्य आनंद गिरि उनके वीडियो वायरल करने की तैयारी में है। सवाल यह भी है कि महंत के कमरे में सल्फास की डिबिया कहां से आई। उसे कौन लाया था। यदि महंत ने ही मंगवाया था तो किससे और क्या कह कर मंगवाया था।
महंत नरेंद्र गिरि केस की जांच के सीबीआई ने डाला डेरा
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