पैरोल पर रिहा 49 कैदी महामारी से डरे, सरेंडर के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
नई दिल्ली।कोरोना महामारी के दौरान जेल में सजा काट रहे मर्डर केस के 49 कैदियों को पैरोल पर जमानत दी गई थी। महाराष्ट्र सरकार ने एक नोटिस जारी कर बताया कि कैदियों को कोरोना के चलते रिहा किया जा रहा है। उन्हें यह निर्देश भी दिया गया कि महामारी का असर कम होने पर उन्हें जेल में अपनी बाकी सजा पूरी करनी होगी। अब 4 मई 2022 को इन सभी कैदियों को नोटिस जारी कर वापस सरेंडर करने को कहा गया है, जिसे कैदियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कैदियों ने कहा कि कोरोना फिर से बढ़ रहा है, ऐसे में जेल में जाना खतरे से खाली नहीं है।
15 दिनों के भीतर सरेंडर करने का दिया था आदेश
सभी कैदी नासिक, औरंगाबाद, अमरावती और कोल्हापुर की जेलों में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। सभी को 15 दिनों के भीतर सरेंडर करने के लिए कहा गया है। इन कैदियों को मई 2020 में पैरोल पर रिहा किया गया था।
कोविड के बढ़ते मामले कैदियों के लिए खतरा- वकील
कैदियों के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने शुक्रवार को जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच से उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। बेंच ने सुनवाई की तारिख सोमवार तक पोस्ट कर दी है। याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र में कोविड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जो जेलों में कैदियों के जीवन के लिए खतरा है।
बदायूं जेल के कैदियों को भेजा गया था नोटिस
इससे पहले उत्तर प्रदेश के बदायूं जेल से पैरोल पर छोड़े गए कैदियों को भी नोटिस भेजा गया था, जहां बंदिशें खत्म होने के बावजूद 30 कैदी वापस नहीं लौटे। जेल प्रशासन ने पहले इन्हें नोटिस भेजा, लेकिन कैदियों ने इस पर गौर नहीं किया है।कोरोना की पहली लहर की शुरूआत के साथ ही जेलों में संक्रमण रोकने के लिए कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का निर्देश शासनस्तर से मिला था। ताकि जेलों में सामाजिक दूरी बनी रही। इसके अलावा बंदियों को भी अंतरिम जमानत पर घर भेजने की प्रक्रिया भी शुरू की गई थी। बदायूं जेल से 37 कैदियों के अलावा 189 बंदियों की आपराधिक श्रेणी देखते हुए 60 और 90 दिन की अंतिरम जमानत दी गई थी। इसके अलावा कलेक्ट्रेट तिराहे पर बनी पुलिस चौकी को अस्थाई जेल भी बनाया गया था। ताकि नए बंदियों को पहले वहां क्वारंटाइन रखकर जांच आदि कराई जाए और इसके बाद ही भीतर जेल में दाखिल करने की प्रक्रिया हो सके।