फिरोजाबाद : 350 से ज्यादा अस्थियों को मोक्ष की दरकार
धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में तर्पण, श्राद्ध और अस्थि विसर्जन करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है, लेकिन फिरोजाबाद की ये तस्वीर देखने के बाद यही लग रहा है कि महामारी से जान गंवाने वालों को अब मोक्ष मिलना भी आसान नहीं। स्वर्गाश्रम विकास समिति के सचिव आंलिक अग्रवाल बताते हैं कि श्मशान घाट में 350 से ज्यादा अस्थि कलश रखे गए हैं जिन्हें कोई लेने नहीं आ रहा है।समिति के कोषाध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल बताते हैं कि कई लोगों से संपर्क कर अस्थि कलश ले जाने के लिए कहा गया, लेकिन कोई नहीं आया। कमेटी अब इन अस्थि कलशों को विधि विधान के साथ गंगा में प्रवाहित करा रही है। समिति के अध्यक्ष राकेश गोयल बताते हैं कि कुछ लोगों की अस्थियां इसलिए लेने कोई नहीं आया, क्योंकि उनके घरों में कोई बचा ही नहीं है।गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा के शवदाह गृह में भी अंतिम संस्कार के बाद लोग अस्थियां लेने नहीं पहुंच रहे। शवदाह गृह में अस्थियां रखने के लिए बने लॉकर भर गए हैं। अब बाकी लोगों की अस्थियां जहां जगह मिल रही, वहीं रख दी जा रही हैं।सेक्टर 94 ए में स्थित अंतिम निवास का संचालन करने वाले NGO के अधिकारियों ने बताया कि यहां अस्थियां रखने के लिए 200 लॉकर हैं, लेकिन इस वक्त सभी भरे हुए हैं। कई और अस्थि कलश बाहर रखे हुए हैं। सबको पहचान का नंबर देते हुए अलग-अलग कमरों में व्यवस्थित तरीके से रखा गया है। यदि कोई नहीं आता है तो रीति रिवाज के अनुसार इनका विसर्जन करा दिया जाएगा।
अलीगढ़ : 40 लोगों की अस्थियां अपनों के इंतजार में
शहर के नुमाइश मैदान में बने शवदाह गृह में पिछले 1 महीने के अंदर 150 से ज्यादा लोगों का अंतिम संस्कार हुआ। इनमें से 40 से ज्यादा लोगों की अस्थियां अभी भी शवदाह गृह में ही पड़ी हैं। इन्हें लेने कोई नहीं आया। शवदाह गृह के कर्मचारी हर रोज लोगों से पूछते हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता।
बरेली: कोई डर रहा तो किसी के यहां अस्थियां लेने वाला भी नहीं बचा
शहर की सबसे बड़ी सिटी श्मशान भूमि के केयर टेकर पंडित त्रिलोकी नाथ बताते हैं कि इस साल अप्रैल और मई में कोरोना से जान गंवाने वाले 225 लोगों का अंतिम संस्कार कराया गया है। इनमें से 70 से 80 लोगों की अस्थियों को कलश में रखा गया है। बहुत से लोग इन कलश को लेने से डर रहे हैं तो कहीं ऐसी भी नौबत आ गई है कि घरों में अस्थियों को लेने वाला कोई बचा ही नहीं है। अगर कोई अस्थियां कलश लेने नहीं आता है तो समय मिलते ही इनको विधि-विधान से गंगा में प्रवाहित कर दिया जाएगा।