मरणासन्न हुई जिओ की सेवा
ग्रांहको की हो रही फजीहत, कमजोर नेटवर्क से बढ़ी परेशानी
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया। देश की प्रमुख संचार कम्पनी रिलायंस जिओ इंफोकॉम लिमिटेड की सेवाएं लगातार चौपट होती जा रही हैं। जिले मे इन दिनो कम्पनी की व्यवस्था अब तक की सबसे दयनीय स्थिति मे हैं। बार-बार सर्वर डाउन हो जाना, कॉलिंग मे दिक्कत, वनवे, अनक्लीयर वाईस जैसी समस्यायें आम हो चली हैं। पिछले दिनो कम्पनी का नेटवर्क दिन भर ठप्प रहा, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कम्पनी जिओ के जिले भर मे लाखों उपभोक्ता हैं। आज के युग मे खरीद-फरोख्त, भुगतान, रिजर्वेशन से लेकर हर काम मोबाईल के जरिये ही हो रहा है। ऐसे मे बार-बार के व्यवधान से कई जरूरी काम प्रभावित होते हैं। घटिया संचार सेवा की वजह से नकेवल ग्रांहकों मे असंतोष है बल्कि कम्पनी की विश्वासनीयता भी प्रभावित हो रही है।
मुफ्तखोरी फेंका पांसा
ज्ञांतव्य है कि अपनी लांचिंग के बाद जिओ कम्पनी ने फ्री मे सिम बांटने का पांसा फेक कर धमाकेदार शुरूआत की थी। रिलायंस जैसा बड़ा नाम और मुफ्त मे मिल रही रेवडिय़ों के चक्कर मे लोग कम्पनी की ओर खिंचे चले आ रहे थे। हालत यह हुई कि लाखों कस्टमर्स ने अपने नंबर जिओ मे पोट करा लिये। आने वाले सालों मे अधिकांश नये ग्रांहक भी इसी कम्पनी से जुड़ते रहे। जिसका नतीजा था कि एयरटेल, आईडया, वोडाफोन और बीएसएनएल जैसी कम्पनियां ध्वस्त हो गई। निशुल्क और अनलिमिटेड सेवा के हथियार से पुराने खिलाडिय़ों को नेस्तनाबूत करने के बाद कम्पनी ने अपने हांथ खड़े कर दिये।
दाम पूरा, काम चौथाई
फ्री की सेवा और अनलिमिटेड टॉक टाईम जैसे जुमलों मे फंसाने के बाद कम्पनी ने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया। कुछ साल पहले जो पैक 100-150 मे मिल जाता था, वह बढ़ कर अब 800 रूपये के आसपास जा पहुंचा है। उसके बाद भी संतुष्टिकारक सेवा नहीं मिल रही है। मोबाईल के बाद कम्पनी ने फ्री वाला खेल केबल टीवी मे भी खेलना शुरू कर दिया है। बताया जाता है कि जिओ द्वारा अपना ओटीटी पैक केवल 6 मांह के रीचार्ज मे दिया जा रहा है। इसी पैसे मे ग्रांहक को पूरा सामान निशुल्क मिल रहा है, जिससे अन्य केबल कम्पनियों की हालत पतली है। लोगों को अंदेशा है कि जब बाकी कम्पनियां खत्म हो जायेंगी, तो इसमे भी मोबाईल जैसा खेल शुरू हो जायेगा।
नहीं बढ़ाई बैण्डविड्थ
कहने को तो जियो अब अपने उपभोक्ताओं को 5जी की सुविधा दे रही है, लेकिन नेटवर्क की स्पीड 4जी के बराबर भी नहीं है। तकनीकी जानकारों का मानना है कि जिस हिसाब से जिले मे जिओ के ग्रांहकों की संख्या बढ़ी है, उस लिहाज से कम्पनी ने अपने बैंण्डविड्थ को अपग्रेड नहीं किया। इसी वजह से नेटवर्क स्पीड नहीं पकड़ पा रहा है। कई शिकायतों के बावजूद व्यवस्था मे सुधार नहीं होता देख अब कम्पनी के कस्टमर अन्य विकल्प तलाश रहे हैं।
कर्मचारियों का हो रहा शोषण
जिले मे जिओ की चरमराती व्यवस्था के पीछे जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किया जा रहा छोटे कर्मचारियों का शोषण भी मुख्य वजह बताई जा रही है। सूत्रों का दावा है कि स्थाई अफसर निचले अमले पर बेजा दबाव बनाते हैं। जिनके द्वारा एक कर्मचारी पर लगभग 30 किलोमीटर के बीच का फाल्ट सुधारने की जिम्मेदारी लादी गई है। इतना ही नहीं ऊपर के अधिकारी टॉवर के जनरेटरों मे लगने वाले डीजल मे बड़े पैमाने पर हेराफेरी करते हैं और इल्जाम फील्ड के कर्मियों पर थोप देते हैं। इसका असर मेंटीनेन्स और कम्पनी की सेवाओं पर साफ दिखाई दे रहा है।