ममता के खास ने छोड़ा साथ

शाह के बंगाल दौरे से पहले TMC विधायक शुभेंदु का इस्तीफा

कोलकाता।पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ने लगे हैं। इनमें नया नाम बगावती तेवर दिखा रहे विधायक शुभेंदु अधिकारी का है। उन्होंने बुधवार को असेंबली सेक्रेटरी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। शुभेंदु पूर्वी मिदनापुर की नंदीग्राम सीट से विधायक हैं। उन्होंने पिछले महीने मंत्रिमंडल से भी इस्तीफा दे दिया था।शुभेंदु कुछ समय से पार्टी की लीडरशिप से दूरी बनाकर चल रहे थे। शुभेंदु पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खास माने जाते हैं इसलिए उनका जाना पार्टी के साथ ममता के लिए भी झटका है। 19 दिसंबर को गृह मंत्री अमित शाह बंगाल दौरे पर जाएंगे। ऐसी अटकलें हैं कि इसी दौरान शुभेंदु भाजपा जॉइन कर सकते हैं। पार्टी के नेता भी उनके स्वागत की बातें कह रहे हैं।

BJP के प्रदेश अध्यक्ष बोले- यह तो होना ही था

शुभेंदु के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके इस्तीफे की खबर सामने आने के बाद प्रदेश में भाजपा के बड़े नेता उनके स्वागत की बातें करने लगे। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि यह तो होना ही था। कई विधायक पहले भी TMC छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। TMC में लोकतंत्र या कार्यकर्ताओं और नेताओं का सम्मान नहीं है। जो लोग बंगाल में बदलाव या डेवलपमेंट चाहते हैं वे हमारे साथ आ रहे हैं। वहीं, उपाध्यक्ष मुकुल रॉय ने कहा कि जिस दिन शुभेंदु अधिकारी ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, मैंने कह दिया था कि अगर वह TMC छोड़ देंगे तो उनका स्वागत करते हुए मुझे खुशी होगी। आज उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। मैं उनके फैसले का स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ताश के पत्तों की तरह ढह रही है। पार्टी से हर रोज कोई न कोई हमारी पार्टी में शामिल हो रहा है।

शुभेंदु के परिवार का 80 से ज्यादा सीटों पर असर

शुभेंदु अधिकारी मिदनापुर जिले के बड़े नेता माने जाते हैं। उनका परिवार कई साल से सियासत में है। शुभेंदु के पिता कांग्रेस से विधायक और सांसद रह चुके हैं। वे UPA सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री थे और अभी तृणमूल कांग्रेस से सांसद हैं। शुभेंदु खुद लगातार विधायक और सांसद का चुनाव जीतते आ रहे हैं।पहली बार उन्होंने 2006 में विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद 2009 में लोकसभा चुनाव जीते। 2014 में भी अपनी सीट पर कब्जा जमाया। 2016 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर परिवहन मंत्री बने। शुभेंदु के एक भाई सांसद और दूसरे नगरपालिका अध्यक्ष हैं। इस परिवार का छह जिलों की 80 से ज्यादा सीटों पर असर है।

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