देश भर में कहीं पर भी भेजी जा सकेगी नर्मदा की रेत
भोपाल। ठेकेदारों की मांग पर प्रदेश में अब रेत का परिवहन रेल से भी हो सकेगा। राज्य सरकार ने रेल से रेत के परिवहन के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। यह प्रस्ताव खनिज साधन विभाग ने सरकार को भेजा था। ठेकेदार को खनिज विभाग और रेलवे से परिवहन की अनुमति लेनी होगी और इसके लिए उसे रेलवे को शुल्क भी चुकाना होगा। मालूम हो कि बुंदेलखंड, बघेलखंड, मालवा के कुछ हिस्सों और समीपी राज्यों में नर्मदा नदी की रेत की मांग को देखते हुए ठेकेदारों ने विभाग से यह मांग की थी। विभाग जल्द ही इस संबंध में निर्देश जारी करने जा रहा है। प्रदेश में नर्मदा व चंबल नदी की रेत को सबसे बेहतर माना जाता है। यही कारण है कि बुंदेलखंड-बघेलखंड और मालवा के कुछ इलाकों और प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में नर्मदा की रेत की मांग है। लोग खासकर होशंगाबाद(नर्मदापुरम) की रेत मांगते हैं। उसका भी कारण है। दरअसल, होशंगाबाद(नर्मदापुरम) शहर के नजदीक नर्मदा व तवा नदी का संगम है। इसके आसपास की खदानों से निकलने वाली रेत में चमक होती है और मिट्टी नहीं होती। इसलिए सीमेंट के साथ मिलकर वह पकड़ को मजबूत करती है। इसी कारण प्रदेश की दूसरी रेत खदानों की तुलना में होशंगाबाद(नर्मदापुरम) की रेत खदानें हमेशा लीज पर महंगी जाती हैं। प्रस्ताव से रेलवे भी सहमत खनिज अधिकारियों के मुताबिक रैक (बोगी) से रेत की ढुलाई के लिए रेलवे भी सहमत है। इसके लिए रेलवे से ई-टीपी (आनलाइन ट्रांजिट परमिट) लेना होगी। वहीं खनिज विभाग अपनी टीपी जारी करेगा, जो खदान से नजदीकी रेलवे स्टेशन (जहां से रैक बुक हो) के लिए होगी। दो स्तर पर होगी जांच खदान से डंफर में कितनी रेत भरी जा रही है और रैक में कितनी रेत लोड हो रही है। इसकी निगरानी स्थानीय खनिज अमला करेगा। अमला रैक में रेत लोड करते समय उपस्थित रहेगा। ग्राहक को महंगी पड़ेगी रेत माना जा रहा है कि खदान से डंफर एवं डंफर से रैक में लोड करने और यही प्रक्रिया उतारते समय अपनाने से ग्राहक को रेत महंगी पड़ेगी। हालांकि अभी ठेकेदारों ने दाम तय नहीं किए हैं। पहले वे पूरी प्रक्रिया समझेंगे और फिर खदान से रेत पहुंचाने वाले स्थान के दूरी के हिसाब से निर्णय लेंगे। बता दें कि वर्ष 2019 में जिले की 118 खदानें 217 करोड़ रुपये में लीज पर गई थीं। जब ठेकेदार ने ठेका छोड़ा तो वर्ष 2020 में दूसरी बार तीन साल के लिए नीलामी हुई। जिसमें खदानों की बोली 262 करोड़ रुपये लगी। अनूपपुर के अमरकंटक से प्रकट होने वाली नर्मदा मध्य प्रदेश में 16 जिलों (अनूपपुर, डिंडोरी, मंडला, सिवनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, हरदा, होशंगाबाद (नर्मदापुरम), खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार, देवास, सीहोर, रायसेन और आलीराजपुर) से गुजरते हुए गुजरात में प्रवेश करती है।
मप्र में अब रेत का परिवहन रेल से भी हो सकेगा
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