नशे का कोडवर्ड कनेक्शन, सतरंगी सपनो के तिलस्म मे फंस रहे युवा
उमरिया। चटाई बिछा कर लोग आराधना करते हैं, थकान मिटाते हैं या फिर बैठ कर भोजन करते हैं। पर इन दिनो शहर मे एक और चटाई की चर्चा है जो लोगों, विशेष कर युवाओं को मदहोश करने मे इस्तेमाल हो रही है। यह फोर्टविन और पेंटाजोसिन जैसी घातक इंजेक्शनों के गोपनीय नाम हैं। जिनका इस्तेमाल मरीज को भीषण दर्द से राहत दिलाने या शल्य क्रिया के दौरान उन्हे निस्तेज करने मे होता है। इन खतरनाक मेडिसिन का उपयोग बिगड़ैल, बेरोजगार और अवसादग्रस्त युवाओंं द्वारा खुद को नशे की आग मे झोंकने के लिये किया जा रहा है। इसके अलावा नाईट्रोसिन नामक गोली का कोडवर्ड बटन है। नशे के सौदागर खुलेआम इसे बेंच कर नौजवानों को मौत की खाई मे धकेल रहे हैं। गौरतलब है कि इस तरह की सभी इंजेक्शन और गोलियां नारकोटिक्स के दायरे मे आती हैं। जिनके बेंचने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है, यदि कोई भी इसे खरीदता अथवा बेंचता है तो उसके खिलाफ गंभीर कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
अस्पताल से होती है सप्लाई
जानकारों ने बताया कि इस तरह के इंजेक्शन और गोलियां सिर्फ अस्पताल मे उपलब्ध हैं। उनका दावा है कि जिला चिकित्सालय से ही ये प्रतिबंधित दवाईयां नशे के कारोबारियों तक पहुंचती हैं। अस्पताल मे हुई इसकी सप्लाई और उपयोग की जांच कराई जाय तो पूरा मामला उजागर हो सकता है।
इंजेक्शन के लिये कुछ भी करने को तैयार
बांधवभूमि की खास पड़ताल मे यह बात सामने आई है कि फोर्टविन और पेंटाजोसिन की कीमत लगभग 5 रूपये है, जबकि कारोबारी इसे 100 रूपये तक मे बेंच रहे हैं। यह भी जानकारी मिली है कि नशा माफिया पहले तो किशोरों और युवाओं को इसके लिये प्रेरित करते हैं। एक बार आदत पड़ जाने के बाद व्यक्ति इसके बगैर नहीं रह सकता। जब तक इंजेक्शन न मिले, उसकी बेचैनी बढ़ती जाती है। वह इसके लिये कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। इंजेक्शन हांथ मे आतेे ही वे खुद इसे सिंरिंज मे भर कर अपनी नस मे ठूंस देते हैं, तब जा कर उन्हे चैन मिलता है। इंजेक्शन की दवा खून मे मिलते ही शरीर शिथिल पड़ जाता है और युवा सतरंगी सपनो के तिलस्म मे डूब जाते हैं।
सबको नहीं मिलता धीमा जहर
इस धीमे जहर का मिलना इतना आसान नहीं है। कारोबारी बड़ी ही सावधानी के सांथ कुछ चिन्हित लोगों को तय जगहों पर इसकी डिलेवरी करते हैं। चटाई या बटन का जिक्र करते ही माफियाओं की बाछें खिल जाती है, फिर वह ग्रांहक से पैसे लेकर माल थमा देते हंै। खबर है कि इस खतरनाक दवाई की बिक्री शहर के कैम्प, खलेसर और विनोवा मार्ग मे की जा रही है।
हो सकती है मौत
फोर्टविन और पेंटाजोसिन जैसी दवाईयां इंटरनेशनल शेड्यूल-3 मे आती हैं। इनका उपयोग केवल विशेष परिस्थितियों मे ही होता है। बिना डाक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के ऐसी दवाईयों का क्रय-विक्रय नहीं किया जा सकता। इन्हे नशे के तौर पर इस्तेमाल करने या लंबे समय तक इनके सेवन से ब्लड प्रेशर, हृदयघात, नसों मे गलन जैसी समस्याओं के अलावा व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती हैं।
डा. बीके प्रजापति
सिविल सर्जन, उमरिया
गंभीर अपराध, करेंगे कार्यवाही
फोर्टविन और पेंटाजोसिन जैसे इंजेक्शन नारकोटिक्स के बेंजोमोर्फन वर्ग के अंतर्गत आते हैं। इन्हे बेंचना और खरीदना दण्डनीय अपराध है। पुलिस ऐसे लोगों के विरूद्ध अभियान चला कर कार्यवाही करेगी। युवाओं से आग्रह है कि वे इस तरह के हानिकारक ड्रग्स का उपयोग न करें। अपना समय सकारात्मक सोच और अच्छेे कार्यो मे लगायें।
विकास कुमार शाहवाल
पुलिस अधीक्षक, उमरिया