2.60 किलो वजन, जीवाश्म विज्ञानी ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर की पुष्टि
सागर। नई खोज से प्राप्त अंडों का आकार फुटबाल जैसा गोलाकार, औसत वजन २.६० किलोग्राम व औसत परिधि ४० सेंटीमीटर है। प्रो. कठल के मुताबिक इनका अध्ययन बताता है कि ये लंबी गर्दन व छोटे-सिर वाले वृहदाकार (१५ मीटर तक लंबाई वाले) डायनासोर तृणभक्षी (हरबीवोरस) थे। जबलपुर में बारह -से पंद्रह साइट्स हैं जहाँ से डायनासोर के अवशेष मिले। आगे की खोज में यह एरिया बढ़ सकता है। धार क्षेत्र भी प्राकतिक इतिहास के प्रारंभिक युग का साक्षी है। जबलपुर में बारह -से पंद्रह साइट्स हैं जहाँ से डायनासोर के अवशेष मिले। आगे की खोज में यह एरिया बढ़ सकता है। धार क्षेत्र भी प्राकतिक इतिहास के प्रारंभिक युग का साक्षी है। जिनका जीवन-काल जुरासिक (२१.५ करोड वर्ष) से शुरू होकर क्रिटेशियस (६.५ करोड़ वर्ष) था। उस काल में भारत में एक नए तरह के ‘सौरोपोडÓ की मंडला में उपस्थिति इस काल में डायनासोर के भ्रमण के क्षेत्रीय-परिधि का लंबा होना भी बताता है। ये प्राणी दूर-दूर से अंडे देने के लिए नर्मदा घाटी में आते थे। यह अब तक मिलने डायनासोर के जीवाश्म से अलग नई प्रजाति के होने की संभावना है। आगे की रिसर्च में विस्तृत तथ्य सामने आ सकते हैं। बता दें देश में डायनासोर के जीवाश्म सबसे पहले जबलपुर के छावनी क्षेत्र से ही मिले थे।