पीएम मोदी के नेतृत्व मे होगी सुरक्षा परिषद की मीङ्क्षटग, समुद्री सुरक्षा, शांति जैसे मुद्दों पर होगी चर्चा
नई दिल्ली। भारत ने रविवार से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाल ली है। अगस्त 2021 में सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत के पास रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएनएससी के एक मीटिंग की अध्यक्षता करेंगे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने बताया कि इस दौरान भारत तीन हाई लेवल मीटिंग करने जा रहा है, जिसमें समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद का मुकाबला जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिध सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, 75 साल में पहली बार है, जब हमारे राजनीतिक नेतृत्व ने संयुक्तराष्ट्र के किसी कार्यक्रम की अध्यक्षता करने में दिलचस्पी दिखाई है। ये दिखाता है कि लीडरशिप अब फ्रंट से लीड करना चाहती है। उन्होंने बताया कि सुरक्षा परिषद में भारत का ये 8वां कार्यकाल है। उन्होंने बताया, नरेंद्र मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे, जो सुरक्षा परिषद की किसी मीटिंग की अध्यक्षता करेंगे। इससे पहले 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव सुरक्षा परिषद की मीटिंग में शामिल हुए थे।
सुरक्षा परिषद मे 15 देश शामिल
उन्होंने कहा कि भले ही ये वर्चुअल मीटिंग होगी, लेकिन ये हमारे लिए ऐतिहासिक है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 15 देश शामिल हैं, जिसमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। स्थायी देशों में चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका है। भारत इसका अस्थायी देश है। अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत को दो साल का कार्यकाल मिला है, जो 1 जनवरी 2021 से शुरू हो चुका है। 1 अगस्त से भारत ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष की कमान संभाल ली है, जो एक महीने तक रहेगी। हर महीने अंग्रेजी के लैटर के आधार पर अध्यक्षता बदलती रहती है। अब भारत को दिसंबर 2022 में फिर से अध्यक्षता करने का मौका मिलेगा। इससे पहले जून में इसकी अध्यक्षता फ्रांस के पास थी।
भारत को स्थायी सदस्यता मिले: उज्बेकिस्तान
भारत के लिए उज्बेकिस्तान के राजदूत दिलशाद आखतोव ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र के सबसे बड़े सदस्यों में से एक है और महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अगले दो साल के लिए इसकी स्थायी सदस्यता एक अहम घटना है। परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता देने के लिए उज्बेकिस्तान भारत को पूरा समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद और अफगानिस्तान के मुद्दे पर सक्रिय रहा है और हमारे दो देशों के लिए ये अहम मुद्दे हैं। इसीलिए जरूरी है कि भारत अगस्त के लिए यूएनएससी की अध्यक्षता करे। उन्होंने कहा कि मध्य एशिया में स्थिर और सतत विकास की संभावना सीधे तौर पर पड़ोसी अफगानिस्तान में शांति से जुड़ी है, जहां स्थिति गंभीर बनी हुई है। उज्बेकिस्तान का प्रयास एक शांतिपूर्ण अंतर-अफगानी राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने का है और अफगानिस्तान को हमारी ओर से दी गई आर्थिक सहायता ने वहां की पूरी सरकार और तालिबान समेत विपक्ष का विश्वास भी कमाया है। तालिबान आंदोलन अफगानिस्तान की समावेशी सरकार का एक हिस्सा है। ताशकंद, अफगान-स्वामित्व वाली, अफगान-नेतृत्व वाली और अफगान-नियंत्रित शांति प्रक्रिया के सिद्धांत का सख्ती से पालन करते हुए हर प्रयास करता है।