बाघों को रास नही आ रहे जंगल मे बसे गांव

बाघिन का साथ पाने एक ही दिन मे अलग-अलग स्थानों पर दिखाई दे रहे वनराज
उमरिया। बरसात मे बांधवगढ़ के बाघों की टैरटरी अस्थतर होने के साथ विस्तृत भी हो गई है। यही कारण है कि बाघ अपनी टैरेटरी मे कई जगह दिखाई दे रहे हैं। यह स्थिति इसलिए निर्मित हो रही है क्योंकि बारिश और कीचड़ से बचने के लिए सूखे और सुरिक्षत स्थान की तलाश करते रहते हैं। बारिश मे जिस तरह सूखे स्थान की तलाश करते हुए निरािश्रत मवेशी सड़क पर बैठ जाते हैं, उसी तरह बाघ को भी सूखे स्थान की तलाश रहती है। सूखे स्थान की तलाश मे भटकते हुए बाघों के मार्ग मे जंगल के अंदर बसे गांव आड़े रहे हैं और वे इन गांवों के आसपास ही सक्रिय होने लगते हैं। इससे मानव-पशु संघर्ष का खतरा बढ़ रहा है।
गढ़पुरी के पास बाघ
बांधवगढ़ के गढ़पुरी के पास इन दिनों एक बाघ दिखाई दे रहा है। यह बाघ गांव की के पास तक आता है और फिर वापस लौट जाता है। अनुमान यह लगाया जा रहा है कि बाघ को गांव की दूसरी तरफ जाना है लेकिन बीच मे गांव पडऩे के कारण वह समझ नहीं पा रहा कि उसे आगे किस तरफ से बढऩा है। संभवत: बाघ दूसरी तरफ सक्रिय बाघिन तक पहुंचना चाह रहा है। गांव के लोगों ने बताया कि बाघ गांव के अंदर भी आ चुका है लेकिन यहां से वापस लौट जाता है। बारिश के मौसम मे बाघ एक जगह टिककर नहीं रहता। कभी तेज बारिश और कीचड़ के कारण तो कभी किसी बाघिन की वजह से बाघ कभी कहीं तो कभी कहीं पहुंच
जाता है।
तीन रेंज मे दस गांव
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के जंगल मे 3 रेंज के अंदर 10 गांव बसे हुए हैं। इसमें खितौली रेंज के अंदर गढ़पुरी और बगदरी गांव बसे हुए हैं। पतौर रेंज मे बगैहा, बड़वाही, बमेरा, कसेरू, कुशमहा, कोठिया गांव बसे हुए हैं। जबकि बांधवगढ़ के पनपथा रेंज मे सेजवाही और गांगीताल नामक दो गांव आबाद हैं। जंगल के अंदर बसे हुए इन 10 गांव मे दो हजार से ज्यादा परिवार निवास कर रहे हैं। गढ़पुरी मे 225, बगदरी मे 129, बगैहा मे 107, बड़वाही मे 63, बमेरा मे 207, कसेरू मे 349, कुशमहा मे 211, कोठिया मे 127, सेजवाही मे 222 और गांगी ताल मे 103 परिवार निवासरत हैं।
मुआवजा भी है कम
जो बात सर्वे मे नहीं आई है वह है गांव खाली करने के लिए दिया जाने वाला मुआवजा। गांव खाली करने के लिए जो प्रस्ताव पर प्रबंधन ने ग्रामीणों को दिया है वह बेहद साधारण है। प्रबंधन का प्रस्ताव है कि गांव मे निवास करने वाले प्रत्येक व्यस्क व्यक्ति को एक इकाई मानकर 15 लाख रूपये प्रदान किया जाएगा। इसमें वे युवतियां भी शामिल होंगी जिनका अभी विवाह नहीं हुआ है। यह राशि ग्रामीणों को बेहद कम नजर आ रही है।
इनका कहना है
जंगल के अंदर गांव बसे होने के कारण बाघों के संरक्षण मे परेशानी उत्पन्न होती है। गांवों को खाली करने का प्रस्ताव है जिस पर प्रक्रिया जारी है। गांव खाली होने से जंगल का क्षेत्र बढ़ जाएगा और जानवरों के रास्ते खुल जाएंगे।
डॉ बीएस अनिगेरी,
क्षेत्र संचालक बांधवगढ़

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