बाघ राष्ट्रीय पशु ही नहीं, हमारी धरोहर: दिलीप पांडे

बाघ राष्ट्रीय पशु ही नहीं, हमारी धरोहर: दिलीप पांडे
बांधवभूमि, उमरिया
भाजपा के जिलाध्यक्ष दिलीप पाण्डेय ने जिलेवासियों को विश्व बाघ दिवस की बधाई दी है। उन्होने कहा कि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु ही नहीं बल्कि देश की धरोहर हैं। जब बाघ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए थे, तब भारत ने नसिर्फ अपने देश मे इसके संरक्षण के गंभीर प्रयास शुरू किये बल्कि दुनिया को भी इस कार्य के लिये प्रेरित किया। उसी का परिणाम है कि टाईगर की तादाद फिर से बढऩा शुरू हो गई है। भारतीयों ने बाघ को हमेशा से शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना है। यह केवल एक प्रजाति मात्र नहीं है। सनातन धर्म मे बाघ को मां दुर्गा का वाहन माना जाता है। जनजाति बाहुल्य उमरिया जिले मे तो इसे बघेसुर भगवान का दर्जा प्राप्त है। जिसकी बड़ी श्रद्धा के सांथ पूजा-अर्चना की जाती है। जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की ख्याति देश ही नहीं पूरे विश्व भर मे फैल चुकी है। हजारों की संख्या मे देशी-विदेशी पर्यटक बांधवगढ़ के बाघ का दीदार करते हैं। श्री पाण्डेय ने बताया कि वर्ष 1968 मे बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया था। इसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किमी है। उन्होने नागरिकों से बाघ दिवस पर वन एवं वन्यजीवों का संरक्षण करने का संकल्प लेने की अपील की है।

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