उमरिया/बांधवभूमि
जिले भर मे मनाया गया भाईदूज, पांच दिवसीय दीपावली पर्व संपन्न
जिले भर मे कल भाईदूज का पावन पर्व पारंपरिक उल्लास के सांथ मनाया गया। इस मौके पर बहनो ने भाईयों को टीका लगा कर उनके लम्बी उम्र की कामना की, बदले मे भाईयों ने बहन को प्रेम स्वरूप उपहार भेंट किये और उन्हे सुख सुमृद्धि का आशीर्वाद दिया। इसी के सांथ धनतेरस से शुरू हुआ पांच दिवसीय दीपावली पर्व शांति और भाईचारे के सांथ संपन्न हो गया।
जलाये गये 30 लाख के पटाखे
दीपावली का पर्व माता लक्ष्मी जी की आराधना के सांथ ही लजीज मिठाईयों और आतिशबाजी के लिये जाना जाता है। एनजीटी के दिशा-निर्देश, पर्यावरण और प्रदूषण को देखते हुए इस बार शासन द्वारा आतिशबाजी के लिये पहले दो घंटे की छूट दी गई थी परंतु जल्दी सरकार ने हस्ताक्षेप कर इस पबंदी को नसिर्फ हटाया बल्कि अनलिमिटेड कर दिया। जिसकी वजह से लक्ष्मीपूजन के बाद से शुरू हुआ आतिशबाजी का दौर कल तक जारी रहा। इस दौरान लोगों ने जम कर इसका आनंद लिया। अनुमान है कि पांच दिनी दीपावली पर्व पर जिले मे करीब 30 लाख रूपये के पटाखे जलाये गये।
नहीं लगी चीनी बारूद पर रोक
इस दौरान चीनी पटाखों पर रोक का सरकारी फरमान बेअसर रहा। लोग बेधड़क चीनी पटाखे खरीदते और जलाते रहे। विशेष कर दीपावली और गोवर्धन पूजा पर चीनी पटाखों की दमघोटू दुर्गंध ने वातावरण को बेहद प्रदूषित किया। उल्लेखनीय है कि इस दीवाली पर सरकार द्वारा चीनी पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, परंतु जिले की पटाखा दुकानो मे खुलेआम चीनी पटाखों की बिक्री की गई।
क्यों खतरनाक है चीनी पटाखे
कहने को तो चीनी पटाखे बेहद सस्ते होते हैं सांथ ही ये तेज धमाका करते हंै। इसका मुख्य कारण इनमे इस्तेमाल होने वाला पोटैशियम क्लोरेट है, जो अत्याधिक ज्वलनशील और अस्थिर रसायन है। इसके अलावा चीनी पटाखों मे कई खतरनाक रसायनो का उपयोग भी होता है, जिससे त्वचा संबंधी बीमारी और एलर्जी होने की संभावना रहती है। वहीं भारतीय पटाखों मे पोटेशियम और सोडियम नाइट्रेट का इस्तेमाल होता है, जो आम तौर पर काफी सुरक्षित हैं। यही वजह है कि चीनी पटाखे भारतीय पटाखों से ज्यादा खतरनाक होते हैं, इसीलिए इन्हे भारत में बैन किया गया है।