बस्तियों की ओर रूख कर रहे बाघ

बनाई नई टेरेटरी और रास्ते, ग्रामीणों के लिये खतरे का संकेत
उमरिया। बांधवगढ़ के बफर जोन मे सक्रिय बाघों से गांव में रहने वाले और जंगल के रास्तों पर निकलने वाले ग्रामीणों को खतरा न हो इसके लिए बारिश के मौसम में निगरानी की नई व्यवस्थाएं की गई है। बफर मे सक्रिय बाघों ने यहां अपनी टेरेटरी बना ली है और उनका अपना मार्ग भी तय हो गया जिस पर वे आना-जाना करते रहते हैं। बाघों का यह मार्ग कहीं-कहीं पर ग्रामीणों के मार्ग को भी क्रास करता है इसलिए इन क्षेत्रों पर नजर रखना जरूरी हो गया है। मानसून प्रारंभ होने के साथ ही सभी रेंज में गश्ती के लिए पाइंट बनाकर पैदल पेट्रोलिंग दल गठित कर दिए गए हैं।
रोज हो रही गश्त
हर रोज 5-6 वर्ग किमी.जंगल में मानसून गश्ती की जा रही है। गश्ती में इंसान और हाथी को शामिल किया गया है। 9 रेंज के 1536 वर्ग किमी. पर 124 से अधिक बाघ व 45 जंगली हाथियों के बीच तीन महीने तक यह सुरक्षा तंत्र विशेष एलर्ट पर रहेगा। क्योंकि बरसात में घास मैदान व झाडिय़ा उगने पर कई बार बाघ कई दिनों तक नहीं दिखते। इससे मनुष्यों पर हमले की घटनाएं बढ़ जाती हैं। यही कारण है कि टाइगर रिजर्व में मानसून अलर्ट कर यह विशेष गश्त की जा रही है।
बनाए गए 149 प्वाइंट
बरसात सीजन में नदी, नालों में जल स्तर बढ़ जाता है। घास के मैदान में हरियाली पहले से ज्यादा हो चुकी है। यह समय वनराज के स्वच्छंद विचरण का समय है। ऐसे चुनौती पूर्ण जंगली माहौल में बाघ व इंसान के द्वंद पर पैदल गश्ती पर ही जोर रहेगा। महत्वपूर्ण कार्य के लिए हर रेंज में 149 गश्ती पाइंट बनाए गए हैं। हर रेंज में रोस्टर अनुसार रूट हुआ है। प्रत्येक दिन बीटगार्ड, सुरक्षा श्रमिक व एक अन्य सदस्य की टीम यहां 5-6 किमी में घूमेंगी।
यहां ज्यादा बाघ
उमरिया, शहडोल और सीधी की सीमा पर शहडोल जिले के ब्यौहारी में ज्यादा बाघ सक्रिय हैं। यहां विशेष अभियान चलाकर लोगों को भी सतर्क किया जा रहा है। बांधवगढ़ से लगे घुनघुटी के जंगल में भी कई बाघ सक्रिय हैं। माना जाता है बारिश का सीजन बाघों के मैटिंग, सहवास के अनुकूल रहता है। बाघ अपनी संतानोत्पत्ति के लिए बाघिन के संबंध एकांत में समय बिताते हैं। कई दिनों तक गश्त मे लोकेट नहीं होते। ऐसे मे इस चुनौती पूर्ण कार्य के लिए वाहन की बजाए फु ट पेट्रोलिंग अहम हो जाती है। ऐसी स्थिति मे वनराज को तलाशने हाथी दल की मदद ली जाती है। 278 से अधिक सुरक्षाकर्मी का यह दल हर रोज 9 रेंज के 1536 वर्ग किमी पर अपनी पैनी नजर रखेगा। ज्ञातव्य रहे कि औसतन हर 12.15 वर्ग किमी पर यहां एक टाईगर की मौजूदगी है। इसके अलावा अब 45 से अधिक जंगली हाथी भी अपना स्थाई रहवास बना चुके हैं।
सुरक्षा है जरूरी
जंगल के जानवरों की सुरक्षा बेहद आवश्यक है और यही कारण है कि मनुष्य और जानवरों के संघर्ष को रोकने का प्रयास किया जाता है। मानसून के दौरान खासतौर से जंगल के बाहरी हिस्सों पर नजर रखी जा रही है।
विंसेंट रहीम, फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़

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