पिता और दादा से ली थी संगीत की शिक्षा
1951 में जन्मे राजन मिश्र ने अपने दादा पंडित बड़े राम जी मिश्र और पिता पंडित हनुमान मिश्र से संगीत की शुरुआती शिक्षा ली थी। इसके बाद वे 1977 में दिल्ली चले गए। उन्होंने अपने भाई साजन मिश्र के साथ 400 साल पुराने बनारस घराने की परंपरा को आगे बढ़ाया। दोनों ने 1978 में श्रीलंका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया था। जल्द ही वे जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, अमेरिका, सिंगापुर, कतर, बांग्लादेश सहित कई देशों में प्रदर्शन करने गए।
बनारस घराने के मशहूर गायक राजन मिश्र का निधन
नई दिल्ली।बनारस घराने के मशहूर गायक पंडित राजन मिश्र का रविवार को निधन हो गया। उन्हें गंभीर हालत में दिल्ली के सेंट स्टीफंस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। राजन मिश्र कोरोना से भी संक्रमित थे। इसी दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि हॉस्पिटल में उन्हें वेंंटिलेटर नहीं मिल सका।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि शास्त्रीय गायन की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले पंडित राजन मिश्र जी के निधन से अत्यंत दुख पहुंचा है। बनारस घराने से जुड़े मिश्र जी का जाना कला और संगीत जगत के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। लता मंगेशकर ने भी उनके निधन पर शोक जताया।राजन मिश्र और उनके भाई साजन मिश्र ख्याल शैली में गायन के लिए मशहूर थे। इस जोड़ी को 1971 में भारत सरकार ने संस्कृत अवार्ड दिया। 1994-95 में गंधर्व सम्मान, 1998 में संगीत नाटक अकादमी और 2007 में पद्म भूषण से नवाजा गया। 14 दिसंबर 2012 को राष्ट्रीय तानसेन सम्मान दिया गया था। इनके 20 से ज्यादा एल्बम भी आए।
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