बांधवगढ़ मे कबीर मेले को लेकर एनजीटी गंभीर
पीसीसीएफ को दिए विशेषज्ञ समिति गठित करने के आदेश
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
बांधवगढ़ मे लगे कबीर मेले को लेकर दायर की गई एक याचिका को गंभीरता से लेते हुए एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने विशेषज्ञ समिति गठित करने के आदेश दिए हैं। यह याचिका भोपाल मे अजय दुबे की तरफ से अधिवक्ता हर्षवर्धन तिवारी ने दायर की थी। एनजीटी ने आदेश दिया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) एक विशेषज्ञ समिति का गठन करें, जो चार सप्ताह के भीतर सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। यह समिति यात्रा को विनियमित करने के लिए नियम बनाएगी और पर्यावरणीय क्षति को रोकने के उपाय सुझाएगी। एनजीटी ने मध्य प्रदेश सरकार के वन विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि वे 18 अक्टूबर 2022 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा भेजे गए पत्र पर विचार करें और एक उचित नीति तैयार करें।
तय होनी चाहिए संख्या
एनजीटी ने यह भी निर्देश दिया कि यात्रा के दौरान प्रतिभागियों की संख्या सीमित होनी चाहिए, और केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त, सफाई और कचरा प्रबंधन के लिए एक व्यापक योजना लागू
की जानी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 13 फरवरी 2025 को होगी। एनजीटी ने इस मामले पर गहन विचार करते हुए पाया कि यात्रा के दौरान 14 हजार से अधिक प्रतिभागियों के पार्क मे प्रवेश और चारनगंगा नदी के उपयोग से भारी प्रदूषण हुआ था। इसके अलावा, बांस की कटाई और कचरा प्रबंधन की कमी के कारण वनों की कटाई और प्रदूषण बढ़ा। इससे बाघों और अन्य वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास मे गंभीर व्यवधान उत्पन्न हुआ।
भोपाल मे लगी याचिका
भोपाल स्थित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की केंद्रीय क्षेत्रीय पीठ ने इस मामले पर 13 दिसंबर 2024 को सुनवाई की। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की कोर क्षेत्र मे प्रस्तावित दर्शन यात्रा के खिलाफ यह याचिका दायर की गई थी। याचिका मे कहा गया कि यह यात्रा रिजर्व की संवेदनशील पारिस्थिति और वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करती है और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972य वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980य और पर्यावरण (संरक्षण)अधिनियमए 1986 का उल्लंघन करती है। याचिका मे उठाए गए बिंदुओं के अनुसार, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भारत के प्रोजेक्ट टाइगर पहल का एक अभिन्न हिस्सा है और इसका कोर क्षेत्र विशेष रूप से बाघों और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए आरक्षित है। इस कोर क्षेत्र मे किसी भी प्रकार की मानवीय गतिविधियों की अनुमति नहीं है, ताकि पर्यावरणीय संतुलन और जैव विविधता को बनाए रखा जा सके। याचिका मे यह बताया गया कि इस यात्रा के कारण पार्क के पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। बड़ी संख्या मे लोगों के प्रवेश से वन्यजीवों का प्राकृतिक व्यवहार और प्रजनन चक्र बाधित होगा।