बांधवगढ़ के कर्मवीरों ने बांधा दुर्दान्त हांथी
अनूपपुर जाकर किया रेस्क्यू, चौथी बार भी सफल रहा अभियान
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश, उमरिया
जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के कर्मवीरों ने एक बार फिर साहसपूर्ण अभियान मे हिस्सा लेकर दुर्दान्त जंगली हांथी को बांधने का कारनामा कर दिखाया है। पार्क की टीम ने शनिवार को अनूपपुर जिले मे जैतहरी रेंज अंतर्गत गोबरी बीट मे झुरही तलैया के पास हांथी का रेस्क्यू किया। इस अभियान मे संजय धुबरी के दल ने भी हिस्सा लिया। पकड़े गये हांथी को मंडला जिले के कान्हा टाईगर रिजर्व भेज दिया गया है। जहां ट्रेनिंग देने के बाद इसे भी पालतू हाथियों के बेड़े मे शामिल कर लिया जायेगा।
आतंक का पर्याय बन चुका था हांथी
गौरतलब है कि इस हांथी ने अनूपपुर जिले मे बीते कई दिनो से भारी उत्पात मचा रखा था। बीते 23 फरवरी को इसने ज्ञानचंद गोंड़ नामक व्यक्ति को कुचल कर मार डाला, जिसके बाद आक्रोषित गांव वालों ने वन विभाग और पुलिस कर्मियों पर हमला कर दिया। इस घटना मे कई ग्रामीण और पुलिस के जवान घायल हो गये थे। हालात को देखते हुए शासन द्वारा उत्पाती हांथी को पकडऩे का निर्णय लिया। गत दिवस बांधवगढ़ और संजय धुबरी की संयुक्त टीम ने इस अभियान को बेहद कम समय मे सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचा दिया।
सूर्या, गौतम और लक्ष्मण ने भी लिया हिस्सा
जंगली हांथी को पकडऩे के इस अभियान मे बांधवगढ़ के अनुभवी हांथी सूर्या, गौतम और लक्ष्मण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। क्षेत्र संचालक एलएल उईके के नेतृत्व मे हुए रेस्क्यू मे डॉ. नितिन गुप्ता, वन रक्षक कमलेश कुमार नंदा, मोहित खटीक तथा धीरेन्द्र चतुर्वेदी के अलावा नन्नू, सरदार, दुर्गेश, नीलम, लालजी, रामराज, गुलजार, लल्लन, मामू, रूपेश, शिकारी, मनबोध, अशोक सहित अन्य कर्मचारियों ने अहम योगदान दिया। रेस्क्यू का यह अभियान अभी कुछ दिन और जारी रह सकता है। सूत्रों के मुताबिक बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व मे आंतक का पर्याय बन चुका दंतैल तथा शहडोल जिले मे ऐसे ही कुछ हाथियों को भी पकडऩे की योजना विभाग द्वारा बनाई गई है।
लाये जा चुके सात हांथी
बांधवगढ़ की टीम का यह चौथा सफल अभियान था। पार्क का अमला इससे पूर्व तीन बार जंगली हाथियों का रेस्क्यू कर चुका है। जानकारी के अनुसार इसकी शुरूआत अनूपपुर जिले से वर्ष 2011-12 मे एक हांथी को पकड़ कर की थी। इसके बाद साल 2016 मे सीधी शहर के पास एक और हांथी पकड़ा गया। जो अब रामा के नाम से जाना जाता है। सीधी जिले मे ही 2017-18 के दौरान 5 हाथियों का रेस्क्यू किया गया। तीनो अभियानो मे पकड़े गये सभी सात हाथियों को बांधवगढ़ ला कर प्रशिक्षित किया गया। इनमे से एक की मौत हो गई, जबकि 6 पार्क मे ही अपनी सेवायें दे रहे हैं।
फायदे का सौदा बन सकते जंगली हांथी
पार्क की टीम ने जंगली हाथियों को पकड़ कर उन्हे प्रशिक्षित करने मे महारत हांसिल कर ली है। यदि इसका सही उपयोग हो तो इससे काफी फायदा हो सकता है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के पूर्व क्षेत्र संचालक एवं जाने-माने वन्यजीव विशेषज्ञ मृदुल पाठक का मानना है कि जंगली हांथियों को पकड़ कर उन स्थानो पर भेजा जाना चाहिये, जहां उनकी जरूरत है। उन्होने बताया कि रायसेन जिले के रातापानी वाईल्ड लाईफ सेंचुरी, कूनो नेशनल पार्क सहित कई उद्यानो मे हाथियों की आवश्यकता है। फिलहाल इनकी आपूर्ति केरल से हो रही है, जिसमे करोड़ों रूपये खर्च होते हैं। यदि ऐसा किया जाय तो शासन को राजस्व की आय के सांथ शहडोल संभाग मे जंगली हाथियों की समस्या से निजात पाई जा सकती है।