बीती ताहि बिसारि के आगे की सुध ले रहे सरपंच
पंचायतों मे पूर्व से निर्मित संरचनाओं की उपेक्षा, खण्डहर मे तब्दील हुए लाखों के निर्माण
बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष
मध्यप्रदेश
उमरिया
मानपुर। जिले की ग्राम पचायतों मे जनता की सेवा करने की कसम खा कर सरपंच बने जनप्रतिनिधियों की सोच और कार्यप्रक्रिया की वजह से करोडों रूपये की लागत के निर्माण खण्डहर बनतेे जा रहे हैं। इनमे अधिकांश पुराने कार्यकाल मे बनवाये गये थे, जिन्हे नये सरपंच हांथ भी नहीं लगा रहे। इसका ताजातरीन उदाहरण मानपुर जनपद की ग्राम पंचायत रक्सा मे बना सर्वाजनिक शौचालय हैं। बताया गया है कि शासन की महत्वाकांक्षी योजना समग्र स्वच्छता अभियान के तहत हर ग्राम पंचायत की तर्ज पर रक्सा मे भी करीब 5 लाख रूपये की लागत से सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया था। जो आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। शौचालय मे ना तो पानी की व्यवस्था है, और ना ही लंबे समय से इसका कोई मेंटीनेन्स किया गया है। जिसकी वजह से लाखों रूपये व्यय होने के बावजूद इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। उपेक्षा के कारण शौचालय का प्लास्टर उखड रहा है, वहीं दीवार, दरवाजे आदि भी खराब हो चुके हैं। इस मामले मे सरपंच और सचिव किसी तरह की पहल करना तो दूर, कोई चर्चा तक नहीं करते। उनका साफतौर पर कहना है कि पूर्व सरपंच ने शौचालय और हेण्डपंप का पैसा आहरित कर लिया था, अब हम उसमे कुछ नहीं कर सकते।
जाने से पहले करते हैं समेटा
यह सिर्फ ग्राम पंचायत रक्सा का मसला नहीं है। जिले की अधिकांश ग्राम पंचायतों मे पूर्व सरपंच इसी तरह के आधे-अधूरे निर्माण छोड कर निवर्तमान हुए हैं। बताया जाता है कि कार्यकाल खत्म होने तथा पंचायत चुनाव की आचार संहित लगने से पहले ही सरपंच अपनी दुकान समेटने लगते हैं। इसी चक्कर मे बिना काम कराये ही फर्जी तरीके से राशि निकाल ली जाती है। जबकि सचिव की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे निर्माण कार्यो का भुुगतान न होने दें, परंतु फिफ्टी-फिफ्टी की हिस्सेदारी के कारण वे भी इस धांधली मे पूरा सहयोग करते हैं। चूंकि नये सरपंचों को घूम फिर कर इन्ही सचिवों के सांथ काम करना होता है, जिसकी वजह से वे इस संबंध मे अपना मुंह बंद रखना ही उचित समझते हैं।
संपत्ति की सुरक्षा पंचायत का दायित्व
जानकारों का मानना है कि गावों मे निर्मित भवन, संरचनाओं तथा सामग्री की सुरक्षा और रखरखाव का दायित्व सरपंच एवं सचिव का है। इसमे किसी भी तरह की कोताही गैरकानूनी है, ऐसा करने पर संबंधितों पर कार्यवाही भी हो सकती है। बताया जाता है कि नये सरपंच ग्राम पंचायतों के पुराने और आधे-अधूरे पडे निर्माण कार्यो को पूरा कराने मे इसलिये भी रूचि नहीं दिखाते, क्योंकि उस मद का पैसा शेष नहीं रहता। जिले भर मे सैकडों स्थानो पर भवन, सडकें, नालियां, शौचालय इत्यादि सालों से अपूर्ण स्थिति मे हैं। मजे की बात यह भी है कि शासकीय अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी क्षेत्र भ्रमण के दौरान खण्डहर बन चुके निर्माण अपनी आखों से देखते हैं, परंतु इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया उनके द्वारा नहीं की जाती। सवाल उठता है कि लाखों रूपये व्यय होने के बाद भी यदि ग्रामीणो को सुविधा नहीं मिल रही, तो इसकी जवाब देही किस पर तय होगी।
तो होगी कडी कार्यवाही
ग्राम पंचायतों मे निर्मित संपत्तियों की सुरक्षा, योजनाओं के संचालन तथा उनका लाभ आम जनता को दिलाना सरपंच और सचिवों की नैतिक जिम्मेदारी है। उनका यह भी दायित्व है कि अपूर्ण निर्माण कार्यो को तत्काल पूर्ण करायें। सांथ ही यदि बिना काम कराये राशि निकाल ली गई है, तो इसकी लिखित जानकारी जनपद तक पहुंचायें। ऐसे मामलों को गंभीरता से लिया जा कर जांच उपरांत दोषियों अथवा अपने दायित्वों के प्रति लापरवाही बरतने वाले सरपंच और सचिवों के विरूद्ध कडी कार्यवाही की जायेगी।
अभय सिंह ओहरिया
मुख्य कार्यपालन अधिकारी
जिला पंचायत, उमरिया