बढ़ते मरीज… घटती दवाइयां… अब जान गंवाएंगे या आंख

15 राज्यों में 9320 मरीज, 245 की मौत, 11 में महामारी घोषित
नई दिल्ली। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस कोहराम मचा रहा है। 11 राज्य इस बीमारी को महामारी घोषित कर चुके हैं। वहीं देशभर में बीमारी के 9320 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं, वहीं 245 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा महाराष्ट्र और गुजरात में 92-92 मौते हो चुकी हैं। उधर बीमारी से निपटने के लिए देशभर में एंटी-फंगल इंजेक्शन की कमी हो रही है, जिससे हालात ऐसे हो गए हैं कि मरीजों की जान बचाने के लिए उनकी आंखें निकालनी पड़ रही हैं।
कोरोना के बीच म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस खतरनाक होता जा रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत 15 राज्यों में ही अब तक ब्लैक फंगस के 9,320 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 245 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा 5000 हजार मामले तो अकेले गुजरात में ही सामने आए हैं। इस संक्रमण के चलते कुछ मरीजों की आंख तक निकालनी पड़ रही है।
अब तक 11 राज्यों में ब्लैक फंगस महामारी घोषित
ब्लैक फंगस को हरियाणा ने सबसे पहले महामारी घोषित किया था। उसके बाद राजस्थान ने भी इस संक्रमण को महामारी एक्ट में शामिल कर लिया। फिर केंद्र सरकार ने भी सभी राज्यों के कहा कि ब्लैक फंगस को पेन्डेमिक एक्ट के तहत नोटिफाई किया जाए। इसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, तेलांगना और तमिलनाडु भी ब्लैक संक्रमण को महामारी घोषित कर चुके हैं।
गुजरात में पहली बार 15 साल के किशोर को ब्लैग फंगस हुआ
अहमदाबाद में कोरोना से उबरे 15 साल के किशोर में ब्लैक फंगस का संक्रमण मिला है। उसका ऑपरेशन करना पड़ा। 4 घंटे चले ऑपरेशन के बाद किशोर संक्रमण मुक्त हो गया। डॉ. अभिषेक बंसल ने बताया कि राज्य में किसी किशोर में म्यूकर माइकोसिस का यह पहला केस है। ऑपरेशन से उसके तालू और साइड के दांत निकालने पड़े।
मप्र में 31 की मौत
मप्र में कोरोना की रफ्तार तो कम हो रही है, पर उसके साथ नई मुसीबत ब्लैक फंगस आ गई है। यह मुसीबत लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में 29 दिन में इसके 700 से ज्यादा संक्रमित मिल चुके हैं, जबकि 31 मरीजों की अस्पतालों में मौत हो चुकी है। भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा के सरकारी मेडिकल कॉलेज में मरीजों को फ्री इलाज किया जा रहा है। लेकिन इंजेक्शन की कमी बनी हुई है। यह कैंसर से भी घातक है। इसमें डेथ रेट अधिक है। खासकर फंगस दिमाग में पहुंच गया तो मरीज का बचना मुश्किल है। इलाज 15 दिन से डेढ़ महीने तक चलता है। इसके बाद ही फिर जांच करनी पड़ती है। तब पता चलेगा कि मरीज पूरी से ठीक हुआ या अभी उसे और इलाज की जरूरत है।
इंदौर में 250…भोपाल में 140 अस्पतालों में
इंदौर में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालात ऐसे हैं कि एमवायएच में पांच दिन पहले 8 मरीजों की भर्ती के साथ शुरू हुआ वार्ड फुल हो चुका है। अब यहां पांच वार्ड में 130 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। पूरे इंदौर की बात करें तो 250 से ज्यादा मरीज अलग-अलग अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। वहीं भोपाल में भी ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे है। यहां के तीन अस्पताल में ही 140 से अधिक मरीज भर्ती हैं। ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में 20 बेड इस समय फुल हो गए हैं। वहीं जबलपुर में वर्तमान 125 मरीज मिल चुके हैं। उज्जैन में 58 मरीज भर्ती हैं।
छग में अभी ब्लैक फंगस के 102 मरीज
छत्तीसगढ़ में ब्लैक फंगस के 102 मरीजों का इलाज चल रहा है। इनमें से 78 मरीज तो रायपुर एम्स में ही भर्ती हैं। रायपुर और दुर्ग जिले को सबसे अधिक प्रभावित बताया जा रहा है। दुर्ग जिले में 23 मरीजों की पहचान हुई है। प्रदेश में ब्लैक फंगस से मौत का पहला मामला भी दुर्ग के भिलाई में ही आया था। मृतकों में दुर्ग, महासमुंद और कोरिया जिलों के मरीज बताए जा रहे हैं। इधर रायपुर सीएमएचओ स्तर पर एक जिला स्तरीय सर्विलेंस सेल बनाई गई है। इसमें 12 डॉक्टरों को शामिल किया गया है। इस सेल ने जिले के 1600 ऐसे लोगों की सूची बनाई है, जिन्हें कोरोना के इलाज के दौरान लंबे समय तक आईसीयू में रहना पड़ा था। सेल के डॉक्टर एक तय प्रश्नावली के हिसाब से इन लोगों को फोन कर फीडबैक लेंगे। अगर उनमें से किसी मरीज में ब्लैक फंगस के लक्षण की संभावना दिखे तो उन्हें अस्पताल बुलाकर जांच करने की व्यवस्था करनी है। इस सूची में आगे भी लोग जुड़ते रहेंगे।
इंजेक्शन की कमी, ऑपरेशन की पेंडेंसी बढ़ी
जिस तरीके से बीते दिनों कोरोना के इलाज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत थी, अब वैसे ही ब्लैक फंगस के इलाज और उसके संक्रमण रोकने के लिए लगाए जाने वाले एंफोटेरिसिन-बी लाइपोसोमेल इंजेक्शन की कमी है। ब्लैक फंगस के मरीज को एक दिन में चार डोज लगते हैं। शुरुआत में 7 दिनों तक इंजेक्शन लगना जरूरी है। एक इंजेक्शन की कीमत 5 से 7 हजार रुपए है। लेकिन, यह इंजेक्शन मार्केट में उपलब्ध नहीं है।
दवा का उत्पादन बढ़ाने का फैसला
ब्लैक फंगस के इलाज में असरदार दवा एम्फोटेरिसीन-बी की कमी सामने आने के बाद अब इसके उत्पादन के लिए 5 कंपनियों को मंजूरी दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार ब्लैक फंगस के लिए एम्फोटेरिसीन-बी जिसकी देश में सीमित उपलब्धता थी, उसे बढ़ाया जा रहा है। 5 अतिरिक्त मैन्युफैक्चर्स को लाइसेंस दिलाने का काम किया जा रहा है। अभी जो मैन्युफैक्चर्स हैं, वो भी उत्पादन बढ़ा रहे हैं।

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