बड़े दिनों बाद गुलजार हुए बाजार

बड़े दिनों बाद गुलजार हुए बाजार

धनतेरस पर पिछले वर्षो से ज्यादा कारोबार, आटोमोबाईल सेक्टर मे दिखी ग्रांहकी

बांधवभूमि न्यूज

मध्यप्रदेश, उमरिया
सामग्री की खरीद के लिये सबसे उपयुक्त मुहूर्त कहे जाने वाले धनतेरस पर्व पर इस बार पिछले वर्षो की तुलना मे बेहतर कारोबार हुआ है। विशेषकर आटोमोबाईल, इलेक्ट्रानिक, बर्तन आदि की दुकानो पर कई दिनो बाद त्यौहार वाली भीड़ दिखाई दी। वाहन व्यापार से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस बार पूर्व की तुलना मे लगभग दोगुनी खरीददारी हुई है। जानकारों का मानना है कि कोरोना के बाद से करीब दो वर्ष तक सुस्त रहे व्यापार मेे इस धनतेरस पर काफी उठाव रहा। पिछली बार शनिवार को त्यौहार पडऩे से खरीददारी प्रभावित हुई थी, वो कारण भी इस बार नहीं होने से लोगों ने बाजारों मे जम कर लेनदेन किया। कल शनिवार होने से भले ही वाहन, उपकरण और स्टील आदि की खरीददारी कुछ कम रहे पर दीपावली पर अच्छा व्यापार होने की संभावना है।

पांच दिनी प्रकाश पर्व का शुभारंभ
धनतेरस के सांथ ही पांच दिनी प्रकाश पर्व दीपावली की शुरूआत हो गयी। धनतेरस पर इस बार अपेक्षा अनुरूप कारोबार रहा। बाजारों मे खासी भीड़ उमड़ी। बर्तन, कपड़ा, किराना, आटोमोबाइल्स और इलेक्ट्रानिक दुकानो मे ग्रांहकी संतोषप्रद रही। इस दौरान जिले मे करीब 30 से 40 करोड़ का व्यापार हुआ है। मध्यम वर्गीय परिवारों का रूझान जहां वाहन, बर्तन, टीवी, फ्रीज तथा वाशिंग मशीन जैसे इलेक्ट्रानिक उपकरणों की ओर रहा वहीं ग्रामीण अंचलों के लोग बर्तन, कपड़ा तथा मोबाईल की खरीददारी मे व्यस्त रहे। धनतेरस पर जिला मुख्यालय मे लगभग 10 करोड़ का बिजनेस होने की बात कही जा रही है। आटोमोबाईल व्यापार भी मंदी से उबरता दिखा। बताया गया है कि जिले भर मे धनतेरस पर करीब 400 दोपहिया व 100 चारपहिया वाहनो की खरीद हुई है। चारपहिया मे ट्रेक्टर सर्वाधिक बिके।

धनवंतरि की हुई पूजा
धन तेरस देवताओं के वैद्य भगवान धनवंतरि के अवतरण का दिन है। माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान धनवंतरि कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को अमृत कलश लेकर पैदा हुए थे और उन्होने ही औषधि शास्त्र की रचना की है। धनवंतरि को देवताओं का वैद्य भी कहा जाता है। कल चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े लोगों ने भगवान धनवंतरि की विधि विधान से पूजा अर्चना कर रोगियों के प्रति बेहतर सेवाभाव जाग्रत करने की कामना की। लोकमान्यता यह भी है कि भगवान धनवंतरि के कलश लेकर पैदा होने के कारण ही धनतेरस पर बर्तनों के खरीदी की शुरूआत हुई।

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