बच्चों का डर दिखा कर की जा रही ठगी
पुलिस ने जारी की एडवायजरी, अंजान नंबरों से आने वाले फोन कॉल से सतर्क रहें नागरिक
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
पुलिस ने जिले के नागरिकों को अंजान नंबरों पर आये फोन कॉल से सतर्क रहने की अपील की है। विभाग द्वारा इस संबंध मे एक एडवायजरी जारी कर बताया है कि इन दिनो बहुत सारे जालसाज बाहर शहरों मे पढ रहे बच्चों के सांथ किसी अनहोनी का भय दिखा कर लोगों से ठगी कर रहे हैं। इस तरह की कई शिकायतें सामने आ रही हैं, जिनमे संबंधित परिवारजनो से कहा जाता है कि आपका बेटा-या बेटी किसी अपराध मे फला थाने मे बंद है, या उसने कोई अपराध कर दिया है। यह सुनते ही लोग बेचैन हो उठते हैं। इसके बाद फोन पर बात कर रहा ठग कहता है कि अभी कोई कार्यवाही नहीं हुई है, यदि अपने बच्चे का बचाना चाहते हो, तो इतनी राशि किसी खाते या यूपीआई के जरिये भेज दो। इस तरह की घटनाओं मे माता-पिता या अभिभावक तुरंत ही अपने बच्चों से संपर्क करने का प्रयास करते हैं, अगर उनकी बात हो गई, तब तो ठीक, परंतु किसी कारणवश फोन नहीं लगा, या रिसीव नहीं हुआ तो घबरा कर मजबूरन वे मांगी गई रकम बदमाशों द्वारा बताये गये खातों मे ट्रांसफर कर देते हैं। अभी तक कई लोग ऐसे तत्वों के झांसे मे आ कर मानसिक और आर्थिक नुकसान झेल चुके हैं।
कलेक्टर के पास भी आया फोन
ऐसे बदमाश सिर्फ आम लोगों को ही अपना शिकार नहीं बना रहे बल्कि बडे अधिकारियों को भी झांसा देने मे गुरेज नहीं कर रहे। हाल ही मे कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन के पास भी इस तरह का फ्राड कॉल आया था, परंतु उनकी सजगता तथा जागरूकता के कारण सायबर अपराधियों की दाल नहीं गल सकी।
विदेशों के हो सकते हैं अपराधी
पुलिस का अनुमान है कि इस तरह केे सायबर अपराध मे संलिप्त बदमाश देश के बाहर के हो सकते हैं, लिहाजा उनके विरूद्ध त्वरित कार्यवाही होना संभव नहीं है। अत: जागरूकता और सावधानी ही ऐसे ठगों से बचाव का एकमात्र उपाय है।
यह है धोखाधडी का तरीका
विभाग ने बताया कि इस तरह के ठग उन परिवारों को अपना शिकार बनाते हैं, जिनके बच्चे अपने घर से दूर बाहर किसी शहर या विदेश मे पढाई अथवा नौकरी कर रहे हैं। उनके घरों मे सायबर अपराधियों द्वारा वाईस या व्हाट्सएप कॉल की जाती है। अधिकांशत: ऐसे नंबरों की प्रोफाइल पर वर्दीधारी पुलिस अधिकारी की फेक फोटो लगी होती है। बातचीत के दौरान वह स्वयं को एक पुलिस अधिकारी बताते हुए बच्चे के किसी बड़े अपराध मे पकडे जाने की बात कहता है। फिर वह कहता है कि अभी तक कोई कार्यवाही नही हुई है, यदि उसे बचाना चाहते हो तो बताई गई राशि किसी खाते या यूपीआई के माध्यम से भेंज दें। अधिकांशत: कॉल बच्चो के कॉलेज, कोचिंग या नौकरी मे बिजी रहने के समय किये जाते हैं। जिसकी वजह से माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा किये गये फोन बच्चे नहीं उठा पाते। इस काम मे सायबर अपराधियों द्वारा नवीन टेक्नोलिजी जैसे एआई (आर्टिफीशियल इंटलीजेंस) का उपयोग कर बच्चों की हुबहू आवाज कॉल पर सुनाई जाती है, जिससे उनकी बातो पर यकीन हो जाता है और अभिभावक आनन-फानन मे उनकी बताई हुई राशि ट्रांसफर कर देते हैं।
क्या रखें सावधानी
ऐसे मे मामलों मे अनजान नंबरो से आने वाले व्हाट्सएप, वीडियो या अन्य सोशल मीडिया के कॉल न उठायें। इसी तरह अनजान नंबरो से आये मैसेज, व्हाट्सएप मैसेज पर प्राप्त एप या लिंक पर टच न करें, न ही उन पर विश्वास करें। अनजान व्यक्तियों पर सीधे विश्वास न करें, उन्हे सामने से अपने एवं अपने बच्चो की जानकारी न दें। वह आपके सांथ उसी जानकारी के आधार पर जालसाजी कर सकता है। अनजान नंबर से कॉल आने पर जानी पहचानी आवाज सुनाई देने पर भी पहले उस व्यक्ति के संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त करें उसके पश्चात ही कुछ बात करें। अपने परिवार के सदस्यों को सायबर अपराधो से बचने के लिये कहें। सोशल मीडिया पर अपने एवं अपने बच्चो व उनके बाहर पढऩे एवं रहने की संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी शेयर न करें। जालसाज अपराधी आपकी इन्ही जानकारियों का फायदा उठाते हैं। बच्चे जहां रह रहे हैं या पढाई कर रहे हैं, वहां के संस्थानो, हॉस्टल या पीजी संचालको के नंबर आवश्यक रूप से अपने पास रखें ताकि जरूरत पडने पर जानकारी ली जा सके।
92 की सीरिज के नंबरों से सावधान रहें
इस तरह के फ्राड कॉल अधिकांशत: 92 की सीरिज या इसके जैसे अन्य कोड के साथ शुरू होने वाले फोन नंबरों के होते हैं। ऐसे नंबरों से आने वाले कॉल या मैसेज पर भूलकर भी ध्यान न दें। सांथ ही व्हाट्सएप प्रोफाइल पर लगी पुलिस अधिकारी की फोटो पर विश्वास न करें। अपने व्हाट्सएप की सेटिंग मे अंजान कॉल के नोटिफिकेशन को बंद करके रखें। किसी भी तरह का सायबर अपराध घटित होने पर इसकी शिकायत तत्काल अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन एवं सायबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें।