MCX पर क्रूड ऑयल का मार्च वायदा गुरुवार को 4% से ज्यादा बढ़कर 8600 रुपए (करीब 113 डॉलर) प्रति बैरल को पार कर गया। क्रूड 8495 (112.21 डॉलर) पर खुला और इसने 8677 रुपए (114.62) का हाई बनाया। दिसंबर 2021 में क्रूड का औसत मूल्य 73 डॉलर के करीब था, तब तेल कंपनियों को 8-10 रुपए प्रति लीटर का अतिरिक्त मुनाफा हो रहा था। कच्चे तेल के दाम चढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल-डीजल पर 5-6 रुपए प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है। क्रूड के दाम लगातार बढ़ने से कंपनियों का घाटा भी लगातार बढ़ रहा है। एक्सपर्ट क्रूड ऑयल के 150 डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं।पेट्रोल-डीजल पर टैक्स का गणित
पेट्रोल/लीटर (रु.) | डीजल/लीटर (रु.) | |
बेस प्राइस | 47.99 | 49.34 |
भाड़ा | 0.25 | 0.28 |
एक्साइज ड्यूटी | 27.90 | 21.80 |
डीलर कमीशन | 3.77 | 2.57 |
वैट | 15.50 | 12.68 |
कुल कीमत | 95.41 | 86.67 |
नोट: ये आंकड़े 2 मार्च को दिल्ली में पेट्रोल-डीजल की कीमत के हिसाब से हैं।
रूस-यूक्रेन जंग ने बढ़ाए क्रूड के भाव
24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर रूस के आक्रामण के तुरंत बाद दुनियाभर के शेयर बाजार धराशाई हो गए, सोने की कीमतें बढ़ गई और क्रूड ऑयल रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया। रूस ऑयल और नेचुरल गैस का बड़ा उत्पादक है। BP स्टैटिकल रिव्यू के अनुसार 2020 में रूस क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस कंडेनसेट के उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर था। इस दौरान रूस ने प्रति दिन 10.1 मिलियन बैरल का उत्पादन किया। रूस इसमें से आधे तेल का इस्तेमाल अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए करता है और प्रति दिन 50 लाख से 60 लाख बैरल एक्सपोर्ट करता है। यूक्रेन पर आक्रामण की वजह से रूस पर कई पाबंदियां लगाई है। इससे क्रूड सप्लाई प्रभावित हो सकती है। इन्हीं आशंकाओं के चलते क्रूड हर दिन नया रिकॉर्ड बना रहा है।
क्रूड की 85% आपूर्ति के लिए भारत अन्य देशों पर निर्भर
भारत क्रूड ऑयल की 85% से ज्यादा आपूर्ति के लिए अन्य देशों पर निर्भर है। रूस के तेल एक्सपोर्ट का लगभग आधा- करीब 25 लाख बैरल प्रति दिन – जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पोलैंड, फिनलैंड, लिथुआनिया, ग्रीस, रोमानिया और बुल्गारिया सहित यूरोपीय देशों को भेजा जाता है। हालांकि, भारत काफी कम तेल रूस से इंपोर्ट करता है।2021 में भारत ने रूस से प्रति दिन 43,400 बैरल तेल का इंपोर्ट किया। ये भारत के तेल इंपोर्ट का केवल 1% है। रूस पर लगी पाबंदियों की वजह से भारत की तेल सप्लाई तो ज्यादा प्रभावित नहीं होगी, लेकिन क्रूड के दाम बढ़ने का सीधा असर होगा।
एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर सकती है सरकार
एक्सपर्ट्स का मानना है कि महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर सकती है। केंद्र सरकार ने कोरोना की पहली लहर में दो बार में पेट्रोल-डीजल पर लगले वाली एक्साइज ड्यूटी में 15 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी।हालांकि इसके बाद 3 नवंबर को पेट्रोल पर 5 और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी की कटौती की थी। अगर सरकार दाम बढ़ाने के बाद एक्साइज ड्यूटी में कटौती नहीं करती है तो महंगाई बेकाबू हो सकती है।
पेट्रोल-डीजल की कीमत कैसे निर्धारित होती है?
जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया। अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।