नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार पूर्वोत्तर के राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक में वहां कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई। भले ही देश के 73 फीसदी केस महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और केरल में सामने आ रहे हों, लेकिन इसके बाद देश के किसी बड़े हिस्से (करीब 8 फीसदी ) में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण की बात करें तो वो पूर्वोत्तर दूसरे बड़े केंद्र के तौर पर उभर रहा है। आलम यह है कि देश की राजधानी दिल्ली से 12 गुना और उत्तरप्रदेश से करीब 6 गुना ज्यादा कोरोना के नए मामले अकेले अरुणाचल प्रदेश में मिल रहे हैं। असम में भी कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है और 12 जुलाई को वहां 2575 नए मरीज मिले। यह देश में महाराष्ट्र, केरल औऱ तमिलनाडु के बाद कोरोना के नए मरीजों का एक दिन में सबसे बड़ा आंकड़ा रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 5 से 11 जुलाई के बीद देश के 58 ऐसे जिले रहे, जहां पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से ज्यादा था, इनमें से 37 फीसदी पूर्वोत्तर राज्यों से थे।पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों को मिला लिया जाए तो 12 जुलाई को कुल 5555 कोरोना के नए मामले सामने आए। इनमें से करीब 46 प्रतिशत केस तो सिर्फ असम में सामने आए। केंद्र सरकार ने असम, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में कोरोना की रोकथाम के लिए टीमें भी भेजी हैं। वहीं अरुणाचल प्रदेश में कोरोना के 566 नए मामले सामने आए, जो एक दिन में अब तक सबसे बड़ी संख्या है। इससे पहले 29 मई को सर्वाधिक 497 केस सामने आए थे। अरुणाचल में पॉजिटिविटी रेट 9.21 फीसदी है। विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही पूर्वोत्तर के मामले संख्या के हिसाब से कम हों, लेकिन कम आबादी के कारण इन्हें बड़े खतरे के तौर पर देखा जाना चाहिए। दिल्ली की आबादी दो करोड़ से ज्यादा है। यूपी की आबादी तो 24 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। जबकि अरुणाचल प्रदेश की जनसंख्या करीब 16 लाख ही है। अरुणाचल में यह हालत तब है, जबकि 57 फीसदी आबादी को कोरोना टीके की पहली खुराक मिल चुकी है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में कोरोना विस्फोट से प्रधानमंत्री चिंतित
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