पीएम मोदी बोले-रातोंरात नहीं बने कृषि कानून, टिकैत ने कहा, झूठ है मोदी जी का संबोधन
नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मप्र के किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर सिलसिलेवार ढंग से सरकार का पक्ष रखा और विपक्ष पर किसानों को बरगलाने का आरोप लगाया। पीएम मोदी ने कहा कि ये कानून रातोंरात नहीं बने हैं। पिछले 22 सालों से हर सरकार ने इन पर विचार किया है। उन्होंने किसानों से अपील की कि यदि किसी को कोई आशंका है तो सिर झुकाकर और हाथ जोड़कर बात करने को तैयार हैं। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि देशभर में किसानों ने नए कृषि सुधारों को न सिर्फ गले लगाया है बल्कि भ्रम फैलाने वालों को भी सिरे से नकार रहे हैं। जिन किसानों में अभी थोड़ी सी आशंका बची है उनसे मैं फिर से कहूंगा कि आप एक बार फिर से सोचिए। उन्होंने ने विपक्षी पार्टियों से निवेदन किया है कि कृपया सारा श्रेय अपने पास रखें। मैं किसानों की प्रगति चाहता हूं और खेती में आधुनिकता चाहता हूं।
फार्मिंग एग्रीमेंट में सिर्फ फसलों का समझौता
किसानों से सीधा संवाद करते हुए पीएम ने स्पष्ट किया कि फार्मिंग एग्रीमेंट में सिर्फ फसलों या उपज का समझौता होता है। जमीन किसान के ही पास रहती है, एग्रीमेंट और जमीन का कोई लेना-देना ही नहीं है।फार्मिंग एग्रीमेंट को लेकर बड़ा झूठ चल रहा है, जबकि हमारे देश में बरसों से फार्मिंग एग्रीमेंट की व्यवस्था चल रही है।
पंजाब सरकार ने मनाया था जश्न
पीएम ने बताया कि अभी किसी ने मुझे 8 मार्च 2019 के अखबार की एक रिपोर्ट भेजी है। इसमें पंजाब की कांग्रेस सरकार, किसानों और एक मल्टीनेशनल कंपनी के बीच 800 करोड़ रुपये के फार्मिंग एग्रीमेंट का जश्न मना रही है। पंजाब के किसान की खेती में ज्यादा निवेश हो, ये हमारी सरकार के लिए खुशी की ही बात है।
मंडियां बंद होने को लेकर फैलाया जा रहा है झूठ
उन्होंने सवाल किया कि एक और झूठ पफैलाया जा रहा है कि मंडियां बंद हो जाएंगी।जबकि सचाई यह है कि नए कानून के बाद एक भी मंडी बंद नहीं हुई है। फिर क्यों ये झूठ फैलाया जा रहा है? सच्चाई तो ये है कि हमारी सरकार एपीएमसी को आधुनिक बनाने पर, उनके कंप्यूटरीकरण पर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर रही है। फिर ये एपीएमसी बंद किए जाने की बात कहां से आ गई। नए कानून में हमने सिर्फ इतना कहा है कि किसान चाहे मंडी में बेचे या फिर बाहर, ये उसकी मर्जी होगी। अब जहां किसान को लाभ मिलेगा, वहां वो अपनी उपज बेचेगा।
एमएसपी पर किया जा रहा है गुमराह
समर्थन मूल्य प्रणाली यानी एमएसपी बंद करने की आशंका को लेकर पीएम मोदी ने किसानों से कहा कि जो लोग किसानों को न एमएसपी दे सके, न एमएसपी पर ढंग से खरीद सके, वो एमएसपी पर किसानों को गुमराह कर रहे हैं। पीएम ने कहा कि 2014 से पहले के 5 साल में पिछली सरकार ने सिर्फ डेढ़ लाख टन दाल ही किसानों से खरीदी। जब साल 2014 में हमारी सरकार आई तो हमने नीति भी बदली और बड़े निर्णय भी लिए। हमारी सरकार ने किसानों से पहले की तुलना में 112 लाख टन दाल एमएसपी पर खरीदी। 2014 के समय को याद कीजिए, किस प्रकार देश में दालों का संकट था। देश में मचे हाहाकार के बीच दाल विदेशों से मंगाई जाती थी।
किसानों के खाते में पहुंचा ज्यादा पैसा
राजनीति के लिए किसानों का उपयोग करने वाले लोगों ने किसान के साथ क्या बर्ताव किया, इसका एक और उदाहरण है, दलहन की खेती। पिछली सरकार के पांच साल में किसानों को धान और गेहूं की एमएसपी पर खरीद के बदले 3 लाख 74 हजार करोड़ रुपए ही मिले थे। हमारी सरकार ने इतने ही साल में गेहूं और धान की खरीद करके किसानों को 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दिए हैं।यानी हमारी सरकार ने न सिर्फ एमएसपी में वृद्धि की, बल्कि ज्यादा मात्रा में किसानों से उनकी उपज को एमएसपी पर खरीदा है। इसका सबसे बड़ा लाभ ये हुआ है कि किसानों के खाते में पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा पैसा पहुंचा है।
राकेश टिकैत ने पीएम मोदी के संबोधन की बातों को बताया झूठ, कहा- हमें 500 की भीख नहीं एमएसपी का हक चाहिए
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 23वें दिन में प्रवेश कर गया है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मध्यप्रदेश के किसानों के साथ संवाद किया हालांकि उसके बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने पीएम की अधिकतर बातों को झूठ बताया और कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र का भी निजीकरण करना चाहती है।
500 रुपये महीना की भीख नहीं समर्थन मूल्य का हक चाहिए
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हमें 500 रुपये महीना की भीख नहीं समर्थन मूल्य का हक चाहिए। यूरिया का 5 किलो वजन घटाया जिससे किसान का नुकसान हुआ। शहद का किसान जैव परिवर्तित सरसो का विरोध कर रहा है, लेकिन मोदी सरकार आगे बढ़ रही है।
स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू करने की बात सरासर झूठ है
राकेश टिकैत ने पीएम मोदी की बात को गलत बताते हुए कहा कि किसानों से चर्चा की बात गलत है। किसान संगठनों से कानून को लेकर कोई चर्चा नहींं की गई। टिकैत ने ये भी कहा कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने का दावा सरासर झूठ है। स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट विस्तृत है। स्वामीनाथन की सिफारिश में लागत में C2+ 50% जोड़कर देने की है। भाजपा ने चालाकी दिखाकर फार्मूला बदलकर A2+FL कर दिया, जिससे किसानों का हक मारा जा रहा है।
किसानों को नहीं मोदी जी एग्री बिजनेस को बढ़ावा दे रहे है
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि मोदी जी भंडारण हेतु ढांचे की बात कर रहे हैं। लेकिन अपील कॉरपोरेट से कर रहे हैं, इसका मतलब मोदी जी किसान को नहीं एग्री बिजनेस को बढ़ावा दे रहे हैं। खेती में निजीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। नवरत्न कंपिनयों के निजिकरण के बाद मोदी जी की निगाह अब खेती के निजीकरण पर है।
गन्ना किसानों को 16 करोड़ की मदद देने की बात सबसे बड़ा झूठ है
पीएम मोदी के संबोधन के बाद भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, मोदी जी के संबोधन में सबसे बड़ा झूठ ये है कि गन्ना किसानों को 16 करोड़ की मदद की जा रही है। यह मदद नहीं शुगर मिल पर किसानों का बकाया है उसका भुगतान शुगर मिल को करना था। अगर सरकार उसको दे रही है तो शुगर मिलों को मदद मिल रही है। सरकार अगर इसे इंसेंटिव के रूप में देती तो कोई लाभ होता है।