श्रमिकों ने प्रशासन से लगाई गुहार, सबएरिया पर मिलीभगत का आरोप
उमरिया। जिले मे एसईसीएल द्वारा संचालित उमरिया और पिपरिया कालरी मे वर्षो से कार्यरत ठेकेदारी मजदूरों ने एक बार फिर जिला प्रशासन से पीएफ की राशि दिलाने और धोखाधड़ी करने वाले ठेकेदारों व अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने की मांग की है। कल कलेक्ट्रेट मे ज्ञापन सौंपते हुए मजदूरों ने बताया कि डीके सिंह, रामअवध, नसीम खान, राम सिंह, भूपेन्द्र सिंह, अवधकिशोर आदि ठेकेदारों ने उन्हे काम पर रखा था। श्रमिकों से अण्डर ग्राउण्ड मे काम कराया जाता था, जिसकी एवज मे उन्हे 300-350 रूपये प्रतिदिन मजदूरी दी जाती थी। ठेकेदारों ने बताया था कि मजदूरी से साढ़े बारह प्रतिशत राशि पीएफ खाते मे जमा करने हेतु काट कर सीएमपीएफ जबलपुर भेजी जा रही है, परंतु जब वहां जा कर इस संबंध मे जानकारी ली गई तो संबंधित विभाग के अधिकारियों ने किसी भी तरह की राशि जमा होने से इंकार कर दिया।
अब कर रहे टालमटोल
इस मुद्दे पर अब ठेकेदार और अधिकारी भी टालमटोल कर रहे हैं, इससे साफ है कि सब एरिया मैनेजर और ठेकेदार की मिलीभगत से मजदूरों की राशि डकार ली गई है। उल्लेखनीय है कि इन मजदूरों ने पहले भी इस मामले मे प्रशासन और पुलिस के समक्ष शिकायत की थी , परंतु अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
टूट गई उम्मीदें
पीडि़त श्रमिकों के मुताबिक उनमे से कुछ ने 10 तो कई ने 15 से 20 साल तक खदानो मे मजदूरी की है। जी तोड़ मेहनत के दौरान हमेशा इस बात का संतोष रहा कि वेतन मे से काटी जा रही राशि उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगी लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलकर उनकी सारी उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया है। ताज्जुब की बात तो यह है कि मजूदरों के सांथ हुई इतनी बड़ी धोखाधड़ी के बावजूद उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
क्या करता रहा प्रबंधन
एसईसीएल के अधिकारी यह सारा मामला ठेकेदार और श्रमिकों के बीच का बता कर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं पर वे इस जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। जानकारों का मानना है कि मजदूर भले ही सीधे तौर पर कम्पनी से नही जुड़े हुए हैं, फिर भी प्रबंधन का दायित्व है कि वह ठेकेदार द्वारा काटी जा रही राशि कोयला खान भविष्य निधि के खाते मे जमा होने की समय-समय पर तहकीकात कराये।
प्रबंधन की चुप्पी पर सवाल
ज्ञांतव्य हो कि जितनी राशि मजदूरों के वेतन से काटी जाती है, उतना ही पैसा पीएफ विभाग द्वारा मिला कर मजदूरों के खाते मे जमा किया जाता है, जो फिर उन्हे ब्याज सहित वापस होता है। समय पर काटी गई राशि जमा न होने से जहां मजदूरों को भारी नुकसान हआ है, वहीं यह लाखों रूपये का घोटाला माना जा रहा है। इस पूरे मामले मे एसईसीएल प्रबंधन की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है।