गुजरात विस चुनाव: पिछली बार से 7 फीसदी कम वोटिंग, 58 पर सिमटा सौराष्ट्र
अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग गुरुवार शाम 5 बजे पूरी हो गई। इस तरह 19 जिलों की 89 सीटों के लिए मैदान में उतरे 788 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है। पहले चरण में 60.47 फीसदी से ज्यादा लोगों ने मतदान किया। हालांकि अंतिम आंकड़े आने अभी बाकी हैं।सौराष्ट्र-कच्छ में सिर्फ 58 फीसदी मतदान हुआ। वहीं, दक्षिण गुजरात में 66 फीसदी वोटिंग दर्ज की गई है। इस तरह सौराष्ट्र में दक्षिण गुजरात के मुकाबले 8 फीसदी कम वोटिंग हुई है। यहां के 12 जिलों में सिर्फ मोरबी में ही 54% वोट पड़े हैं। बाकी के अन्य जिलों में 50% से भी कम वोटिंग हुई है। इस तरह पाटीदार क्षेत्र में कम मतदान ने कैंडिडेट्स को असमंजस में डाल दिया है।
ज्यादा वोटिंग वाली सीटों पर हुआ था कांग्रेस को फायदा
वहीं, अब पिछले चुनाव (2017) की बात करें तो इन सीटों पर कुल 67.23% वोट पड़े थे। इस दौरान जिन सीटों पर 70 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई थी, उनमें से ज्यादातर सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी। हालांकि वोट प्रतिशत में भाजपा ज्यादा पीछे नहीं थी।
2017 के चुनाव में कपराडा, नीजर, मांडवी (एसटी), व्यारा, वांसदा, नंदोद, सोमनाथ, वंकानेर, टंकारा, जसदण, डांग्स, मोरबी, जंबुसर, तलाला में कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत मिली थी। वहीं, भाजपा ने जेतपुर (राजकोट), अंकलेश्वर, मांडवी, नवसारी, जलालपोर, धरमपुर, मंगरोल (एसटी), महुवा (एसटी), वागरा, गनदेवी, बरदोली सीटों पर अपना परचम लहराया था। वहीं अन्य दो सीटें डेडीआपाडा और झगडिया भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के खाते में गई थीं।राज्य के 19 जिलों में आने वाली इन सीटों पर 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले फेज में दो करोड़ से ज्यादा वोटर्स को अपने मत का इस्तेमाल करना था। पहले फेज की कुल 89 सीटों में से भाजपा के पास सबसे ज्यादा 58, कांग्रेस के पास 26 और BTP के पास 2, NCP के पास एक सीट है।पहले फेज की कुल 89 सीटों में से छह से सात सीटें ऐसी हैं, जहां केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यानी AAP का असर है। इनमें से छह सीटें सूरत जिले की हैं। वहीं, एक सीट द्वारका जिले में है। द्वारका की खंभालिया सीट से AAP के CM कैंडिडेट ईशुदान गढ़वी मैदान में हैं।
वहीं, अब पिछले चुनाव (2017) की बात करें तो इन सीटों पर कुल 67.23% वोट पड़े थे। इस दौरान जिन सीटों पर 70 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई थी, उनमें से ज्यादातर सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी। हालांकि वोट प्रतिशत में भाजपा ज्यादा पीछे नहीं थी।
2017 के चुनाव में कपराडा, नीजर, मांडवी (एसटी), व्यारा, वांसदा, नंदोद, सोमनाथ, वंकानेर, टंकारा, जसदण, डांग्स, मोरबी, जंबुसर, तलाला में कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत मिली थी। वहीं, भाजपा ने जेतपुर (राजकोट), अंकलेश्वर, मांडवी, नवसारी, जलालपोर, धरमपुर, मंगरोल (एसटी), महुवा (एसटी), वागरा, गनदेवी, बरदोली सीटों पर अपना परचम लहराया था। वहीं अन्य दो सीटें डेडीआपाडा और झगडिया भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के खाते में गई थीं।राज्य के 19 जिलों में आने वाली इन सीटों पर 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले फेज में दो करोड़ से ज्यादा वोटर्स को अपने मत का इस्तेमाल करना था। पहले फेज की कुल 89 सीटों में से भाजपा के पास सबसे ज्यादा 58, कांग्रेस के पास 26 और BTP के पास 2, NCP के पास एक सीट है।पहले फेज की कुल 89 सीटों में से छह से सात सीटें ऐसी हैं, जहां केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यानी AAP का असर है। इनमें से छह सीटें सूरत जिले की हैं। वहीं, एक सीट द्वारका जिले में है। द्वारका की खंभालिया सीट से AAP के CM कैंडिडेट ईशुदान गढ़वी मैदान में हैं।
पुल हादसे से चर्चा में आई मोरबी में वोटिंग
पुल हादसे के चलते चर्चा में आए मोरबी जिले की तीन सीटों मोरबी, टंकारा और वांकानेर पर आज वोटिंग हुई। इन सीटों पर चुनावी हार-जीत का आंकड़ा देखें, तो 1962 से लेकर अब तक छह बार भाजपा और पांच बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। दो बार निर्दलीय कैंडिडेट जीते हैं।पिछले चुनाव यानी 2017 की बात करें तो पाटीदार प्रभावित मोरबी सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले ब्रजेश मेरजा ने पार्टी बदल ली थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। हालांकि, इस बार भाजपा ने ब्रजेश मेरजा को टिकिट नहीं दिया है और ब्रिज हादसे में लोगों की जान बचाने वाले कांतिलाल अमृतिया को चुनाव मैदान में उतारा है।
पुल हादसे के चलते चर्चा में आए मोरबी जिले की तीन सीटों मोरबी, टंकारा और वांकानेर पर आज वोटिंग हुई। इन सीटों पर चुनावी हार-जीत का आंकड़ा देखें, तो 1962 से लेकर अब तक छह बार भाजपा और पांच बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। दो बार निर्दलीय कैंडिडेट जीते हैं।पिछले चुनाव यानी 2017 की बात करें तो पाटीदार प्रभावित मोरबी सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले ब्रजेश मेरजा ने पार्टी बदल ली थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। हालांकि, इस बार भाजपा ने ब्रजेश मेरजा को टिकिट नहीं दिया है और ब्रिज हादसे में लोगों की जान बचाने वाले कांतिलाल अमृतिया को चुनाव मैदान में उतारा है।
हाईटेक सीट है राजकोट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट राजकोट पश्विम पर भी पहले फेज में वोटिंग हो रही है। मोदी ने 2002 में राजकोट पश्विम से चुनाव लड़ा था। तब वे 14 हजार वोट से जीते थे। 2002 के बाद दो बार भाजपा से वजुभाई वाला और एक बार विजय रूपानी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। लोहाना, ब्राह्मण, पाटीदार और जैन समाज के असर वाली इस सीट पर 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने डॉ. दर्शिता शाह को उतारा है।
Advertisements
Advertisements