प्रदेश का गौरव बढाते बांधवगढ के बाघ
ग्रामीणो के त्याग और प्रबंधन के परिश्रम से बढता जा रहा वनराज का कुनबा
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया-बाघ दिवस पर विशेष
दुर्लभ वन्यजीवों की आश्रय स्थली बांधवगढ टाईगर रिजर्व नकेवल उमरिया जिले बल्कि समूचे मध्यप्रदेश के लिये भी बेहद महत्वपूर्ण बन गया है। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद स्थानीय ग्रामीणो के त्याग और कुशल प्रबंधन के चलते यह अपनी विरासत को को बचाने के सांथ इसे विस्तार देने मे भी सफल रहा है। उद्यान ने बाघों की सबसे तेज की वंशवृद्धि के रूप मे अपनी पहचान बना ली है। जानकारी के अनुसार वर्तमान मे यहां 165 वयस्क बाघ हैं। यदि शावकों को भी जोड़ लिया जाय तो यह संख्या दो सौ के पार हो जाती है। मप्र द्वारा टाईगर स्टेट की उपलब्धि हांसिल करने मे भी बांधवगढ का अहम योगदान है। हलांकि बाघों की बढ़ती संख्या उद्यान के लिये बड़ी चुनौतियां भी खड़ी करती है, जिससे निपटने के लिये पार्क प्रंबंधन को निरंतर जूझना पड़ता है। वैसे बांधवगढ के बाघों की वृद्धि मे स्थानीय ग्रामीणो का भी बडा हांथ है, जो तमाम तरह के नुकसान सह कर भी अपना सहयोग जारी रखे हुए हैं।
यह भी है खासियत
बताया जाता है कि बांधवगढ मध्यप्रदेश का एकमात्र ऐसा उद्यान है, जहां 200 बाघों के अलावा करीब 65 जंगली हाथी भी विचरण करते हैं। इसके बाद संजय टाईगर रिजर्व का नंबर आता है, जहां बाघ और हांथी पाये जाते हैं, पर इनकी संख्या बांधवगढ जितनी नहीं है। उद्यान के उप संचालक पीके वर्मा का मानना है कि बाघ तथा हाथियों के बढ़ते घनत्व से वन्य प्राणी और मानव द्वंद की घटनाओं मे स्वाभाविक तौर पर बढ़ोत्तरी हुई है। इसके अलावा बाघों के बीच आपसी संघर्ष की वारदातों मे भी काफी इजाफा हुआ है। जिन्हे नियंत्रित करने के लिये कई तरह के उपाय किये जा रहे हैं। इनमे जागरूकता अभियान, विशेषज्ञों द्वारा ग्रामीणो और कर्मचारियों को प्रशिक्षण, फेन्सिंग आदि गतिविधियां शामिल हैं।
हांथियों को हद मे रखने की कवायद
बाघ के अलावा जंगली हाथियों को हद मे रखना भी कम दुष्कर कार्य नहीं हैं। बीते वर्षो मे जंगली हाथियों के उत्पात ने ग्रामीणो के जीवन मे लगातार खलल डाला है। इन घटनाओं मे कुछ लोगों की जान भी गई हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए प्रबंधन द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। पिछले महीनो मे बांधवगढ के अधिकारियों को उन राज्यों मे भेज कर प्रशिक्षित कराया गया है, जहां जंगली हाथियों की बड़ी तादाद है। उन्होने बताया कि इन प्रदेशों मे हाथियों से टकराव की बजाय अन्य नुस्खों के जरिये उन्हे नियंत्रित किया जाता है। जिन्हे अब बांधवगढ मे भी अपनाने की मुहिम छेड़ी गई है। अभी भी दक्षिण की संस्था द नेचर कंजरवेंसी के पदाधिकारी बांधवगढ मे रूक कर इसी कार्य को अंजाम दे रहे हैं।
रन फॉर टाइगर मैराथन दौड़ का आयोजन
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व मे गत दिवस रन फार टाइगर मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया। इसका मकसद विश्व बाघ दिवस के विषय मे लोगों को जागरूक करना था। जिसमे पार्क प्रबंधन सहित सभी स्टेक होल्डर्स ने हिस्सा लिया। रन फार टाइगर मैराथन दौड़ प्रात: 6 बजे से ताला स्थित चौकी से प्रारंभ हुई तथा समापन गुरुवाही चौकी मे किया गया। कार्यक्रम मे पार्क के सहायक संचालक, वन परिक्षेत्राधिकारी, कर्मचारी, जिप्सी व गाइड एसोसिएशन सहित पर्यटन से जुड़े रिसोर्ट संचालकों के प्रतिनिधियों और स्वयं सेवी संगठनों ने हिस्सा लिया। इस दौरान मशाल रैली भी आयोजित की गई।