न दवा न ऑक्सीजन और न ही वैक्सीन, कहां गई विदेश से आई मेडिकल मदद
नई दिल्ली । देश में दवा, आक्सीजन और अस्पताल के बाद अब आरटीपीसीआर किट का टोटा भी पड़ गया है, जिसको देखते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने एडवाइजरी जारी की है कि ऐसे किसी भी व्यक्ति की दोबारा आरटी-पीसीआर जांच नहीं होनी चाहिए, जिसकी एक रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है। इसके साथ ही अंतरराज्यीय घरेलू यात्रा करने वाले स्वस्थ व्यक्तियों के लिए आरटी-पीसीआर जांच को पूरी तरह से हटाया जा सकता है। परिषद ने कहा कि कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्तियों को अस्पताल से छुट्टी दिए जाने के समय जांच करने की जरूरत नहीं है। उधर देश में कोरोना की दूसरी लहर थमने का नाम नहीं ले रही है। देश में पिछले 24 घंटे में 3 लाख 82 हजार 847 नए लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। यह आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा संक्रमित देश अमेरिका के नए कोरोना मरीजों से 9 गुना ज्यादा है। वहां बीते दिन 42,354 संक्रमितों की पहचान हुई। उधर, कोरोना की वजह से जान गंवाने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ते जा रहा है। देश में पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 3,783 लोगों की जान गई। यह एक दिन में होने वाली मौत के मामले में यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। राहत की बात यह रही कि बीते दिन 3.37 लाख लोगों ने कोरोना को मात दी। यह भी एक रिकॉर्ड है।
देश मेें टोटा और सीरम ब्रिटेन में बनाएगी वैक्सीन
देश में कोरोना वैक्सीन का टोटा है और भारत की सबसे बड़ी वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ब्रिटेन में 2400 करोड़ का निवेश कर वैक्सीन प्लांट लगाने जा रही है। पुणे स्थित सीरम के साथ ही लगभग 20 भारतीय कंपनियों ने ब्रिटेन में महत्वपूर्ण निवेश की घोषणा की है।
कहां गई विदेश से आई मेडिकल मदद
भारत में कोरोना की दूसरी लहर के कहर को देखते हुए दुनिया भर से मदद आ रही है। अब तक दिल्ली एयरपोर्ट पर ही 25 से ज्यादा फ्लाइट्स विदेशी मदद लेकर आई हैं। जिनमें 5500 ऑक्सीजन कंसट्रेटर्स, 3200 ऑक्सीजन सिलेंडर और एक लाख 36 हजार रेमिडिसिवर के इंजेक्शन भारत को मिल चुके हैं। लेकिन, सवाल यह है कि विदेशों से मेडिकल इमरजेंसी के तौर पर आ रही यह मदद किन-किन राज्यों को और कब पहुंचाई गई।
सात दिन सिर्फ एसओपी बनाने में लग गए
भारत में मेडिकल मदद का पहला कंसाइनमेंट 25 अप्रैल को पहुंचा था। उसके बाद मेडिकल ऑक्सजीन और लाइफ सेविंग ड्रग्स लगातार भारत पहुंच रहे हैं। कायदे में आपात स्थिति को देखते हुए पहले दिन से ही इन सामानों का वितरण जरूरत वाले राज्यों को पहुंच जाना चाहिए था। लेकिन, केंद्र सरकार को इस बारे में एसओपी बनाने में ही सात दिन लग गए कि कैसे राज्यों और अस्पतालों में इसका वितरण किया जाए। इस मामले में नौकरशाही किस तरह काम कर रही है इसे इस तरह समझा जा सकता है… विदेश से आ रही मेडिकल मदद को रिसीव करने के लिए नोडल मिनिस्टरी विदेश मंत्रालय है। जबकि राज्यों और अस्पतालों में इस मदद को बांटने का स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर, यानी एसओपी स्वास्थ्य मंत्रालय को बनाना था। 25 अप्रैल को पहली खेप आई और उसके वितरण के नियम स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2 मई को जारी किए। यानी एक हफ्ते तक आई मेडिकल मदद एयरपोर्ट, बंदरगाहों पर यूं ही पड़ी रही। जबकि अगर आमद के साथ ही यह राज्यों मं पहुंचना शुरू हो जाती तो कई मरीजों की जान बचाई जा सकती थी।
एक दूसरे पर टाल रहे
भारत सरकार विदेशों से आ रही मेडिकल मदद रेडक्रास सोसायटी के जरिए ले रही है, जो एनजीओ है। मेडिकल सप्लाई राज्यों तक न पहुंच पाने के सवाल पर रेडक्रास सोसायटी के प्रबंधन का कहना है कि उसका काम सिर्फ मदद कस्टम क्लीयरेंस से निकाल कर सरकारी कंपनी एचएलएल को सौंप देना है। वहीं, एचएलएल का कहना है कि उसका काम केवल मदद की देखभाल करना है। मदद कैसे बांटी जाएगी, इसका फैसला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय करेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय इस बारे में चुप्पी साधे हुए हैं।
कस्टम क्लीयरेंस में आ रहीं दिक्कतें
प्रधानमंत्री मोदी खुद कह चुके हैं कि मेडिकल इमरजेंसी वाली सप्लाई का कस्टम क्लीयरेंस जल्द से जल्द किया जाए। लेकिन मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक मदद के कई कंसाइनमेंट अब भी कस्टम में उलझे हुए हैं। देश के कई बड़े अस्पतालों ने अपने स्तर पर मेडिकल जरूरत की कुछ चीजें मंगाई हैं, लेकिन उन्हें भी आसानी से कस्टम क्लीयरेंस नहीं मिल रहा है। सूत्रों के मुताबिक एचएलएल इस मदद की देखरेख का जिम्मा दिया गया है। एयरपोर्ट के आसपास बनाए गए गोदामों में बहुत सारे मेडिकल उपकरण यूं ही पड़े हैं।
केंद्र द्वारा संचालित अस्पतालों को मिली मदद
देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन और उसके इस्तेमाल से जुड़े उपकरणों को लेकर हाहाकार मचा है। लेकिन, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, झारखंड जैसे राज्यों का कहना है कि उन्हें विदेश से आई मदद के नाम पर अभी तक कुछ नहीं मिला है। भाजपा शासित राज्यों में भी अभी मदद नहीं पहुंची हैं,लेकिन वहां इस बारे में कोई बात नहीं करता। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का इस पर कुछ और रुख है। मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि विदेश से अब तक करीब 40 लाख आइटम्स आए हैं। इनमें दवाओं समेत तमाम मेडिकल इक्यूपमेंट्स भी शामिल हैं। ये जो सामान आए हैं इनमें से ऑक्सीजन सिलेंडर और कुछ जीवनरक्षक दवाएं 38 इंस्टीट्यूशंस और अस्पतालों को दी गई हैं। लेकिन, द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर अस्पताल वे हैं जिन्हें केंद्र सरकार संचालित करती है।
5 राज्यों में ज्यादा मौतें
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने बताया कि कोरोना के केस हर दिन 2.4 प्रतिशत के रेट से बढ़ रहे हैं। पिछले 24 घंटों में देश में 3,82,315 मामले दर्ज किए गए हैं। 12 राज्यों में एक लाख से ज्यादा, 7 राज्यों में 50 हजार से एक लाख और 17 राज्यों में 50 हजार से कम एक्टिव केस हैं। 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 15 प्रतिशत से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट है। 10 राज्यों में यह 5 से 15 प्रतिशत और तीन में 5 प्रतिशत से कम है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में ज्यादा मौतों की सूचना मिल रही है। बेंगलुरु में पिछले एक सप्ताह में लगभग 1.49 लाख मामले सामने आए। चेन्नई में यह संख्या 38 हजार रहे। कुछ जिलों ने नए केस तेजी से बढ़े हैं। इनमें कोझीकोड, एर्नाकुलम, गुडग़ांव शामिल हैं।
ऑक्सीजन पर कें को 20 घंटे की मोहलत
दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई की देखरेख कर रहे केंद्रीय अफसरों के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के अवमानना नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रोक लगा दी। केंद्र ने हाईकोर्ट के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने ये माना कि केंद्र के अफसरों को जेल भेजने या फिर उन्हें अवमानना के मामले में घसीटने से ऑक्सीजन नहीं मिलेगी, लेकिन अदालत ने केंद्र से पूछा कि इस समस्या का हल क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि मुंबई मॉडल से सीखकर दिल्ली को पूरी ऑक्सीजन देने की कोशिश कीजिए। साथ ही केंद्र को करीब 20 घंटे का वक्त देते हुए कहा कि दिल्ली को रोज 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन देने का प्लान गुरुवार सुबह 10.30 बजे तक बताएं। केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि केंद्र और उसके अफसर इस मामले में अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से अवमानना का नोटिस दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से जानें गई हैं और यह नेशनल इमरजेंसी है, इसमें कोई शक नहीं है।
ऑक्सीजन सप्लाई के बारे में बताइए
दिल्ली में कोविड मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन सप्लाई के लिए दिए गए निर्देशों का पालन न किए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र्र और उसके अफसरों को अवमानना नोटिस भेजा था। कोर्ट ने अफसरों को अदालत में मौजूद रहने के निर्देश भी दिए थे। केंद्र जब इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि आप बस एक जगह से दूसरी जगह दौड़ रहे हैं। कृपया हमें ऑक्सीजन की मांग और उसकी सप्लाई के बारे में बताइए। इस समस्या को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाए गए? महामारी पूरे देश में फैली है। ऑक्सीजन सप्लाई निश्चित करने के रास्ते तलाशने होंगे। हम दिल्ली के लोगों को जवाब नहीं दे पा रहे हैं।