नई दिल्ली । 1 मई से 18 साल से अधिक लोगों के टीकाकरण अभियान के शुरुआत से पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल बनाने को कहा है। कोरोना मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल अपनाना चाहिए, क्योंकि गरीब लोग टीकों का भुगतान नहीं कर पाएंगे। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मूल्य निर्धारण का मामला असाधारण रूप से गंभीर है, आज आप कहते हैं कि केंद्र से राज्यों को दिए गए 50 प्रतिशत टीके का उपयोग फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के टीकाकरण के लिए किया जाएगा, शेष 50 प्रतिशत राज्य वहन करेंगे, देश में 59.46 करोड़ लोग 45 साल से कम हैं, उनमें से कई गरीब और हाशिए पर हैं, उन्हें वैक्सीन खरीदने के लिए पैसे कहां से मिलेंगे? जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, हम निजीकरण मॉडल का पालन नहीं कर सकते, 18-44 आयु वर्ग के लिए टीकाकरण बहुत महत्वपूर्ण है, हम जानते हैं कि कितने टीके का उत्पादन किया जा रहा है, हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप (केंद्र)उत्पादन में वृद्धि करें, हमें अतिरिक्त उत्पादन इकाइयों को जोडऩे के लिए सार्वजनिक शक्ति का उपयोग करने की आवश्यकता है, यह विचार राज्यों और केंद्र की आलोचना करने के लिए नहीं है।
निजी कंपनियां ये नहीं तय करेंगी कि किस राज्य को कितनी वैक्सीन मिलेगी:सुप्रीम कोर्ट
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