नौसिखियों के भरोसे कृषि विभाग
काम-काज चौपट, किसानो को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
शासन द्वारा कृषि को लाभ का धंधा बनाने के मकसद से प्रदेश मे अनेकों योजनायें लागू की गई हैं। इनमे किसानो को प्रशिक्षण, अनुदान, समयानुकूल जानकारियां, उन्नत बीज, खाद और आधनिक कृषि उपकरण मुहैया कराना आदि शामिल है। इन सब की जिम्मेदारी जिले के कृषि विभाग की है, परंतु महकमे मे बैठे अफसरों की मनमानी और भ्रष्टाचार सरकार की मंशा पर पलीता लगाने पर उतारू है। सूत्रों के मुताबिक पहले से ही अमले की कमी से जूझ रहे विभाग मे वरिष्ठ अधिकारियों की बजाय जूनियर्स को बड़ी जिम्मेदारियों से सिर्फ इसलिये नवाजा जा रहा है ताकि वे आला अधिकारियों की हां मे हां मिलायें और उनकी हर डिमाण्ड पूरी कर सकें। जिसका नतीजा है कि विभाग की सभी गतिविधियां ठप्प पड़ गई हैं। किसानो को किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिला मुख्यालय से लेकर ब्लाक स्तर तक विभागीय कार्यालयों मे सन्नाटा पसरा रहता है। मीलों दूर से आये जरूरतमंद किसान घंटों अधिकारियों व कर्मचारियों का इंतजार कर बैरंग वापस लौटने पर मजबूर हैं।
नियम विपरीत दिये प्रभार
बताया गया है कि किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग मे पदस्थ उप संचालक संग्राम सिंह मरावी द्वारा शासन के नियमो का खुलेआम उल्लंघन कर अपने चहेतों को महत्वपूर्ण प्रभार दिये गये हैं। उल्लेखनीय है कि जिले मे अनुविभागीय अधिकारी का एक पद है, जो कि क्लास-2 आफिसर कहलाता है। इसके लिये अधिकारी उपलब्ध होने के बावजूद श्री मरावी द्वारा एक वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी (एसएडीओ) को प्रभार थमा दिया गया है। इसी तरह एसएडीओ जोकि ब्लाक इंचार्ज होता है। उन्हे पद से पृथक रखते हुए एक सर्वेयर को ब्लाक मानपुर का इंचार्ज बना दिया गया है। यह कार्यप्रक्रिया उप संचालक की स्वेच्छाचारिता को प्रदर्शित करने के सांथ ही शासन के निर्देशों का माखौल भी है।
नहीं हो रही अमले की निगरानी
जानकारों का मानना है कि कृषि प्रधान जिले मे इस महकमे का योगदान बेहद अहम हो जाता है। विभागीय अमले की जिम्मेदारी समय-समय पर खेतों मे जा कर फसलों का निरीक्षण करना, किसानो से नियमित चर्चा, समस्याओं के निदान मे उनकी मदद करना तथा उन्हे शासकीय योजनाओं से अवगत कराना है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक और एसडीओ का काम यह सुनिश्चित करना है कि निचला अमला फील्ड मे रह कर अपने दायित्वों का निर्वहन करे, परंतु ऐसा नहीं हो रहा है। बताया गया है कि उप संचालक विभिन्न कानूनी उलझनो मे घिरे हुए हैं और उन्हे अक्सर न्यायालयों मे पहुंचना पड़ता है। निगरानी के अभाव मे विभाग के अधिकारी और कर्मचारी घर बैठे ही अपनी हाजिरी पका रहे हैं।
नकली खाद और उर्वरकों पर नहीं लगी नकेल
विभागीय निष्क्रियता के चलते ही खरीफ की तरह रबी के सीजन मे भी विभाग बीज का पर्याप्त इंतजाम नहीं कर पाया। जिसकी वजह से किसान भारी परेशान रहे और उन्हे बाजार से गुणवत्ताविहीन बीज महंगे दामो मे खरीदना पड़ा। किसानो का कहना है कि जिले भर मे जगह-जगह घटिया बीज, उर्वरक और कीटनाशक अधिकतक खुदरा मूल्य से ज्यादा कीमत पर बेचा जा रहा है। इसे रोकने की बजाय कृषि विभाग के अधिकारी तमाशा देख रहे हैं। आरोप है कि यह गोरखधंधा विभागीय अधिकारियों की शह पर ही चल रहा है।