उमरिया। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में गेंहू एव धान की फसल कटाई अधिकांशत: कम्बाईन्ड हार्वेस्टर से की जाती है। कटाई उपरांत बचे हुए गेहू के डंटलो (नरवाई) से भूसा न बनाकर जला देने तथा धान के पैरा को जला देने से धान का पैरा एंव भूसे की आवश्कता पशु आहार के साथ ही अन्य वैकल्पिक रूप में एकत्रित भूसा ईट भट्टा एवं अन्य उद्योग भी प्रभावित होते है। भूसे एंव धान के पैरा की मांग प्रदेश के अन्य जिलो के साथ अनेक प्रदेशो मे भी होती है। एकत्रित भूसा रूपये ४-५ प्रति किलोग्राम की दर पर विक्रय किया जा सकता है। इसी तरह धान का पैरा भी बहु उपयोगी है। पर्याप्त मात्रा में भूसा पैरा उपलब्ध न होने के कारण पशु अन्य हानिकारक पदार्थ जैसे पालिथीन आदि खाते है, जिससे वे बीमार होते है तथा अनेक बार उनकी मृत्यु हो जाने से पशुधन की हानि होती है। नरवाई का भूसा आज से दो तीन माह बाद दुगनी दर पर विक्रय होता है तथा कृषको को यही भूसा बढ़ी हुई दरो पर क्रय करना पड़ता है। इसके साथ ही नरवाई एंव धान के पैरा मे आग लगाना कृषि के लिए नुकसानदायक होने के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से भी हानिकारक है। इसके कारण विगत वर्षों में गंभीर अग्नि दुर्घटनाएं घटित होने से व्यापक संपत्ति की हानि हुई है। ग्रीष्म ऋतु में बढ़ते जल संकट मे बढोत्तरी के साथ ही कानून व्यवस्था के विपरीत परिस्थितियां निर्मित होती है। खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जन, धन, संपत्ति, प्राकृतिक वनस्पति एंव जीव जंतु आदि नष्ट होने से व्यापक नुकसान होने के साथ खेत की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणुओं के नष्ट होने से खेत की उर्वरा शक्ति शनैशनै घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। खेत में पड़ा कचरा भूसा डंठल सड़ने पर भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते है, जिन्हें जलाकर नष्ट करना ऊर्जा को नष्ट करना है। आग लगाने से हानिकारक गैसो के उत्सर्जन से पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट संजीव श्रीवास्तव ने दण्ड प्रक्रिया संहिता १९७३ की धारा १४४ (२) के अंतर्गत जन सामान्य के हित सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा पर्यावरण की हानि रोकने एव लोक व्यवस्था बनाये रखने हेतु प्रत्येक कम्बाईन्ड हार्वेस्टर के साथ भूसा तैयार करने हेतु स्ट्रा रीपर अनिवार्य करते हुये संपूर्ण उमरिया जिले की राजस्व सीमा क्षेत्र में गेहू एंव धान की फसल कटाई उपरांत बचे हुए गेहू के डंठलो (नरवाई) तथा धान के पैरा को जलाने (आग लगाये जाने) को एकपक्षीय रूप से प्रतिबंधित कर दिया है। आदेश का उल्लंघन भा.द.वि. की धारा १८८ के अंतर्गत दंडनीय होगा।
नरवाई और धान का पैरा जलाना प्रतिबंधित
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