नया आदेश नहीं आया तो कल से खुलेंगे स्कूल

जिले मे जारी गर्मी के प्रकोप से घबराये अभिभावक, सता रही बीमारी की चिंता
बांधवभूमि, उमरिया
जिले मे जारी भीषण गर्मी के प्रकोप से जन-जीवन अस्तव्यस्त है। बीते करीब 10 दिनो से तापमान 40 से 42 डिग्री के आसपास बना हुआ है। उमस ने इस समस्या को और भी बढ़ा दिया है। गर्मी को देखते हुए राज्य शासन द्वारा बीते दिनो एक आदेश जारी कर स्कूलों की छुट्टियां बढ़ा कर 19 जून कर दी गई थीं। उस लिहाज से यदि कोई नया आदेश जारी नहीं हुआ तो कल याने 20 जून से जिले के विद्यालय खुल जायेंगे। इधर तापमान के तेवरों से छात्र और उनके अभिभावक घबराये हुए हैं, उनका मानना है कि पढ़ाई के अलावा धूप मे स्कूल आने-जाने से बच्चों को लू या गर्मी लग सकती है। शिक्षा विभाग के सूत्रों का अनुमान है कि 19 जून को सरकार अवकाश बढ़ाने संबंधी नया आदेश जारी कर सकती है।
एसी से मिल रही राहत
जिले मे तापमान 42 डिग्री के करीब है, फिर भी बेचैनी से निजात नहीं मिल पा रही है। उसका कारण उमस और हवाओं का पर्याप्त मात्रा मे नहीं चलना है। चिलचिलाती धूप सुबह से अपना काम शुरू कर देती है, दोपहर तक यह अपने शबाब पर पहुंच जाती है। गर्मी के कारण रात-दिन लोग पसीने से तरबतर हो रहे हैं। घरों, दुकानो मे कूलर और पंखों का कोई असर नहीं हो रहा है। केवल उन्हे ही राहत है, जिनके यहां एयर कंडीश्नर लगे हुए हैं। ऐसे मे यदि दो मिनट के लिये भी बिजली गुल हुई तो बात बर्दाश्त के बाहर हो उठती है। मौसम के जानकारों का कहना है कि इस साल जून और जुलाई मे गर्मी इसी तरह रूलायेगी। हलांकि बीच-बीच मे बारिश का भी अनुमान जताया जा रहा है।
खेती को भी हो सकता नुकसान
मौसम के मिजाज से किसान भी चिंतित हैं। उन्होने बताया कि हर साल जिले मे मानसून वैसे तो 15 जून के आगे पीछे आता है, परंतु इस बीच प्री-मानसून की दो-तीन बारिश हो ही जाती है। जिससे वे धान की नर्सरी तैयार करने मे जुट जाते हैं। जैसे ही मानसून सक्रिय हो जाता है, काम आगे बढ़ जाता है। इस साल माहौल बिल्कुल अलग है, आधा असाढ़ बीतने के बावजूद अभी तक एक बार भी बारिश नहीं हुई है। यदि कुछ दिन और यही हाल रहा तो इस बार खरीफ की फसलें प्रभावित हो सकती हैं।
मुंंह बायें खड़ी पेयजल की समस्या
भारी गर्मी के कारण जिले के कई अंचल पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत पशुओं को है, जिनके लिये जंगलों मे पानी की बूंद भी उपलब्ध नहीं है। बताया जाता है कि तीनो जनपदों के अधिकांश नदी, तालाब और जलाशय रीत चुके हैं। हेण्डपंप तथा कुओं का पानी पाताल मे चला गया है। ऐसे मे इस बार भी मानसून की अनिश्ििचतता गंभीर स्थिति की ओर इशारा कर रही है।

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