ध्वस्त हुई नगर की बिजली व्यवस्था

ध्वस्त हुई नगर की बिजली व्यवस्था

बिना सूचना के घंटों बंद रही सप्लाई, जनता हलाकान, पेयजल व्यवस्था चरमराई, फोन नहीं उठा रहे अधिकारी

बांधवभूमि, उमरिया
विगत कुछ महीनो से एक बार फिर जिला मुख्यालय की बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। बार-बार सप्लाई बाधित होने से लोग हलाकान हैं। वहीं अधिकारी अपने पद के मद मे इतना चूर हैं कि वस्तुस्थिति की जानकारी देने की बात तो दूर, वे जनता का फोन तक नहीं उठा रहे। रविवार को एक बार फिर बिना आम सूचना के घंटों तक बिजली बंद की गई। दोपहर बाद आपूिर्त शुरू तो हुई पर कुछ देर के लिये। रात तक बिजली की आंख-मिचौली करती रही। इस दौरान दर्जनो बाद चालू-बंद का खेल चला। उमस भरी गर्मी से परेशान नागरिक इसका कारण जानने के लिये परेशान रहे। जिम्मेदार अधिकारियों को फोन लगाये गये परंतु किसी ने भी जवाब देने जरूरत महसूस नहीं की। काफी देर बाद अन्य सूत्रों द्वारा बताया गया बिजली वालों ने सप्लाई बंद होने की जानकारी के लिये एक वाट्सएप ग्रुप बनाया है। जिसमे सुबह साढे 8 बजे से 2 घंटे तक मेंटीनेंस के चलते सप्लाई बंद होने की सूचना डाली गई है। जो भाग्यशाली व्यक्ति इस ग्रुप मे जुडा है, उसे तो इसका पता चल गया, परंतु आम लोगों का पूरा दिन परेशानी मे बीता।

पेयजल आपूर्ति भी हो रही बाधित
इधर आये दिन बिजली की समस्या के चलते शहर की पेयजल आपूर्ति भी बाधित हो रही है। कल भी कई वार्डो मे पानी की पर्याप्त सप्लाई नहीं हुई, जिससे जनता को खासी दिक्कतों का सामना करना पडा। इस संबंध मे नगर पालिका के सूत्रों ने बताया कि विद्युत सप्लाई अनियमित होने से यह समस्या उत्पन्न हो रही है। उल्लेखनीय है कि नियामक आयोग के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं कि किसी भी तरह की कटौती या बंदी से पूर्व विद्युत मंडल को कारण सहित यह जानकारी विभिन्न माध्यमो से जनता को देनी होगी, परंतु ऐसा नहीं हो रहा है। विभाग द्वारा अचानक घंटों तक बिजली बंद करने की सूचना भी उपभोक्ताओं को नहीं दी जा रही है।

तीन परत के अधिकारी, फिर भी हाल बेहाल
जिले मे बिजली व्यवस्था को सुचारू और बेहतर बनाने के लिये मंडल ने तीन परत की व्यवस्था की है। इसके तहत जिला मुख्यालय मे कनिष्ठ अभियंता, सहायक अभियंता और उनके ऊपर कार्यपालन अभियंता पदस्थ किये गये हैं। जिनके पृथक-पृथक कार्यालय संचालित हैं। अधिकारियों के वेतन, वाहन, बंगलों, स्टाफ तथा अन्य व्यवस्थाओं पर हर महीने लाखों रूपये खर्च हो रहे हैं, इसके बाद स्थिति सुधरने की बजाय बिगडती चली जा रही है। इसका मुख्य कारण मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जा रही जिले की भारी उपेक्षा है। सूत्रों का कहना है कि जिले मे बैठे अधिकारियों की जिम्मेदारी केवल शक्ति भवन के लंबरदारों द्वारा तय टार्गेट पूरा कर उन तक पहुंचाना है। इसमे जहां निचले अधिकारियों की जेबें हरी हो रही है, वहीं उन्हे किसी कार्यवाही का डर भी नहीं है। लेकिन इतना तो तय है कि बिजली की बदहाल स्थिति की वजह से जो हाल कांग्रेस का हुआ था, उससे भी बुरा हश्र वर्तमान सरकार का होगा, इसमे कोई शक नहीं है।

मीटर दिखा कर की जा रही वसूली
बिजली की दयनीय हालत के सांथ ही स्मार्ट मीटर का हौव्वा उपभोक्ताओं का जीना मुहाल कर रहा है। यह तो तय है कि सरकार ने पूरे प्रदेश मे पुराने मीटर बदलने का निर्णय ले लिया है, लिहाजा यह होना ही है, परंतु मंडल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने आपदा मे भी अवसर तलाश लिया है। बताया जाता है कि शहर के साहब ने इन दिनो एक प्लानिंग के तहत कर्मचारियों को स्मार्ट मीटर लेकर भ्रमण करने का काम सौंपा है, जिसे दिखाते ही उपभोक्ता फिलहाल मीटर नहीं बदलने की मिन्नतें करने लगते हैं। इसके बाद शुरू होता है मोलभाव का सिलसिला। डर के इस खेल मे भी अधिकारी कुछ न कुछ खेल कर ही लेते हैं।

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