बैठक में लिया गया अहम फैसला
उदयपुर। उदयपुर के नव संकल्प चिंतन शिविर के दौरान कांग्रेस के आलाकमान ने तय किया था कि दो अक्तूबर से भारत जोड़ो पदयात्रा शुरू की जाएगी। लेकिन अब योजना बन रही है कि तकरीबन साढ़े तीन हज़ार किलोमीटर की इस पदयात्रा को दो अक्तूबर से पहले शुरू किया जाए। हालांकि अभी इस पर आधिकारिक रूप से कोई फैसला नहीं लिया गया है लेकिन कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक संभावना दो अक्तूबर से पहले इस यात्रा के शुरू होने की बन रही है। भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कांग्रेस के सभी प्रदेश अध्यक्ष के साथ हुई बैठक में इस बात का जिक्र भी किया गया है। इसके अलावा इस यात्रा की पूरी रूपरेखा पर चर्चा भी की गई है। वैसे तो कांग्रेस के नेताओं ने दो अक्तूबर को होने वाली भारत जोड़ो पर यात्रा को लेकर के पूरी रूपरेखा और तैयारियां कर ली हैं। लेकिन दिल्ली में हुई कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों के साथ भारत जोड़ो यात्रा के अध्यक्षता वाली समिति के मुखिया दिग्विजय सिंह के साथ हुई बैठक में कई और पहलुओं पर भी चर्चा की गई है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने अपने सभी राज्यों के वरिष्ठ पदाधिकारियों और प्रदेश अध्यक्षों के माध्यम से इस यात्रा को सफल बनाने के लिए पूरा ब्यौरा मांगा था। जिसको पार्टी के नेताओं ने कमेटी के समक्ष रखा है।अक्तूबर से चुनावी माहौल बनना होगा शुरू
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की सबसे बड़ी भारत जोड़ो पद यात्रा दो अक्तूबर से शुरू होनी है। लेकिन पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक दो अक्तूबर तक इस पद यात्रा को शुरू करने में न सिर्फ देरी हो जाएगी, बल्कि विपक्ष का दबाव भी कम पड़ सकता है। कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि दरअसल कुछ राज्यों में होने वाले चुनाव में अक्तूबर से माहौल बनना शुरू हो जाएगा। ऐसे में कांग्रेस की कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर की पदयात्रा में चुनावी प्रबंधन गड़बड़ा सकता है। यही वजह है कि पार्टी के कुछ नेता इस यात्रा की तारीख में बदलाव चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि फिलहाल अभी भारत जोड़ो पदयात्रा में कोई बदलाव नहीं किया गया है लेकिन आलाकमान की सहमति के साथ यह संभव भी है। इस पूरे अभियान की अगुवाई करने वाले दिग्विजय सिंह कहते हैं कि जिस तरीके से मोदी सरकार और भाजपा देश में माहौल खराब कर रही है, उससे कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा को तय तिथि से पहले शुरू करने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है।
तीन हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगी यात्रा
दरअसल कांग्रेस भारत जोड़ो पद यात्रा के माध्यम से पूरे देश के लोगों को एकजुट करके मोदी सरकार की नाकामियों के साथ-साथ लोगों में एकजुटता और भाईचारे का संदेश देना चाह रही है। उदयपुर में हुए नव संकल्प शिविर के दौरान तमाम तरह की नई योजनाओं के साथ-साथ लोगों को जोड़ने के लिए भारत जोड़ो पदयात्रा अभियान को शुरू करने की तारीख घोषित की गई थी। इसे लेकर पार्टी के जिम्मेदार नेताओं ने योजनाएं भी बनाई हैं और उसका प्रेजेंटेशन भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस आलाकमान को सौंपा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश कहते हैं कि योजना के मुताबिक दो अक्तूबर से कांग्रेस कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत करेगी। उनका कहना है कि भारत जोड़ो यात्रा को शुरू करने से पहले की जो प्लानिंग और उसे आगे बढ़ाने के लिए जिस समिति का गठन किया गया था, उसके पास देश के सभी नेताओं की ओर से न सिर्फ सुझाव आए हैं बल्कि उसे सफल बनाने की पूरी कार्ययोजना साझा की गई है। भारत जोड़ो अभियान की अगुवाई कर रहे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह कहते हैं कि यह यात्रा 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों से होते हुए साढ़े तीन हजार किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इस पदयात्रा में कांग्रेस नेतृत्व समेत सभी कार्यकर्ता शिरकत करेंगे। दिग्विजय सिंह के मुताबिक पद यात्रा के मार्ग का पूरा ब्यौरा बहुत जल्द ही घोषित कर दिया जाएगा।
तत्काल शुरू करे आंदोलन
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी में कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इस बात का भी सुझाव दिया कि पार्टी जो आंदोलन अभी शुरू कर सकती हो उसे तत्काल प्रभाव से शुरू कर देना चाहिए। दरअसल इसके पीछे दलील दी गई कि जिस तरीके से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने बीते कुछ दिनों में बड़े आंदोलनों की मुहिम की शुरुआत की है उसे कमजोर नहीं पड़ने देना होगा। यही वजह है कि पदयात्रा समेत अन्य बड़े आंदोलनों की रूपरेखा को एक बार फिर से रिव्यू किया जा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि दूसरी सबसे अहम वजह यह है कि अगले कुछ समय में चुनावी माहौल बनना शुरू हो जाएगा। उनका कहना है कि ऐसे वक्त में जिन राज्यों में चुनाव होना है वहां के नेताओं को अपने राज्य में रहना पार्टी के लिए ज्यादा हितकर होगा। उस दौरान कांग्रेस की पदयात्रा में यह नेता शामिल होते हैं, तो राजनीतिक रूप से उनके राज्य में चुनावी लहर कमजोर पड़ सकती है। इसलिए कांग्रेस अपने सभी बड़े आंदोलनों और सभी बड़े आयोजनों को एक बार फिर से रिव्यू करें तो ज्यादा बेहतर होगा।