देहरादून मे लहराई ”विद्रोही सन्यासी” की पताका
संभाग आयुक्त राजीव शर्मा द्वारा लिपिबद्ध उपन्यास को एक और अलंकरण
बांधवभूमि, उमरिया
शहडोल संभाग के आयुक्त एवं प्रख्यात कवि व साहित्यकार राजीव शर्मा की कृति विद्रोही सन्यासी ने राष्ट्रीय पटल पर एक बार फिर धूम मचाई है। किताब को वैली ऑफ वर्ड्स अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला उत्सव देहरादून की ज्यूरी ने वर्ष 2021 के हिंदी नॉन फिक्शन श्रेणी मे सर्वश्रेष्ठ कृति का सम्मान दिया है। प्रतिष्ठित वैली ऑफ वर्ड्स अलंकरण मे मान पत्र के सांथ एक लाख रूपये नगद पुरूस्कार भी दिया जाता है। गत दिवस देहरादून मे बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की ओर से आयोजन मंडल के अध्यक्ष संजीव चौपड़ा ने एक भव्य समारोह मे इस वर्ष के पुरस्कारों की घोषणा की। लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी के महानिदेशक रहे संजीव चौपड़ा स्वयं एक नीति विश्लेषक, इतिहासकार और चिंतक हैं। वैली ऑफ वर्ड्स अंतर्राष्ट्रीय ख्याति का साहित्यिक उत्सव है, जो इस वर्ष अक्टूबर, नवंबर मे देश के 5 महानगरों मुंबई, कोलकाता, बड़ोदरा, दिल्ली, हैदराबाद के साथ देहरादून मे संपन्न हुआ है।
लोकप्रियता का सफर
अपने प्रकाशन के सांथ ही उपन्यास विद्रोही सन्यासी खासी चर्चाओं मे रहा है। वैली ऑफ वर्ड्स के पूर्व दुष्यंत संग्रहालय द्वारा इसे अलंकृत किया गया था। इसके अलावा यह नागपुर मे आयोजित ऑरेंज सिटी लिटरेचर फेस्टिवल मे भी शामिल रहा। इस पुस्तक मे उल्लेखित विषयों पर व्याख्यान हेतु उपन्यास के लेखक राजीव शर्मा को अब तक दो दर्जन से ज्यादा विश्व विद्यालयों द्वारा आमंत्रित किया जा चुका है, जिससे उपन्यास की स्वीकार्यता और लोकप्रियता परिलिक्षित होती है।
वैदिक धर्म की पुर्नस्थापना पर आधारित है कृति
उल्लेखनीय है कि आयुक्त श्री शर्मा द्वारा लिखित विद्रोही संन्यासी भगवान आदि शंकराचार्य जी की जीवन गाथा और वैदिक धर्म की पुर्नस्थापना पर आधारित है। उपन्यास मे सनातन धर्म के उस कालखण्ड का उल्लेख है, जिसमे वैदिक धर्म के अस्तित्व पर गंभीर संकट मंडराने लगा था। एक ओर सनातन धर्म अलग-अलग मत-मतांतरों मे विभक्त हो चुका था, तो दूसरी ओर बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हो रहा था। ऐसे मे आदि शंकराचार्य जी नेअद्वैत के सिंद्धांत से वैदिक धर्म की पुर्नस्थापना का मार्ग प्रशस्त किया था। पुस्तक मे इन सभी घटनाओं को बेहद संजीदगी से उतारा गया है।
नर्मदा तट पर बीता लेखक का अधिकांश समय
प्रभात प्रकाशन दिल्ली द्वारा प्रकाशित उपन्यास विद्रोही सन्यासी देश भर के पाठकों की पहली पसंद बना हुआ है। हिन्दी के बाद यह मराठी मे भी उपलब्ध है। जबकि बांग्ला, गुजराती और अंग्रेजी मे यह शीघ्र ही आने वाला है। हिन्दी मे इसका तीसरा संस्करण नये साल के प्रारम्भ मे पाठकों के हांथो मे पहुंचेगा। मप्र के भिंड मे जन्मे राजीव पेशे से प्रशासनिक अधिकारी हैं। उनका अधिकांश समय नरसिंहपुर, मण्डला से बड़वानी तक नर्मदा के किनारों पर स्थित जिलों मे बीता। वे दमोह, पन्ना, छिंदवाड़ा, बालाघाट, उज्जैन, मंदसौर, शाजापुर, भोपाल आदि के बाद वर्तमान मे वे शहडोल मे पदस्थ हैं।