नई दिल्ली। दहेज मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि दहेज निरोधी कानून को मजबूत करने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कानूनों पर पुनर्विचार की जरूरत है। सामाजिक बुराई के जारी रहने पर अब बहुत ज्यादा विचार करने की जरूरत है, लेकिन लोगों को भी बदलाव लाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा भारत का विधि आयोग दहेज हत्या और घरेलू हिंसा के मुद्दों पर विचार करने और मौजूदा कानूनों को और मजबूत करने के उपाय सुझा सकता है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “कानून महत्वपूर्ण हैं, लेकिन बदलाव भी भीतर से आना चाहिए। हम परिवार में आने वाली महिला के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, ये मुद्दा सामाजिक महत्व का है। सुधारक इस मुद्दे को भी देख रहे हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें अधिकारी के समकक्ष दहेज विरोधी अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। मामला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच के सामने था। याचिकाकर्ता के लिए वी।के बीजू ने सुनवाई के दौरान कहा, “मैं केरल की स्थिति से परेशान हूं। एक आयुर्वेद चिकित्सक के दहेज मामले में कार्रवाई नहीं करने पर पुलिस वाले को निलंबित कर दिया गया है। केरल में यह एक बुरी प्रथा है। इतना सोना आदि मांगा जाता है। लिहाजा इस पर नोटिस जारी होना चाहिए और आयोग का गठन किया जाना चाहिए।” आयुर्वेद मेडिकल की छात्रा विस्मया केरल के सस्थामकोट्टा में अपने पति के घर में मृत पाई गई थी। केरल के कोल्लम जिले में 24 वर्षीय आयुर्वेद चिकित्सक की संदिग्ध आत्महत्या के एक दिन बाद, पुलिस ने दहेज हत्या मामले में पति को आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। अदालत ने कहा कि ये विधायी क्षेत्र का मामला है।
देश में दहेज निरोधी कानून को मजबूत करने की जरूरत : सुप्रीम कोर्ट
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