दीपावली पर जगमगायेंगे देशी दिये

दीपावली पर जगमगायेंगे देशी दिये
निर्माण मे जुटीं स्व सहायता समूह की महिलायें, सामग्री मे हो रहा गोबर का इस्तेमाल
उमरिया। विजयादशमी का पर्व संपन्न होते ही अब दीपावली की तैयारियां शुरू हो गई हैं। लोग अभी से अपने घरों के रंग-रोगन मे जुट गये हैं। इसी के सांथ जिले के कई स्व सहायता समूंह इस त्यौहार की सबसे महत्वपूर्ण सामग्री अर्थात दियों के निर्माण मे लगे हुए हैं। इसके अलावा माता लक्ष्मी और गणेश जी की आकर्षक मूर्तियों के गढऩे का काम भी शुरू है। खास बात यह कि दियों और मूर्तियों मे केमिकल की बजाय गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो पर्यावरण की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि अनादिकाल से दीपावली पर दियों को घरों के अंदर व बाहर सजाने की परंपरा रही है। मान्यता है कि दीप प्रज्वल्लन से निकला पवित्र प्रकाश अंधेरे के सांथ विपन्नता और व्याधियों का भी नाश करती है। सांथ ही इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न हो कर धन-धान्य तथा एश्वर्य का वरदान देती हैं। कालांतर मे विदेशों से आई सस्ती इलेक्ट्रिानिक सामग्री और सुविधाभोगी सोच ने लोगों को पौराणिक और प्राकृतिक वस्तुओं से दूर कर दिया है। इससे स्थानीय कलाकारों को आर्थिक क्षति होने लगी, जिससे वे अपने पारंपरिक व्यवसाय से विमुख होने लगे, परंतु अब धीरे-धीरे अब लोगों की सोच बदल रही है और वे इसके महत्व को समझने लगे हैं।
आजीविका मिशन ने उठाया बीड़ा
जिले मे ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से गठित स्वसहायता समूहों की महिलाओं ने इस अवसर का लाभ उठाने की तैयारी कर ली है। जिला परियोजना समन्वयक प्रमोद शुक्ला ने बताया कि महिलाओं को मांग के अनुसार आधुनिक डिजाइन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। फिलहाल गौ पालन समूह कुमर्दू एवं कौडिया के समूहों ने दियों और मूर्तियों का उत्पादन शुरू भी कर दिया है। आगामी दीपोत्सव के लिए नंद गौशाला कुमुर्दु और शिव गौशाला कौडिय़ा-22 मे गोबर के दीपक बनाए जा रहे हैं। उनका मानना है कि सनातन संस्कृति मे गोबर को पवित्र और पर्यावरण मित्र माना जाता है। यह गौशालाओं मे पर्याप्त मात्रा मे उपलब्ध है।
चीनी सामग्री से मिले निजात: सोनी
जिले के बुद्धिजीवी और पर्यावरण प्रेमियों ने इस पहल का स्वागत किया है। जिले के प्रसिद्ध साहित्यकार शंभू सोनी ने कहा कि ग्लोबलाईजेशन के बाद चीन जैसे देशों का निर्यात बढऩे का सर्वाधिक नुकसान भारत जैसे विकासशील देशों को हुआ है। खानपान की वस्तुओं, पटाखों, फोटो, राखियों से लेकर छोटी-छोटी वस्तुओं का आयात इतना बढ़ा कि देश के अधिकांश कुटीर उद्योग बंद हो गये। दूसरी ओर इन वस्तुओं के निर्माण मे उपयोग हो रही अमानक वस्तुओं से तरह-तरह की बीमारियां फैल रही है। अब समय आ गया है कि दियों और मूर्तियों की तरह सरकार स्थानीय कुटीर उद्योगोंं को संरक्षण की पहल करे। इससे बेरोजगारी पर भी लगाम लग सकेगी।
आत्मनिर्भता का प्रयास
सरकार की मंशानुरूप महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास हर स्तर पर शुरू किये गए हैं। इसी दिशा मे उन्हे तीज-त्यौहार मे उपयोग आने वाली वस्तुओं के निर्माण हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है।
श्रीमती इला तिवारी
सीईओ,
जिला पंचायत उमरिया
प्रशासन भी करेगा मदद
जिले मे गठित स्वसहायता समूहों की महिलाओं मे भरपूर आत्मविश्वास तथा उत्साह देखने को मिल रहा है, उनकी मेहनत रंग ला रही है। समूहों की महिलाओं ने अपनी लगन से बाजार मे पहचान बनायी है। दीपावली के अवसर पर वे खुले बाजार मे अपने उत्पादों का विक्रय प्रतिस्पर्धा के सांथ करेंगी। प्रशासन द्वारा जिला मुख्यालय सहित अन्य नगरीय क्षेत्रों तथा हाट बाज़ारों मे उन्हे आउटलेट उपलब्ध कराये जायेंगे।
संजीव श्रीवास्तव
कलेक्टर, उमरिया

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