गुजरात से भी 250 अन्नदाता आएंगे सिंघु बॉर्डर
न्यूज डेस्क, बांधवभूमि/नई दिल्ली। किसानों और केंद्र के बीच शनिवार को चली पांचवें दौर की लंबी बैठक के बेनतीजा रहने के बाद रविवार को सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनकारियों में रोष के साथ जोश बढ़ा हुआ दिखा। बॉर्डर पर दिनभर किसान नेता भारत बंद को लेकर रणनीति करने में जुटे रहे, वहीं पंजाब से दिन भर विभिन्न लोगों का जत्था समर्थन के लिए पहुंचता रहा।
देश विरोधी बोलने पर जताया विरोध
सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों ने खुद को देश विरोधी बताए जाने पर रविवार को कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि अन्नदाता अपने हक के लिए मांग कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग राजनीति से प्रेरित होकर अन्नदाता को देश विरोधी बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि शुरुआत में कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसे अराजक तत्वों पर लगातार नजर रखी जा रही है।
पंजाब से बाइक लेकर पहुंचे युवा
सिंघु बॉर्डर पर पंजाब से बाइक लेकर युवा भी प्रदर्शन में समर्थन देने के लिए पहुंचे। पंजाब से पहुंचे युवा महंगी बाइकों से बॉर्डर पर पहुंचे थे, जहां उन्होंने पिछले 11 दिनों से आंदोलनरत किसानों का समर्थन जताया। युवाओं का कहना था कि किसान अपने हक के लिए मांग कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को नए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए।
गुजरात से भी पहुंचेंगे 250 बाइकर
आगामी दिनों में सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनकारियों का साथ देने के लिए गुजरात से भी करीब 250 बाइकर पहुंचेंगे। किसानों ने बताया कि इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य से बाइकरों को बुलाकर प्रधानमंत्री तक आवाज पहुंचाना है।
दिन भर देश भक्ति गीतों पर रहा जोर
आंदोलन में दिनभर देशभक्ति के गीतों पर जोर रहा। इस कड़ी में विभिन्न किसान नेता से लेकर युवा शहीद भगत सिंह से लेकर अन्य क्रांतिवीरों के गाने पर झूमते रहे। वहीं, कुछ किसानों ने अपने ट्रेक्टरों में भी संगीत की धुनों का आनंद उठाया।
नुक्कड़ नाटक के जरिए भी जताया विरोध
बॉर्डर पर किसानों के नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी कृषि कानूनों का विरोध जताया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेने का संदेश दिया गया। किसानों का कहना था कि आगे भी इसी प्रकार नुक्कड़ नाटक जारी रहेगा, जिससे सरकार तक संदेश पहुंच सके।
सफाई व्यवस्था पर रहा जोर
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ लंगर की व्यवस्था भी बढ़ाए जा रही है। इस वजह से गंदगी से निपटने के लिए भी सफाई व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है, जिससे आसपास का माहौल साफ रह सके। इसके लिए निगम की गाड़ियों से लेकर किसान भी अपने स्तर पर सफाई व्यवस्था को बनाने में भाग ले रहे हैं। वहीं, रविवार को किसानों के आंदोलन में खाप संगठन भी बढ़-चढ़कर शामिल हुआ।
दिल्ली के 360 गांव किसान आंदोलन के साथ
दिल्ली के सभी 360 गांव किसान आंदोलन के साथ खड़े हैं। इन्होंने आठ दिसम्बर को भारत बंद का समर्थन करने का निर्णय लिया है। दिल्ली की सबसे बड़ी खाप पंचायत पालम-360 ने रविवार को इस बात की जानकारी दी है। पालम-360 खाप के प्रधान किशनचंद सोलंकी ने कहा है कि देशभर के किसानों की एक ही बिरादरी है। इसलिए उन्होंने दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे किसानों की हर संभव मदद करने का निर्णय लिया है।
पालम खाप के अंतर्गत दक्षिणी-पश्चिमी दिल्ली के 12 गांव आते हैं। जिनकी पालम स्थित दादा देव मंदिर में मीटिंग हुई। चौधरी किशनचंद और चौधरी सूरत सिंह यादव की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में खाप – 12, कराला – 17 भी शामिल थे। इस मीटिंग में दिल्ली के किसानों के बीच आम सहमति बनी है कि वह किसान आंदोलन का हर मोर्चे पर सहयोग करेंगे। चौधरी किशनचंद ने कहा कि उन्होंने टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसानों को हर संभव मदद पहुंचाने का फैसला लिया है। इसी तरह दूसरी खापों को भी किसान आंदोलन के सहयोग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पालम खाप ने किसान आंदोलन के सहयोग के लिए लगभग 1.25 लाख रुपये इकट्ठा किया है। दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों को पीने का पानी, सब्जी, दूध और आटा उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी तरह उत्तरी दिल्ली की बवाना – 52 खाप (शेहरावत खाप), नरेला- 17 भी सिंघु बॉर्डर पर किसानों का सहयोग कर रही है। बवाना निवासी भारतीय किसान यूनियन के सदस्य सतीश नंबरदार ने कहा कि बवाना खाप किसान आंदोलन का पूरा समर्थन कर रही है। उनकी खाप के प्रधान धारा सिंह ने महिपापुर के किसानों के साथ बैठक कर भारत बंद का समर्थन करने का निर्णय लिया है।