दम तोड रही शासन की सीखो कमाओ योजना
उपेक्षा और लापरवाही के चलते हुई दुर्दशा, कहीं संस्थान तो कहीं विभाग कर रहे बहानेबाजी
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश
उमरिया
शासन द्वारा युवाओं को प्रशिक्षण के सांथ आय की व्यवस्था कराने के मकसद से लागू की गई सीखो कमाओ योजना मॉनिटरिंग के अभाव मे लापरवाही का शिकार होकर रह गई है। हालत यह है कि महीनो प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को स्टाईपेंड अर्थात मानदेय के लिये भटकना पड रहा है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनावों से ठीक पहले तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार ने युवाओं के लिये एक ऐसी योजना लागू की थी, जिसमे बच्चों को ट्रेनिंग के दौरान भी एक निश्चित राशि वेतन के रूप मे प्राप्त हो ताकि स्थाई रोजगार मिलने तक उन्हे किसी तरह की आॢथक परेशानी का सामना न करना पडे। इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी उद्योग विभाग और आईटीआई कॉलेज प्रशासन को सौंपी गई थी। लेकिन चुनाव खत्म होते ही इस योजना मे लापरवाही शुरू हो गई। जिसका नतीजा यह हुआ कि अपना समय और पैसा लगा कर महीनो तक प्रशिक्षण लेने वाले बेरोजगार युवा स्टाईपेंड के लिये परेशान है। इतना ही नहीं उनकी समस्या सुनने के लिये कोई भी तैयार नहीं है।
यह थी योजना
सरकार की मंशा थी कि शिक्षित बेरोजगारों को विभिन्न उद्योगों, ऑटोमोबाईल, विद्युत निर्माण सयंत्र, लेथ मशीन वर्कशॉप आदि संस्थानो के जरिये प्रशिक्षित कराया जाय, जिससे उनके लिये स्वरोजगार और नौकरियों के अवसरों मे इजाफा हो। इसे ध्यान मे रखते हुए शासन ने बडे जोर-शोर से सीखो कमाओ योजना लॉन्च की थी। योजना के तहत युवाओं को प्रशिक्षण की अवधि मे 6000 से 8000 रूपये प्रति मांह स्टाईपेंड दिये जाने का प्रावधान किया गया था। जिसमे 25 प्रतिशत अंशदान संबंधित संस्थानो को जमा करना है। जबकि शेष 75 प्रतिशत राशि सरकार द्वारा भुगतान की जानी है।
धीरे-धीरे घटने लगी दिलचस्पी
सीखो कमाओ योजना के तहत जिले के करीब 100 प्रतिष्ठान और संस्थानो ने 211 विकेन्सियां निकालीं। जिनमे से 197 बच्चों का अप्रूवल हुआ। इनमे से केवाईसी के बाद 134 युवाओं ने अपने-अपने प्रतिष्ठान, संस्थानो मे ज्वाईङ्क्षनग भी दे दी। लेकिन समय पर स्टाईपेंड राशि के भुगतान मे दिक्कत होने के कारण छात्रों की दिलचस्पी घटने लगी। कुछ महीनो मे ही युवाओं ने संस्थानो मे आना कम कर दिया। बीते मार्च मे छात्रों की तादाद महज 75 रह गई।
चार महीनो से नहीं मिला मानदेय
जानकारी के अनुसार सीखो कमाओ योजनांतर्गत प्रशिक्षण ले चुके छात्रों को 4 महीनो से भुगतान नहीं मिला है। इस संबंध मे विभागीय सूत्रों ने बताया कि कई प्रकरण संस्थानो द्वारा अंशदान जमा नहीं करने के कारण तो कई सरकार द्वारा अनुमति नहीं मिलने की वजह से लटके हुए हैं। जानकारी के अनुसार मार्च 2024 मे 75 छात्रों के प्रकरण सेंक्षन के लिये भोपाल भेजे गये, जिनमे से मात्र 30 के भुगातन की स्वीकृति मिली बाकी 45 मामले अभी भी लंबित हैं। इसी तरह अप्रेल मे 45 और मई मे 36 छात्रों के केस गये, इनमे से किसी का भी भुगतान नहीं हुआ है।