तीसरी लहर के बीच होंगे चुनाव

केंद्र ने UP समेत 5 चुनावी राज्यों में वैक्सीनेशन और टेस्टिंग बढ़ाने के निर्देश दिए, आयोग भी चुनाव टालने के मूड में नहीं

लखनऊ। केंद्र सरकार और चुनाव आयोग ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच अगले साल UP समेत 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव टालने के मूड में नहीं हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने 5 राज्यों उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, यूपी और पंजाब के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की। इसमें वैक्सीनेशन इन राज्यों में वैक्सीनेशन और टेस्ट बढ़ाने के निर्देश दिए गए। इधर, इस बैठक से पहले चुनाव आयोग ने सोमवार को दिल्ली में चुनावी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव तय समय पर ही कराए जाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, इस पर आखिरी फैसला जनवरी के पहले हफ्ते में होने वाली बैठक में लिया जा सकता है।
चुनावी राज्यों से ओमिक्रॉन और वैक्सीनेशन का डेटा मांगा
सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग अपने शेड्यूल पर टिका रहना चाहता है। आयोग ने चुनावी राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर के स्वास्थ्य सचिवों के साथ ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों पर चर्चा की है। इन राज्यों में वैक्सीन कवरेज और ओमिक्रॉन केसेज का आंकड़ा भी मांगा है।केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने चुनाव आयोग को कोरोना के हालातों के बारे में बताया। अब राज्यों को यह भी बताना है कि वे केंद्र के साथ मिलकर क्या काम कर रहे हैं। इसी रिपोर्ट के आधार पर जनवरी के पहले हफ्ते में बैठक होगी।
बड़ी रैलियों और जनसभाओं पर लग सकती है रोक: सूत्र
विशेषज्ञों का दावा है कि कुछ ही दिनों में ओमिक्रॉन के रूप में कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है। लिहाजा चुनाव आयोग कुछ सख्त कदम उठा सकता है। चुनाव के पहले राज्यों के हालात को समझ कर इसका फैसला किया जाएगा। चुनाव को लेकर अधिसूचना जनवरी में जारी हो सकती है।सूत्रों के मुताबिक ओमिक्रॉन को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की रिपोर्ट के बाद संभव है कि चुनाव आयोग बड़ी रैलियों और जनसभाओं पर रोक लगा दे। वर्चुअल और डोर-टु-डोर कैंपेन की इजाजत मिले। चुनाव प्रचार के तरीकों में बदलाव के साथ मास्क और दो गज की दूरी को पूरी तरह से लागू किया जा सकता है।
क्या नहीं टल सकते हैं चुनाव?
अभी तक चुनाव आयोग के रुख के अनुसार चुनावों के टलने की संभावना बहुत कम है। अधिकारियों के मुताबिक चुनाव टालने से कई तरह के बड़े निर्णय लेने होंगे। जैसे, जिन राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो चुका है वहां राष्ट्रपति शासन लगाना होगा। सारी तैयारियां भी नए सिरे से करनी होंगी। हालांकि चुनाव आयोग इस बार प्रचार और भीड़ प्रबंधन पर एहतियातन कड़े कदम उठा सकता है।
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