कोयला खदानों के निजीकरण के खिलाफ श्रम संघों ने की हड़ताल
उमरिया। कोयला खदानो के निजीकरण को लेकर मामला एक बार फिर गरमा गया है। इस मुद्दे पर श्रमिक संगठन अब आर पार की लड़ाई के मूड मे हैं। कल जिले मे हुई हड़ताल के दौरान श्रमिकों के चेहरों पर तनाव साफ तौर पर देखा गया। उनका कहना था कि कालरियों का निजीकरण तबाही लेकर आयेगा। इससे नसिर्फ बेरोजगारी बढ़ेगी बल्कि व्यापार भी चौपट हो जायेगा। सरकार की नीति से लाखों लोग प्रभावित होंगे जबकि फायदा केवल चंद उद्योगपतियों को ही होगा। इससे क्षेत्र को खण्डहर और धूल के अलावा कुछ भी हांसिल नहीं होगा। अत: सरकार इस आत्मधाती निर्णय को तत्काल वापस लेकर सरकारी कम्पनियों को ही माईनिंग का अधिकार दे। गुरुवार को कोयला खदानों के निजीकरण के खिलाफ श्रम संघों ने एकदिवसीय हड़ताल करके अपना विरोध जताया। एसईसीएल जोहिला एरिया क्षेत्र की सभी खदानों मे गेट पर प्रदर्शन किया गया। हलांकि यह हड़ताल पूरी तरह से सफल नहीं रही। जोहिला क्षेत्र की उमरिया और पिपरिया कॉलरी सहित कंचन और पाली प्रोजेक्ट मे हड़ताल का विशेष प्रभाव नहीं देखा गया।
पैसा कटने से कमजोर पड़ी एकता
पिछली हड़ताल मे शामिल रहे कर्मचारियों का पैसा कटने का असर इस बार हड़ताल मे दिखा। ज्यादातर कामगारों ने अपनी ड्यूटी की, जिससे हड़ताल का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाया। सूत्रों के मुताबिक जुलाई महीने की 1, 2 और 3 तारीख को हुई देशव्यापी हड़ताल के बावजूद केंद्र सरकार ने निजीकरण के फैसले को नहीं बदला। वहीं हड़ताल मे शामिल मजदूरों की हाजिरी का भुगतान नहीं किया गया। उनका मानना है कि जब सरकार के कानो मे जूं ही नहीं रेंग रही तो हड़ताल मे जाने से क्या फायदा।
क्या चाहते हैं संगठन
श्रम संघों की हड़ताल मे वित्तीय क्षेत्र सहित सार्वजनिक क्षेत्रों, रेलवे, आयुध, कारखानों, बंदरगाह, सरकारी विनिर्माण और सेवा संस्थानों के निजीकरण पर तत्काल रोक लगाने केे अलावा किसान और मजदूर विरोधी श्रम संहिता को वापस लेने, सरकारी और पीएसयू कर्मचारियों की समय से पहले सेवानिवृति पर रेखीय सर्कुलर को वापस लेने, सभी को पेंशन प्रदान करने, एनपीएस को खत्म करने और पहले की पेंशन को बहाल करने, सभी गैर आयकर दाता परिवारों के लिए प्रति माह 7500 का नकद हस्तांतरण, सभी जरूरतमंदों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो राशन प्रदान करने, ग्रामीण क्षेत्रों मे 1 साल मे 200 दिनों का काम बढ़ी हुई मजदूरी पर उपलब्ध कराने तथा मनरेगा का विस्तार शहरी क्षेत्रों मे भी करने आदि की मांग की गई है।
जारी रहेगा विरोध
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि निजीकरण से देश का विनाश होगा, इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है। इस दौरान अमृतलाल विश्वकर्मा, अमर बहादुर सिंह इंटक, रामेश्वर विश्वकर्मा, राम गोपाल सिंह, रामप्रसाद एटक, राम सलोने शर्मा, सुदर्शन पटेल सीटू आदि ने मौजूद रह कर सरकार की नीति का कड़ा विरोध किया। उन्होने बताया कि कि केंद्र सरकार मजदूर विरोधी नीतियों को लागू कर रही है जिसका विरोध आगे भी जारी रहेगा।
तबाही लायेगा कालरियों का निजीकरण
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