डीएनए टेस्ट मे साबित हुआ अपराध

नाबालिग से दुराचार के आरोपी को 20 साल की सजा, 4 साल बाद आया फैंसला
जिला न्यायालय की विशेष अदालत ने एक नाबालिग से दुराचार के मामले मे आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इस प्रकरण मे अभियोजन पक्ष द्वारा जुर्म साबित करने के लिये आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए पीडि़ता के मृत शिशु का डीएनए टेस्ट कराया गया। जिसमे इस बात की पुष्टि हो गई कि आरोपी द्वारा ही उसके सांथ दुष्कर्म किया गया, जिससे वह गर्भवती हो गई।
बांधवभूमि, उमरिया
जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत एक नाबालिग किशोरी से हुए दुष्कर्म के मामले मे विशेष न्यायालय ने आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास से दण्डित किया है। अभियोजन के मीडिया प्रभारी नीरज पाण्डेय द्वारा प्रकरण के संबंध मे दी गई जानकारी के अनुसार पीडि़ता ने वर्ष 2018 मे पुलिस अधीक्षक को एक लिखित शिकायत देकर बताया कि अनिल रौतेल ने शादी का झांसा देकर उसके सांथ कई बार शारीरिक संबंध बनाये हैं। इतना ही नहीं आरोपी 2013 मे विवाह भी कर चुका है, इसके बावजूद वह फरियादिया का जबरदस्ती दैहिक शोषण करता रहा। इसके लिये मना करने पर अनिल रौतेल किशोरी को डराना-धमकी देना शुरू कर देता था।
गर्भवती हुई किशोरी
इसी दौरान पीडि़ता गर्भवती हो गई। जिसके बाद आरोपी जंगल मे झोपड़ी बना कर उसके सांथ रहने लगा, परंतु दो-तीन दिन बाद वहां से भाग खड़ा हुआ। युवती की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच के निर्देश दिये। जिस पर थाना कोतवाली पुलिस ने आरोपी के विरूद्ध धारा 376 (2) (च), 376 (2) (आई), 376 (2) (एन) एवं लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 3 सहपठित धारा 4 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना पश्चात अभियोग पत्र न्यायालय मे प्रस्तुत किया गया।
कठोर दण्ड का किया आग्रह
अभियोजन पक्ष ने पीडि़ता के शिशु का डीएनए टेस्ट कराया, जिसमे आरोपों की पुष्टि हो गई। राज्य की ओर से जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती अर्चना मरावी, सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी बीके वर्मा द्वारा सशक्त पैरवी कर आरोपी को कठोर से कठोर दण्ड देने का आग्रह किया गया। प्रकरण के सूक्ष्म परिशीलन के उपरांत दोषसिद्ध होने पर विशेष न्यायाधीश श्री विवेक सिंह रघुवंशी द्वारा आरोपी अनिल रौतेल को भादसं की धारा 376 (2) (ढ), 376 (2) (ज) मे 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500-500 रूपये के अर्थदण्ड एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5 (ठ) सहपठित धारा 6 के अंतर्गत 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।

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