जिले मे नहीं ब्लैक फंगस की दवा

जिले मे नहीं ब्लैक फंगस की दवा
संभाग मे हो चुकी हैं तीन मौतें, मामला आने पर रिफर के अलावा कोई चारा नहीं
उमरिया। कोरोना के सांथ ही अब ब्लैक फंगस की बीमारी पूरे देश के लिये चिंता का विषय बन गई है। इससे अब तक हजारों लोग पीडि़त हो चुके हैं, कई को अपनी जान गंवानी पड़ी है। जबकि सैकड़ों मरीजों के आंखों की रोशनी तक चली गई है। सबसे खतरनाक बात यह है कि इस जानलेवा बीमारी ने शहडोल संभाग मे भी दस्तक दे दी है। जानकारी के मुताबिक ब्लैक फंगस से संभाग मे अब तक कम से कम 3 लोगों की मौत हुई है। इसके बावजूद उमरिया जिले मे बीमारी के इलाज मे लगने वाली इंजेक्शन और दवाईयां उपलब्ध नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जिला अस्पताल और जिले के मेडिकल ब्लैक स्टोर्स मे ब्लैक फंगस की कोई दवा मौजूद नहीं है। ऐसे मे अचानक कोई केस सामने आने पर डाक्टरों के सामने मरीज को रिफर करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
क्या है ब्लैक फंगस
बताया जाता है कि ब्लैक फंगस एक इनवेसिव फंगस है। यह शरीर को चीरते ब्लड वेसेल्स यानी धमनियों को क्रॉस करता है और उसे खत्म कर देता है। जहां-जहां ये फैलता है, उस एरिया मे काला निशान पड़ जाता है। इसलिए इसे ब्लैक फंगस कहते हैं। एक बार ऐसा होने पर वहां पर ब्लड सप्लाई खत्म हो चुकी होती है। ऐसे मे कोई दवा काम नहीं करती, जिस वजह से उस हिस्से को सर्जरी के हटाया जाता है। एडवांस केसेज मे आंखों को निकालना भी पड़ सकता है, क्योंकि अगर उसे नहीं निकाला गया तो यह फैल कर मरीज के मष्तिष्क तक पहुंच सकता है और इससे उसकी जान भी जा सकती है। फंगल इंफेक्शन उन कोरोना मरीजों को संक्रमित कर रहा है जिन्हें गंभीर डायबिटीज है या उन्हें स्टेरॉइड और टोसिलिजुमैब जैसी दवाइयां दी गई है।
ये हैं लक्षण
कोरोना के मरीजो मे चेहरे के आसपास सुन्न हो जाना या चेहरे का सूज जाना, आंखों के आसपास सूजन होना, पलकों का नीचे बैठ जाना, दोहरी चीजें दिखाई देना, सिर, नाक या आंख में तेज दर्द होना जैसी समस्यायें ब्लैक फंगस के शुरुआती लक्षण हैं। ऐसा होने पर मरीज को तत्काल किसी चिकित्सक से संपर्क पर उपचार लेना आवश्यक है।
क्या है इलाज
ब्लैक फंगस का इलाज करने के लिए मुख्य रूप से मरीज को एम्फोटेरिसिन बी तथा अन्य मेडीसीन दी जाती हैं। जानकारों का मानना है कि एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन किसी मरीज को 10 तो किसी को 30 डोज तक देने पड़ते हैं। किसी-किसी मरीज को तो 100 डोज भी देने पड़ सकते हैं।
अब तक नहीं आई सिटी स्केन मशीन
कोरोना के अलावा ब्लैक फंगस के रोगियों को भी सिटी स्केन जांच करानी पड़ती है। यह सुविधा अब तक जिले मे शुरू नहीं हुई है। कुछ दिनो पहले बड़े जोर-शोर से यह दावा किया गया था कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिला अस्पताल मे सिटी स्केन मशीन पहुंच चुकी है। कुछ लोगों ने तो मुख्यमंत्री को इसके लिये धन्यवाद तक ज्ञापित कर दिया था, परंतु अब तक मशीन का कोई अता-पता नहीं है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके मेहरा ने बताया कि संबंधित कम्पनी द्वारा मशीन का ले-आऊट कर लिया गया है। उन्होने उम्मीद जताई कि जल्द ही अस्पताल मे सिटी स्केन मशीन स्थापित हो जायेगी। इसका फायदा जिले के मरीजों को मिलेगा।

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