जिले मे नरवाई जलाना प्रतिबंधित

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी ने जारी किया आदेश 
उमरिया। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव के संज्ञान मे यह बात आई है कि वर्तमान मे गेहू एवं धान की फसल कटाई अधिकांशत: कम्बाईन्ट हार्वेस्टर से की जाती है। कटाई उपरांत बचे हुए गेंहू के डंठलो नरवाई से भूसा न बनाकर जला देने तथा धान के पैरा को जला देने से धान का पैरा एवं भूसे की आवशकता पशु आहार के साथ ही अन्य वैकल्पिक रूप मे एकत्रित भूसा ईट भट्टा एंव अन्य उद्योग भी प्रभावित होते है। भूसे एवं धान के पैरा की मांग प्रदेश के अन्य जिलो के साथ अनेक प्रदेशो मे भी होती है। एकत्रित भूसा 4-5 रूपये प्रति किलोग्राम की दर पर विक्रय किया जा सकता है। उन्होने बताया कि ग्रीष्म ऋ तु मे बढ़ते जत संकट मे बढोतरी के साथ ही कानून व्यवस्था के विपरीत परिस्थितियां निर्मित होती है। खेत की आग के अनियंत्रित होने पर जन, धन, संपत्ति, प्राकृतिक वनस्पति एवं जीव जंतु आदि नष्ट होने से व्यापक नुकसान होने के साथ खेत की मिट्टी मे प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले लाभकारी सूक्ष्म जीवाणुओं के नष्ट होने से खेत की उर्वरा शक्ति शनै-शनै घट रही है और उत्पादन प्रभावित हो रहा है। खेत मे पड़ा कचरा भूसा सडऩे पर भूमि को प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनाते है, जिन्हें जलाकर नष्ट करना ऊर्जा को नष्ट करना है। आग लगाने से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन से पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144(2) के अंतर्गत जन सामान्य के हित सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा पर्यावरण की हानि रोकने एवं लोक व्यवस्था बनाये रखने हेतु प्रत्येक कम्बाईड हार्वेस्टर के साथ भूसा तैयार करने हेतु स्ट्रा रीपर अनिवार्य करते हुये संपूर्ण उमरिया जिले की राजस्व सीमा क्षेत्र मे गेंह एंव धान की फ सल कटाई उपरांत बचे हुए गेंहू के डंठलो (नरवाई) तथा धान के पैरा को जलाने को एकपक्षीय रूप से प्रतिबंधित किया है। आदेश का उल्लंघन भा.द.वि. की धारा 188 के अंतर्गत दंडनीय होगा।

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