जस्टिस चंद्रचूड़ होंगे देश के 50वें सीजेआई

राष्ट्रपति ने दी नियुक्ति की मंजूरी, 9 नवंबर को लेंगे शपथ
नई दिल्ली। जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ 9 नवंबर को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पद की शपथ लेंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस चंद्रचूड़ की नियुक्ति कर दी है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने यह जानकारी दी। जस्टिस चंद्रचूड़ देश के 50वें सीजेआई होंगे।
गौरतलब है कि वर्तमान सीजेआई जस्टिस यूयू ललित का कार्यकाल अगले महीने की आठ तारीख को खत्म होने जा रहा है। ऐसे में सरकार ने सात अक्तूबर को वर्तमान सीजेआई ललित को पत्र लिखकर अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश करने का अनुरोध किया था। सीजेआई ललित ने इसके जवाब में जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम अपने उत्तराधिकारी के तौर पर भेजा था। अब राष्ट्रपति ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है। वरिष्ठता सूची के अनुसार जस्टिस चंद्रचूड़ मौजूदा सीजेआई ललित के बाद सबसे वरिष्ठ हैं, इसलिए तय परंपरा के अनुसार उन्हीं के नाम की सिफारिश की गई थी। जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 को पदभार संभालेंगे।
पिता वाईवी चंद्रचूड़ थे 16 वें प्रधान न्यायाधीश
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें चीफ जस्टिस थे। वाईवी चंद्रचूड़ 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक करीब सात साल रहा। यह किसी सीजेआई को अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद उनके बेटे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सीजेआई बनने जा रहे हैं। यह सुप्रीम कोर्ट के भी इतिहास का पहला उदाहरण है कि पिता के बाद बेटा भी सीजेआई बनेगा।
8 नवंबर को रिटायर होंगे सीजेआई ललित
सीजेआई ललित का कार्यकाल 8 नवंबर 2022 को समाप्त हो रहा है। वे मात्र 74 दिन इस पर पद रहेंगे। जस्टिस ललित 26 अगस्त 2022 को सीजेआई एनवी रमण का कार्यकाल पूरा होने के बाद देश के 49वें प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे। उनका कार्यकाल मात्र ढाई माह का है, जबकि उनके पूर्व प्रधान न्यायाधीशों का औसत कार्यकाल 1.5 साल का रहा है। जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर होंगे। यानी वे दो साल तक देश के प्रधान न्यायाधीश रहेंगे। उन्हें 2016 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
मजबूत फैसले जस्टिस चंद्रचूड़ की पहचान
भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश बनने जा रहे धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ अपने मजबूत फैसलों की वजह से जाने जाते हैं। उनके फैसले जितने मजबूत और तार्किक होते हैं, उतनी ही बेबाकी के साथ वे असहमति भी जताते हैं। कई फैसलों में पूरी पीठ से अलग राय रखते हुए वे असहमति को लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व करार दे चुके हैं। निष्पक्षता और पारदर्शिता को न्यायिक प्रणाली के लिए अहम मानते हुए वे अपने पिता भूतपूर्व चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ के व्यभिचार व निजता पर दिए फैसलों को पलट चुके हैं। वहीं, हाल ही में अदालती कार्यवाही के बारे में जानने को नागरिकों का अधिकार बताते हुए अदालत की कार्यवाही का सीधा प्रसारण शुरू किया। व्यभिचार और समलैंगिक संबंधों को गैर-आपराधिक बनाने वाले फैसले देकर उन्होंने यौन व्यवहार को लेकर जारी सामाजिक व व्यवस्थागत रूढ़ीवाद को झकझोरा।

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