घाटी के नेताओं संग बैठक के बाद बोले पीएम, 4 पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित 14 ने की शिरकत
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हम जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि डीडीसी चुनावों के सफल संचालन की तरह ही विधानसभा चुनाव कराना प्राथमिकता है। पीएम ने कश्मीरी नेताओं के साथ बैठक में कहा कि वह दिल्ली की दूरी के साथ-साथ दिल की दूरी को भी हटाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने सभी प्रतिभागियों द्वारा समर्थित संविधान और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता पर प्रसन्नता व्यक्त की। गुरूवार को अपने दिल्ली आवास पर जम्मू-कश्मीर के शीर्ष राजनीतिक नेताओं के साथ लगातार तीन घंटे तक मोदी की बातचीत में राज्य के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कुल १४ नेता शरीक हुए। बैठक में उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह और एनएसए अजीत डोभाल ने भी शिरकत की।
युवा पीढ़ी की रक्षा करना हमारा सामूहिक कर्तव्य
सूत्रों के अनुसार, बैठक में पीएम ने सभी प्रतिभागियों के सुझावों और इनपुट को धैर्यपूर्वक सुना। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि सभी प्रतिभागियों ने अपने स्पष्ट और ईमानदार विचार साझा किए। यह एक खुली चर्चा थी जो कश्मीर के बेहतर भविष्य के निर्माण के इर्द-गिर्द घूमती थी। पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में एक मौत भी दर्दनाक है और हमारी युवा पीढ़ी की रक्षा करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें जम्मू-कश्मीर के अपने युवाओं को अवसर देने की जरूरत है और वे हमारे देश को बहुत कुछ देंगे। जम्मू-कश्मीर द्वारा हासिल किए गए विकास पर कई जन-समर्थक पहलों के कार्यान्वयन के साथ विस्तार से चर्चा की गई। प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में विकास की गति पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह लोगों में नई आशा और आकांक्षाएं पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब लोग भ्रष्टाचार मुक्त शासन का अनुभव करते हैं, तो यह लोगों में विश्वास जगाता है और लोग प्रशासन को अपना सहयोग भी देते हैं और यह आज जम्मू-कश्मीर में दिखाई दे रहा है। पीएम ने कहा कि राजनीतिक मतभेद होंगे लेकिन सभी को राष्ट्रहित में काम करना चाहिए ताकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को फायदा हो। पीएम ने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर में समाज के सभी वर्गों के लिए सुरक्षा और सुरक्षा का माहौल सुनिश्चित करने की जरूरत है।
कश्मीर में सख्ती खत्म होना चाहिए:महबूबा
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मैंने मीटिंग में जम्मू -कश्मीर के लोगों की मुसीबतें सामने रखीं। कश्मीर के लोग ५ अगस्त २०१९ के बाद से नाराज हैं और शोषित महसूस करते हैं। असंवैधानिक तरीके से अनुच्छेद-३७० को हटाया गया, वह जम्मू-कश्मीर के लोगों को पसंद नहीं है। ये हमें पाकिस्तान से नहीं मिला था। ये हमें जवाहर लाल नेहरू और वल्लभ भाई पटेल ने हमें दिया था। हमने कहा कि चीन के साथ आप बात कर रहे हैं। आपने पाकिस्तान से बातचीत की और इससे सीजफायर कम हुआ, इसका हम स्वागत करते हैं। पाकिस्तान से फिर बातचीत करनी चाहिए ताकि जो ट्रेड उनके साथ रुका है, वो बहाल हो। यूएपीए की सख्ती बंद हो, जेलों में बंद कैदियों को रिहा किया जाना चाहिए। जम्मू-कश्मीर के लोग तंग आ गए हैं कि जोर से सांस भी लें तो उन्हें जेल में डाला जाता है।
एक बैठक से दिल की दूरी कम नहीं होगी:उमर
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हम आर्टिकल-३७० पर अपनी लड़ाई अदालत में लड़ेंगे। हमने प्रधानमंत्री से भी कहा कि जम्मू-कश्मीर और केंद्र के बीच विश्वास को दोबारा कायम करना आपकी जिम्मेदारी है। जम्मू-कश्मीर को यूनियन टेरेटरी का दर्जा दिया गया है, कश्मीरी इसे पसंद नहीं करते हैं। उमर ने कहा कि प्रधानमंत्री दिल की दूरी कम करना चाहते हैं, लेकिन एक मुलाकात से न दिल की दूरी कम होती है और न दिल्ली की दूरी कम होती है। एक मीङ्क्षटग में इस बात की उम्मीद करना गलतफहमी होगी। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। हमने ये भी कहा कि परिसीमन की कोई जरूरत नहीं है। इससे बहुत संदेह पैदा होते हैं।
जम्मू-कश्मीर मे एसेम्बली इलेक्शन सरकार की प्राथमिकता
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