मंत्री सुश्री मीना सिंह ने दी ‘पेसा’ की जानकारी, कहा-ग्रामीणो को मिले विशेष अधिकार
बांधवभूमि, तपस गुप्ता
बिरसिंहपुर पाली। पेसा एक्ट के जरिये शासन ने जनता को अधिकार संपन्न बनाने का प्रयास किया है। इसके लागू होने से लोगों को कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलेगा और कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेगे। जिससे लोगों के समय और पैसे की बचत होगी। उक्त आशय के विचार शासन की जनजातीय कार्य मंत्री सुश्री मीना सिंह ने रविवार को पाली जनपद के ग्राम चौरी मे आयोजित ग्राम सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। मंत्री ने बताया कि इस ऐतिहासिक कानून मे पहला अधिकार जमीन का है। पटवारी और बीट गार्ड ग्रामसभा को हर साल गांव की जमीन के अलावा वन क्षेत्र का नक्शा, खसरा तथा बी-1 उपलब्ध करायेंगे। यदि राजस्व अभिलेखों मे कोई गलती पाई जाती है तो ग्राम सभा को उसमे सुधार के लिए अपनी अनुशंसा भेजने का पूरा अधिकार होगा। अधिसूचित क्षेत्रों मे बिना ग्राम सभा की सहमति के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गांव की जमीन का भू- अर्जन नहीं किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि पेसा कानून के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मंत्री सुश्री सिंह की अध्यक्षता मे ग्राम सभा का आयोजन किया गया था, जिसमे कई बिंदुओं पर चर्चा की गई।
छलकपट से नही कर पायेंगे कब्जा
इस कानून के बाद गैर जनजातीय या कोई भी अन्य व्यक्ति छल-कपट से, बहला-फुसलाकर, विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा नहीं कर पायेगा। ऐसा करने या भूमि खरीदने की कोशिश करने पर ग्राम सभा इसमे हस्ताक्षेप करेंगी। अधिसूचित क्षेत्रों मे ग्राम सभा की अनुशंसा के बिना पर खनिज के पट्टे, पट्टा, देने या नीलामी की कार्यवाही नही की जा सकेगी।
जल प्रबंधन और श्रमिक अधिकारों का संरक्षण
मंत्री सुश्री मीना सिंह ने कहा कि पेसा एक्ट का दूसरा अधिकार है जल का है। गांव के तालाबों का प्रबंधन अब ग्राम सभा करेगी। 100 एकड़ तक की सिंचाई क्षमता के तालाब और जलाशय का प्रबंधन संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा किया जाएगा। पेसा एक्ट मे तीसरा अधिकार जंगल का है। ग्राम सभा अपने क्षेत्र मे स्वयं या एक समिति गठित करके गौण वनोपजों, जैसे अचार गुठली, करंज बीज, महुआ, लाख, गोंद, हर्रा, बहेरा, आँवला आदि का संग्रहण, विपणन, मूल्य निर्धारण और विक्रय कर सकेंगे। यदि एक से अधिक ग्राम सभा चाहे तो वह ये काम मिल कर भी कर सकती है। वनोपज के दामों को तय करने का अधिकार अब ग्रामसभा के हाथ मे चला जायेगा और गरीब आदिवासी भाई-बहनों की वनोपज औने-पौने दामों मे नहीं बिकेगी। ग्रामसभा चाहे तो तेंदू पत्ते का संग्रहण और विपणन खुद कर सकेगी। पेसा एक्ट के तहत चौथा अधिकार श्रमिकों के अधिकारों का संरक्षण होगा।
कलेक्टर, सीईओ ने किया ग्रामसभाओं का निरीक्षण
कलेक्टर कृष्ण देव त्रिपाठी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत इला तिवारी ने गत दिवस लोगों को पेसा एक्ट से अवगत कराने हेतु जिले मे आयोजित ग्राम सभाओं का निरीक्षण किया। इस मौके पर उन्होने जनपद पंचायत पाली की ग्राम पंचायत ओदरी मे आयोजित ग्राम सभा के दौरान ग्रामीणों को बताया कि जल, जंगल, जमीन, श्रमिक, परंपराएं एवं संस्कृति ये पेसा नियमों का पंचामृत है। 15 नवंबर से ये नियम पूरे मध्यप्रदेश मे लागू हो गये है। एक्ट की पंाच प्रमुख बाते जमीन आपकी, जल आपका, जंगल आपके, श्रमिकों के अधिकारों का विशेष ध्यान और स्थानीय संस्थाओं, पंरपराओं और संस्कृति का संरक्षण संवर्धन है। बताया गया है कि पेसा एक्ट की जानकारी देने के लिए जिले के 10 ग्रामों में ग्राम सभाओं का आयोजन किया गया।
जमीन, जंगल और जल पर आपका हक
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