40 बच्चियों को घर ले गये परिजन
छात्राओं के बेहोंश होने से मचा हडक़ंप, घटना के बाद छात्रावास से फरार हुई वार्डन
बांधवभूमि न्यूज
मध्यप्रदेश, उमरिया
जिले के नौरोजाबाद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बेलसरा स्थित कन्या छात्रवास मे मंगलवार को कई छात्राओं के बेहोंश होने से हडकंप मच गया। जानकारी के मुताबिक सुबह करीब 7 बजे बच्चियों के मूर्छित होने का सिलसिला शुरू हुआ। देखते ही देखते 12 छात्रायें बेहोंश हो गई। घटना की खबर लगते ही वहां हडक़ंप मच गया। यह भी खबर है कि इस प्रकरण के बाद आवश्यक कदम उठाने की बजाय छात्रवास की वार्डन मौके से फरार हो गई। काफी देर बाद जब मामले की जानकारी प्रशासन तक पहुंची तो कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य ने तत्काल मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके मेहरा तथा तहसीलदार को घटना स्थल के लिये रवाना किया।
अभिभावकों मे डर का माहौल
गौरतलब है कि जिला शिक्षा केन्द्र के तहत संचालित नेताजी सुभाषचंद्र कन्या छात्रावास बेलसरा मे आदिवासी वर्ग की 86 छात्रायें दर्ज हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार छात्रावास मे बच्चियों के बेंहोंश होने की घटनायें इससे पहले भी कई बार हुई हैं, परंतु हर बार मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। इस बार एक सांथ बारह छात्राओं के बेहोंश होने और वार्डन के भाग खड़े होने से बात जरा ज्यादा बढ़ गई। आये दिन बच्चियों के बेहोंश होने को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। जिसे सुन कर अभिभावकों मे डर का माहौल पैदा हो गया है। कल हुई घटना के बाद अभिभावक 40 छात्राओं को छात्रावास से घर ले गये। उनका साफ तौर पर कहना है कि जब तक घटना की वजहों का खुलासा नहीं होता है, वे अपनी बच्चियों को वापस नहीं लायेंगे।
लगता है संदिग्ध लोगों का जमावड़ा
छात्रावास मे बार-बार हो रही अप्रत्याशित घटनाओं से जहां छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है, वहीं उनके परिजन भी दुविधा मे हैं। दूसरी ओर यहां पदस्थ वार्डन की भूमिका भी काफी संदिग्ध बताई गई है। सूत्रों के अनुसार वार्डन केतकी बाई की कार्यप्रक्रिया बेहद अजीबोगरीब है। वे अपने कामकाज की बजाय तंत्र-मंत्र मे ज्यादा विश्वास रखती हैं। इसी तरह के लोग छात्रावास मे लगातार आते रहते हैं। इतना ही नहीं वार्डन घंटों बैठ कर उनसे मंत्र और साधना के विषय मे चर्चा करती हैं। इससे वहां का वातवरण डरावना हो जाता है। कन्या छात्रावास जैसे संवेदनशील स्थानो मे बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश आपत्तिजनक माना जाता है। इसके बावजूद वार्डन केतकी बाई द्वारा नियमो का उल्लंघन और मनमानी की जा रही है।
नहीं मिलता मीनू के अनुसार भोजन
वहीं जानकारों का मानना है कि बच्चियों के बेंहोंश होने के पीछे मनोवैज्ञानिक कारणों के अलावा उनकी कमजोरी भी हो सकती है। उनका कहना है कि छात्रावास मे 6वीं से 8वीं तक की बच्चियां पढ़ती हैं। यह आयु किशोरावस्था से वयस्क होने के बीच की है, जिसमे कई शारीरिक बदलाव भी होते हैं। ऐसे मे बच्चियों को पौष्टिक आहार युक्त पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराया जाना जरूरी है। शासन इसके लिये पर्याप्त बजट भी मुहैया कराया जाता है, परंतु यह पैसा अधिकारियों तथा छात्रवास अधीक्षकों की भेंट चढ़ जाता है। कई अभिभावकों ने बताया कि दूध और पौष्टिक आहार तो दूर छात्रावास मे मीनू के अनुसार भोजन भी कभी भी नहीं बनता। उनकी मांग है कि बेलसरा छात्रावास मे पदस्थ वार्डन को तत्काल हटा कर इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाय।