चार दिनो मे ही ठप्प हो गई यूनिट

चार दिनो मे ही ठप्प हो गई यूनिट
संजय गांधी विद्युत संयंत्र मे बनने-बिगडऩे का खेल जारी, लाखों के वारे न्यारे
उमरिया। जिले के संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र की यूनिट नंबर 4 फिर ठप्प हो गई है। 210 मेगावाट विद्युत उत्पादन करने वाली इस यूनिट के बॉयलर ट्यूब मे लीकेज के बाद इसे बंद करना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक अब इसकी मरम्मत होगी, तभी उत्पादन शुरू हो सकेगा। बताया जाता है कि पिछले ही दिनो संयंत्र की इस यूनिट की रिपेयरिंग कराई गई थी। जिसकी वजह से यह करीब 39 दिनो तक बंद रही। लाखों रूपये खर्च करके तैयार होने के बाद 2 जून को यूनिट स्टार्ट हुई थी पर महज 4 दिनो मे ही ये टें बोल गई। यह पहला मौका नहीं है, जब महीनो तक मरम्मत के बाद तैयार हुई यूनिट चंद दिनो मे ही बंद हो गई हो। दरअसल यहां विद्युत उत्पादन से कहीं ज्यादा मशीनो के बनने और बिगडऩे का खेल चल रहा है। इस खेल से अधिकारियों और ठेकेदारों की जेबें तो भर ही रही हैं, सरकार की मंशा भी मूर्तरूप ले रही है। क्योंकि जब तक प्लांट पूरी तरह से घाटे मे नहीं आता, निजीकरण के रास्ते नहीं खुल पायेंगे। शायद इसी रणनीति के तहत शासन मे बैठे नुमाईन्दे और अधिकारी ही करोड़ों रूपये के फर्जीवाड़े को अपना मौन समर्थन दे रहे हैं।
क्षमता 1340, उत्पादन सिर्फ 540
उल्लेखनीय है कि संजय गांधी ताप विद्युत केन्द्र मे 210 मेगावाट की 4 तथा 500 मेगावाट की 1 मिला कर 5 इकाईयां स्थापित हैं। जिनकी कुल क्षमता 1340 मेगावाट है। इनमे से 2 यूनिट बीते कई दिनो से बंद कर दी गई हैं। जबकि 210 की दो तथा 500 की एक यूनिट को चालू रखा गया है। बताया गया है कि उक्त तीन यूनिटों को भी आधी क्षमता के सांथ चलाया जा रहा है। एक यूनिट बंद होने के कारण रविवार को 12 बजे तक संयंत्र मे मात्र 534 मेगावाट उत्पादन हो पा रहा है।
निजी कम्पनियों से खरीदी जा रही बिजली
जानकारों का मानना है कि यही हाल मध्यप्रदेश के सभी ताप विद्युत केन्द्रों का है। जहां उत्पादन को कम कर दिया गया है। उनका दावा है कि यह सारा खेल निजी कम्पनियों से बिजली खरीदने के लिये किया जा रहा है।
समझ से परे सरकार की रणनीति
पिछले ही दिनो विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा जिले के ग्रामीण अंचलों मे 3 फेस बिजली की आपूर्ति मे 14 घंटे की कटौती की गई है। अब मात्र 10 घंटे थ्री फेस तथा शेष समय सिंगल फेस बिजली दी जा रही है। वहीं कई इलाकों मे अघोषित कटौती भी जारी है। इसके पीछे उत्पादन मे आई कमी की बात कही जा रही है। एक तरफ पर्याप्त बिजली न होने से कटौती और सिंगल फेस जैसे कदम उठाये जा रहे हैं तो दूसरी ओर संयंत्रों मे उत्पादन कम किया जा रहा है। इसके पीछे कौन सी रणनीति है यह समझ से परे है।
मोबाईल उठाने से परहेज
यूनिट मे आई खराबी के संबंध मे जब संयंत्र के सीई हेमंत सुकंले से चर्चा करने का प्रयास किया गया तो उनके द्वारा मोबाईल नहीं उठाया गया।

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