गुनहगार करेंगे हाथी काण्ड की पड़ताल

राज खुलने के बाद लीपापोती मे जुटे बांधवगढ़ नेशनल पार्क के अधिकारी
बांधवभूमि, उमरिया
बाघ तथा अन्य दुर्लभ जीवों की आये दिन हो रही मौतों के कारण अस्तित्व के संकट से जूझ रहा बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान इन दिनों जंगली हाथी की रहस्यमयी मृत्यु को लेकर चर्चाओं मे है। इससे भी ज्यादा चर्चा प्रबंधन द्वारा मामले की जांच के लिए गठित टीम को लेकर हो रही है। कहा जाता है कि इस दल मे घटना के मास्टर माइंड से लेकर वे सभी अधिकारी शामिल हैं, जिन्होंने हाथी की मौत की खबर दबाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी। गौरतलब है कि विगत 9 जनवरी 23 को सोन नदी के पार शहडोल जिले मे स्थित राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के पनपथा बफर अंतर्गत छतवा जमुनिहां मे किसी बड़े जानवर के अवशेष पाए गए थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह हाथी की हड्डियां हैं, जिसे जलाने का प्रयास किया गया है। मजे की बात यह है कि इस प्रकरण की जानकारी उमरिया मे बैठे विभाग के आला अधिकारियों को अपने अमले से नहीं मीडिया के सूत्रों से मिली। घटनास्थल की फोटो और वीडियो देखने के बाद प्रबंधन ने एक टीम गठित की है। जिसमे एसडीओ एएफएस निनामा, रेंजर और डिप्टी रेंजर शामिल हैं। ये वही अधिकारी हैं, जिनके कंधे पर इस इलाके और वहां विचरण करने वाले वन्यजीवों के सुरक्षा की जिम्मेदारी है। सूत्रों का दावा है कि इनमें से एक अधिकारी इस हाथी की मौत और उसके शव को जलाकर मामले को रफादफा करने मे प्रत्यक्ष रूप से शामिल है।
बार-बार बदल रहे बयान
इस घटना को लेकर उमरिया मे बैठे पार्क के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रक्रिया भी संदेह के घेरे में है। बताया गया है कि बीते 26 अक्टूबर 22 को पनपथा बफर मे यह हाथी अचेत अवस्था मे पाया गया था। इस बात की जानकारी उद्यान द्वारा प्रेस नोट के जरिये दी गई थी। जिसमे कहा गया था कि कोदो खाने के कारण हाथी बीमार हुआ था, जिसका इलाज कर जंगल मे छोड़ दिया गया है। हाथी की मॉनिटरिंग की जा रही है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह ऐसा इलाका है जहां कोदो की खेती ही नहीं होती। रही निगरानी की बात, तो वह ऐसी हुई कि हाथी गायब हो गया और अमले को पता ही नहीं चला।
चश्मदीद पर दबाव
बताया गया है कि जब जंगल मे हाथी को जलाकर नष्ट करने की बात फैली तो नेशनल पार्क के अधिकारियों ने लोगों के यहां आने पर पाबंदी लगा दी। ऐसे मे राघवेंद्र यादव नामक व्यक्ति ने किसी तरह वहां पहुंच कर घटना को देखा। उसी के जरिये यह खबर मीडिया तक पहुंची। अब डिप्टी साहब चश्मदीद पर मुंह बंद रखने का दबाव बना रहे हैं। उन्हें पता है कि यदि बात निकली तो दूर तलक जाएगी।
साफ करा दिया इलाका
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया है कि जिस जगह पर हाथी को जलाया गया, वहां पर आनन फानन मे सफाई करा कर राख और हड्डियां हटा दी गई है। इस पूरे मामले मे डिप्टी डायरेक्टर, एसडीओ, रेंजर, चिकित्सक सभी अलग-अलग बातें बता रहे हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा है, की मामले की जांच चल रही है।
तस्करों की कर्मस्थली
जानकारों का मानना है कि पनपथा बफर का यह इलाका तस्करों और शिकारियों का गढ़ है। पिछले साल यहीं एक बाघ को मार कर गाड़ दिया गया था। कुछ साल पहले डब्ल्यूसीसीआई की टीम ने यहीं से दर्जन भर पेंगोलिन के शिकारी पकड़े थे। लोगों का दावा है कि इस रैकेट मे यहां पर वर्षों से पदस्थ डिप्टी रेंजर भी बराबर का भागीदार है।
दन्तैल और ग्रुप लीडर था हाथी
मारा गया हाथी दंतैल होने के साथ अपने दल का लीडर भी था। अनुमान यही है कि हाथी के बेशकीमती दांत ही उसकी मौत का कारण बन गए। सवाल यह है कि जिस स्थान पर अधिकारी की शिकारियों का सहयोगी हो तो वहां इस तरह की घटनाओं का पर्दाफाश कैसे हो सकता है।

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