ग्रामीणो को उकसा रहे कामचोर नेता
जारी है बांधवगढ़ से विस्थापित गावों के बाशिंदों को गुमराह करने का सिलसिला, सतर्कता जरूरी
बांधवभूमि न्यूज, रामाभिलाष त्रिपाठी
मध्यप्रदेश
उमरिया
मानपुर। जिले के राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ के विस्थापन, जंगली जीवों द्वारा जान-माल की क्षति तथा अन्य मागों को लेकर ग्रामीणो का प्रदर्शन एक सामान्य प्रक्रिया माना जाता है। आमतौर पर इस दौरान प्रभावितों, प्रशासन और पार्क प्रबंधन के बीच चर्चा और आश्वासनो के बाद मामले टलते हैं, परंतु बीते कुछ वर्षो से यहां के माहौल मे बदलाव साफ देखा जा रहा है। विशेषकर ऐसे मौके पर आये लोगों की तल्खी और अडीबाजी थोड़ा सा चकित करने वाली है। बीते दिनो ग्राम पंचायत रोहनिया के अंतर्गत आने वाले विस्थापित गांव मिल्ली के निवासियों ने इसी तरह का वातावरण निर्मित कर दिया। बताया जाता है कि गांवों के करीब 70-80 परिवारों के सैकडों नागरिक अचानक रोहनिया बैरियर के पास पहुंच गये और गांव मे प्रवेश करने की जिद करने लगे। इसकी जानकारी मिलते ही एसडीओ बीएस उप्पल मौके पर आये और प्रदर्शनकारियों को समझाना शुरू किया। इन लोगों का एक ही कहना था कि विस्थापितों मे से जो अवयस्क हैं, उन्हे भी मुआवजा दिया जाय। सांथ प्रभावितों को नौकरी तथा जमीने भी उपलब्ध कराई जांय। जब हालात ज्यादा बिगडने लगे तो पुलिस और पार्क के कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गये। भारी मशक्कत, तनाव तथा बहसबाजी के बाद ग्रामीण वापस लौटे और मामला शांत हुआ।
आ रही साजिश की बू
जानकार इस घटना को एक सोची-समझी साजिश का नतीजा बता रहे हैं। इसका मुख्य कारण ग्रामीणो की अवैधानिक मांग और ज्ञापन की लिखावट है। उनका मानना है कि आवेदन की भाषा स्थानीय लोगों की नहीं हो सकती। इस बात मे दम भी है, क्योंकि उमरिया जिले के ग्रामीण आमतौर पर बेहद सीधे और शालीन हैं। बीते साल सितंबर महीने मे जिला मुख्यालय के रानी दुर्गावती चौक मे गोंगपा के प्रदर्शन के बाद बाहरी लोगों के उकसावे पर हुई हिंसा ने इस बात को और भी पुष्ट किया है। हलाकि मिल्ली घटना के पीछे बांधवगढ टाईगर रिजर्व के कुछ कामचोर नेताओं का हांथ भी बताया जा रहा है। जो विभिन्न संगठनो की आड़ मे मजे लूटते आये हैं। सूत्रों का दावा है कि हाल ही मे प्रबंधन ने सरकारी वेतन पर मुफ्तखोरी करने और आये दिन आंखे दिखाने वाले कुछ लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की थी। इससे बौखला कर उन्होने अब भोले-भाले लोगों को उकसाने का काम शुरू किया है। जिला प्रशासन को इन घटनाओं से सबक लेने के सांथ सतर्क रहने की जरूरत है।
हाईकोर्ट मे लंबित है मामला
वहीं मिल्ली के ग्रामीणो की इन मागों से संबंधित एक मामला पूर्व से ही उच्च न्यायालय जबलपुर मे विचाराधीन है। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा ने बताया कि गावों का विस्थापन शासन द्वारा निर्धारित नियमो के तहत होता है। पार्क प्रबंधन केवल उन दिशा-निर्देशों का पालन ही कर सकता है। मिल्ली गांव के विस्थापन मे सभी पात्र व्यक्तियों को गाईडलाईन के अनुसार मुआवजा दिया जा चुका है। पात्रतानुसार कुछ को रोजगार भी मिला है। विस्थापित परिवारों के युवाओं को रोजगार का प्रशिक्षण दिलाने की प्रक्रिया भी जारी है। अवयस्कों को मुआवजा और जमीन देने का फैंसला हाईकोर्ट के निर्णय के बाद ही हो सकेगा। श्री वर्मा के मुताबिक विस्थापित जमीन शासकीय संपत्ति है। कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के कोर क्षेत्र मे प्रवेश नहीं कर सकता। ऐसा करने पर संबंधितों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज करने के सांथ कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
सैलानियों के स्वागत की तैयारियों मे जुटा प्रबंधन
बांधवगढ राष्ट्रीय उद्यान का पर्यटन सत्र 1 अक्टूबर से शुरू हो जायेगा। पार्क प्रबंधन सैलानियों के स्वागत की तैयारियों मे जुटा हुआ है। उप संचालक पीके वर्मा ने बताया है कि उद्यान के 187 गाईडों का प्रशिक्षण कराया जा चुका है। सांथ ही पर्यटकों को भ्रमण कराने वाले 244 वाहनो का पंजीयन भी हो चुका है। पार्क के अंदर बारिश के कारण क्षतिग्रस्त सडकों की मरम्मत अन्य सभी व्यवस्थायें पूरी तरह से दुरूस्त हैं। उन्होने बताया कि हमेशा की तरह इस बार भी बांधवगढ़ भ्रमण के लिये आने वाले पर्यटकों मे भारी उत्साह है, जो ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन मे दिखाई दे रहा है।